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टीबी उन्मूलन में डिजिटल प्रौद्योगिकी का होगा उपयोग

सरकार मुफ्त ‘रैपिड मोलेक्यूलर टेस्ट’ के जरिये टीबी के मरीजों का पता लगाने में तेजी लाने, दवा प्रतिरोध पर सूचना मुहैया करने और इस रोग से ग्रसित सभी मरीजों का सर्वाधिक गुणवत्ता वाली दवाइयों से इलाज करने, रोगियों को वित्तीय एवं पोषण सहायता उपलब्ध कराने के लिये प्रतिबद्ध है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन
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Published : Sep 2, 2020, 10:02 PM IST

नयी दिल्लीः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि सरकार क्षय रोग (टीबी) के उन्मूलन के लिये निजी क्षेत्र की भागीदारी मजबूत करने के उद्देश्य से गैर सरकारी एजेंसियों को जोड़ने के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेकर प्रतिबद्ध है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि हर्षवर्धन ने यहां बुधवार को ‘स्टॉप टीबी’ साझेदारी की कार्यकारी निदेशक डॉ लुसीका दितीयू के साथ डिजिटल संवाद में यह टिप्पणी की.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि टीबी का उन्मूलन करना भारत सरकार की प्राथमिकता है.

बयान के मुताबिक मंत्री ने कहा कि सरकार मुफ्त ‘रैपिड मोलेक्यूलर टेस्ट’ के जरिये टीबी के मरीजों का पता लगाने में तेजी लाने, दवा प्रतिरोध पर सूचना मुहैया करने और इस रोग से ग्रसित सभी मरीजों का सर्वाधिक गुणवत्ता वाली दवाइयों से इलाज करने, रोगियों को वित्तीय एवं पोषण सहायता उपलब्ध कराने के लिये प्रतिबद्ध है.

हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार सूचना, अनुपालन और गैर सरकारी एजेंसियों के साथ जुड़ाव के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेकर प्रतिबद्ध है, ताकि निजी क्षेत्र की भागीदारी को मजबूत किया जा सके.

मंत्री ने यह भी कहा कि देश पिछले आठ महीने से कोविड-19 महामारी से लड़ रहा है, ऐसे में यह सुनिश्चित किया गया है कि हर राज्य में स्वास्थ्य विभागों और स्वास्थ्य अधिकारियों को 2025 तक टीबी के उन्मूलन के लक्ष्य को निरंतर याद दिलाया जाए.

बयान में उनके हवाले से कहा गया है कि कोविड-19 से लड़ने में अपनी कोशिशों के जरिये हमने दुनिया को दिखा दिया है कि भारत अन्य देशों के लिये अनुकरणीय हो सकता है, क्योंकि हमने मास्क और पीपीई किट के घरेलू विनिर्माण के संदर्भ में आत्मनिर्भरता हासिल की है.

उन्होंने कहा कि भारत ने टीबी उन्मूलन के लिये 2030 के सतत वैश्विक लक्ष्य (एसडीजी) से पांच साल पहले ही 2025 तक देश में टीबी का उन्मूलन करने को उच्च प्राथमिकता दी है.

बयान में कहा गया है कि टीबी से लड़ने में सराहनीय कोशिश करने को लेकर डॉ. लुसिका ने भारत सरकार की सराहना की.

नयी दिल्लीः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि सरकार क्षय रोग (टीबी) के उन्मूलन के लिये निजी क्षेत्र की भागीदारी मजबूत करने के उद्देश्य से गैर सरकारी एजेंसियों को जोड़ने के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेकर प्रतिबद्ध है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि हर्षवर्धन ने यहां बुधवार को ‘स्टॉप टीबी’ साझेदारी की कार्यकारी निदेशक डॉ लुसीका दितीयू के साथ डिजिटल संवाद में यह टिप्पणी की.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि टीबी का उन्मूलन करना भारत सरकार की प्राथमिकता है.

बयान के मुताबिक मंत्री ने कहा कि सरकार मुफ्त ‘रैपिड मोलेक्यूलर टेस्ट’ के जरिये टीबी के मरीजों का पता लगाने में तेजी लाने, दवा प्रतिरोध पर सूचना मुहैया करने और इस रोग से ग्रसित सभी मरीजों का सर्वाधिक गुणवत्ता वाली दवाइयों से इलाज करने, रोगियों को वित्तीय एवं पोषण सहायता उपलब्ध कराने के लिये प्रतिबद्ध है.

हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार सूचना, अनुपालन और गैर सरकारी एजेंसियों के साथ जुड़ाव के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेकर प्रतिबद्ध है, ताकि निजी क्षेत्र की भागीदारी को मजबूत किया जा सके.

मंत्री ने यह भी कहा कि देश पिछले आठ महीने से कोविड-19 महामारी से लड़ रहा है, ऐसे में यह सुनिश्चित किया गया है कि हर राज्य में स्वास्थ्य विभागों और स्वास्थ्य अधिकारियों को 2025 तक टीबी के उन्मूलन के लक्ष्य को निरंतर याद दिलाया जाए.

बयान में उनके हवाले से कहा गया है कि कोविड-19 से लड़ने में अपनी कोशिशों के जरिये हमने दुनिया को दिखा दिया है कि भारत अन्य देशों के लिये अनुकरणीय हो सकता है, क्योंकि हमने मास्क और पीपीई किट के घरेलू विनिर्माण के संदर्भ में आत्मनिर्भरता हासिल की है.

उन्होंने कहा कि भारत ने टीबी उन्मूलन के लिये 2030 के सतत वैश्विक लक्ष्य (एसडीजी) से पांच साल पहले ही 2025 तक देश में टीबी का उन्मूलन करने को उच्च प्राथमिकता दी है.

बयान में कहा गया है कि टीबी से लड़ने में सराहनीय कोशिश करने को लेकर डॉ. लुसिका ने भारत सरकार की सराहना की.

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