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दिल्ली की आधी आबादी में एंटीबॉडी, क्या अब भी जरूरी है वैक्सीन !

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Published : Feb 3, 2021, 6:24 PM IST

दिल्ली की आधी आबादी कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुकी है. यानी उनमें एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या अब भी कोरोना की वैक्सीन जरूरी है. 'ईटीवी भारत' ने दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. अरुण गुप्ता से बात की. जानिए क्या कहा डॉ. अरुण गुप्ता ने.

दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. अरुण गुप्ता
दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. अरुण गुप्ता

नई दिल्ली : दिल्ली में अब तक के सबसे बड़े सीरो सर्वे के नतीजे आ चुके हैं, जो बताते हैं कि दिल्ली की 56 फीसदी से ज्यादा आबादी तक कोरोना पहुंच चुका है. यानी दिल्ली की आधी से ज्यादा आबादी कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुकी है और उसमें एंटीबॉडी डेवलप हो चुकी है.

मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. अरुण गुप्ता ने कहा कि 56 फीसदी आबादी में एंटीबॉडी डेवलप होने का मतलब है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं.

दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. अरुण गुप्ता से खास बातचीत

हर्ड इम्युनिटी के बारे में समझाते हुए डॉ. गुप्ता ने कहा कि कोई भी संक्रमण इस तरह से क्रिटिकल लेवल को पार कर जाए कि उसका ट्रांसमिशन रुक जाए, तो ऐसी स्थिति को हर्ड इम्युनिटी कहते हैं.

'आधी आबादी के लिए खतरा बरकरार'

डॉ. अरुण गुप्ता ने यह भी कहा कि भले ही 56 फीसदी आबादी में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो गई हो, लेकिन करीब आधी आबादी के लिए अब भी खतरा है. इसलिए डर खत्म नहीं होना चाहिए और बचाव जारी रखनी चाहिए.

संक्रमण से विकसित हुई एंटीबॉडी, कितने समय तक रहती है, इसके जवाब में स्टडी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह लम्बे समय तक रहती है.

पढ़ें- चीनी वैक्सीन के प्रति कैसे बदला पश्चिमी देशों का रुख

'वैक्सीनेशन के जरिए एंटीबॉडी की कोशिश'

डॉ. गुप्ता का यह भी कहना था कि संक्रमण की तुलना में वैक्सीन से विकसित हुई एंटीबॉडी लम्बे समय तक रहती है और कोशिश यही होनी चाहिए कि बड़ी आबादी में एंटीबॉडी वैक्सीन से ही विकसित हो. यानी करीब आधी आबादी में संक्रमण के जरिए एंटीबॉडी विकसित होने के बावजूद, वैक्सीनेशन जरूरी है.

नई दिल्ली : दिल्ली में अब तक के सबसे बड़े सीरो सर्वे के नतीजे आ चुके हैं, जो बताते हैं कि दिल्ली की 56 फीसदी से ज्यादा आबादी तक कोरोना पहुंच चुका है. यानी दिल्ली की आधी से ज्यादा आबादी कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुकी है और उसमें एंटीबॉडी डेवलप हो चुकी है.

मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. अरुण गुप्ता ने कहा कि 56 फीसदी आबादी में एंटीबॉडी डेवलप होने का मतलब है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं.

दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. अरुण गुप्ता से खास बातचीत

हर्ड इम्युनिटी के बारे में समझाते हुए डॉ. गुप्ता ने कहा कि कोई भी संक्रमण इस तरह से क्रिटिकल लेवल को पार कर जाए कि उसका ट्रांसमिशन रुक जाए, तो ऐसी स्थिति को हर्ड इम्युनिटी कहते हैं.

'आधी आबादी के लिए खतरा बरकरार'

डॉ. अरुण गुप्ता ने यह भी कहा कि भले ही 56 फीसदी आबादी में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो गई हो, लेकिन करीब आधी आबादी के लिए अब भी खतरा है. इसलिए डर खत्म नहीं होना चाहिए और बचाव जारी रखनी चाहिए.

संक्रमण से विकसित हुई एंटीबॉडी, कितने समय तक रहती है, इसके जवाब में स्टडी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह लम्बे समय तक रहती है.

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'वैक्सीनेशन के जरिए एंटीबॉडी की कोशिश'

डॉ. गुप्ता का यह भी कहना था कि संक्रमण की तुलना में वैक्सीन से विकसित हुई एंटीबॉडी लम्बे समय तक रहती है और कोशिश यही होनी चाहिए कि बड़ी आबादी में एंटीबॉडी वैक्सीन से ही विकसित हो. यानी करीब आधी आबादी में संक्रमण के जरिए एंटीबॉडी विकसित होने के बावजूद, वैक्सीनेशन जरूरी है.

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