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कोरोना काल में बदला किसान आंदोलन का स्वरूप, ट्विटर पर प्रदर्शन

कोरोना काल में विरोध प्रदर्शनों का स्वरूप भी बदल रहा है. इसी क्रम में छह जुलाई को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने एक बार फिर #करजमुक्तिपूरादाम के साथ किसानों के समर्थन में ट्विटर कैंपेन चलाने का आह्वान किया है. इससे पहले भी एआईकेएससीसी के द्वारा जून में ट्विटर कैंपेन चलाया गया था.

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एआईकेएससीसी के संयोजक सरदार वीएम सिंह
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Published : Jul 5, 2020, 10:02 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना काल में विरोध प्रदर्शनों का स्वरूप बदल रहा है. पहले जहां लोग सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करते थे, वहीं कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए अब राजनीतिक पार्टियां और किसान व मजदूर संगठन भी सोशल मीडिया पर कैंपेन चला कर अपना विरोध जता रहे हैं.

वीएम सिंह का बयान

देशभर के दो सौ से ज्यादा किसान संगठनों का समूह अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने एक ऐसे ही सोशल मीडिया आंदोलन की शुरुआत की है. किसानों के लिए पूर्ण कर्ज माफी और फसल के पूरे दाम जैसी मांगों के साथ चार मई को एआईकेएससीसी द्वारा कैंपेन चलाया गया. इस दौरान ट्विटर कैंपेन देश में नंबर एक पर ट्रेंड कर रहा था.

जून में भी इसी तरह से ट्विटर पर कैंपेन चलाया गया और वह भी टॉप ट्रेंडिंग में रहा. अब छह जुलाई को भी अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा एक बार फिर #करजमुक्तिपूरादाम के साथ किसानों के समर्थन में ट्विटर कैंपेन चलाने का आह्वान किया गया है.

रविवार को एक वेबिनार के दौरान अपने संबोधन में एआईकेएससीसी के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश के मंदसौर गोली कांड की बरसी पर शहीद किसानों को श्रद्धांजलि के रूप में इसे शुरू किया गया था और अब हमने यह फैसला किया है कि हर महीने की छह तारीख को ट्विटर पर इस तरह का कैंपेन चलाएंगे क्योंकि मंदसौर की घटना छह तारीख को ही हुई थी, जिसके बाद एआईकेएससीसी का गठन हुआ था.

रविवार को देश के प्रधानमंत्री से लेकर तमाम मंत्रालय सोशल मीडिया पर खासे सक्रिय रहते हैं और ज्यादातर जानकारी ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से ही प्रेषित की जाती है. ऐसे में किसान नेता वीएम सिंह मानते हैं कि जब किसान भी सोशल मीडिया के माध्यम से ही प्रधानमंत्री से सीधे संवाद करेंगे तब शायद उनकी बात प्रधानमंत्री तक पहुंचेगी और वह उनकी मांगों पर गौर करेंगे.

डीजल की बढ़ी हुई कीमतों पर समन्वय समिति ने सरकार से मांग की है कि सरकार मौजूदा डीजल की कीमतों के हिसाब से खरीफ की लागत मूल्य निकाले और फिर उसी के हिसाब से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करे. साथ ही सरकार गारंटी भी ले कि उनके द्वारा तय एमएसपी पर ही किसान की फसल खरीदी जाएगी और ऐसा न करने वाले व्यापारी को दंडित किया जाएगा.

मक्के का उदाहरण देते हुए वीएम सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा पिछले वर्ष की निर्धारित एमएसपी 1750 रुपये है, जबकि किसानों को मंडियों में 1000 से 1100 रुपये प्रति क्विंटल का भाव ही मिल पा रहा है. मजबूरन किसान एमएसपी से 600 से 700 रुपये कम में मक्का बेच रहे हैं या फिर भाव बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- पेट्रोल-डीजल की कीमतों के खिलाफ किसान संगठनों की प्रदर्शन की चेतावनी

इसी बीच सरकार ने दूसरे देशों से पांच लाख टन मक्के के आयात की अनुमति भी दी है. जिस पर ड्यूटी 50 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दी गई है. ऐसे हालात में किसानों को डर है कि जब बाहर का मक्का देश में इतनी बड़ी मात्रा में आ जाएगा तो उन्हें शायद ही उचित दाम मिल पाए. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तक बाहर से कोई मक्का देश में नहीं आया है, लेकिन इसके बावजूद किसानों को मक्के का उचित भाव नहीं मिल रहा है.

नौ अगस्त को देशव्यापी आंदोलन की तैयारी
एआईकेएससीसी के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने जानकारी दी है कि आगामी नौ अगस्त को अगस्त क्रांति के दिन देशभर के किसान संगठन और मजदूर संगठन मिल कर सड़कों पर उतरने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने आगे बताया कि इसके लिए वह देश के सभी ट्रेड यूनियन से बातचीत करेंगे और उन्हें भी इस आंदोलन के साथ जोड़ेंगे और एक मंच से किसान और मजदूर मिलकर सरकार के सामने अपनी मांगें रखेंगे.

नई दिल्ली : कोरोना काल में विरोध प्रदर्शनों का स्वरूप बदल रहा है. पहले जहां लोग सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करते थे, वहीं कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए अब राजनीतिक पार्टियां और किसान व मजदूर संगठन भी सोशल मीडिया पर कैंपेन चला कर अपना विरोध जता रहे हैं.

वीएम सिंह का बयान

देशभर के दो सौ से ज्यादा किसान संगठनों का समूह अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने एक ऐसे ही सोशल मीडिया आंदोलन की शुरुआत की है. किसानों के लिए पूर्ण कर्ज माफी और फसल के पूरे दाम जैसी मांगों के साथ चार मई को एआईकेएससीसी द्वारा कैंपेन चलाया गया. इस दौरान ट्विटर कैंपेन देश में नंबर एक पर ट्रेंड कर रहा था.

जून में भी इसी तरह से ट्विटर पर कैंपेन चलाया गया और वह भी टॉप ट्रेंडिंग में रहा. अब छह जुलाई को भी अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा एक बार फिर #करजमुक्तिपूरादाम के साथ किसानों के समर्थन में ट्विटर कैंपेन चलाने का आह्वान किया गया है.

रविवार को एक वेबिनार के दौरान अपने संबोधन में एआईकेएससीसी के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश के मंदसौर गोली कांड की बरसी पर शहीद किसानों को श्रद्धांजलि के रूप में इसे शुरू किया गया था और अब हमने यह फैसला किया है कि हर महीने की छह तारीख को ट्विटर पर इस तरह का कैंपेन चलाएंगे क्योंकि मंदसौर की घटना छह तारीख को ही हुई थी, जिसके बाद एआईकेएससीसी का गठन हुआ था.

रविवार को देश के प्रधानमंत्री से लेकर तमाम मंत्रालय सोशल मीडिया पर खासे सक्रिय रहते हैं और ज्यादातर जानकारी ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से ही प्रेषित की जाती है. ऐसे में किसान नेता वीएम सिंह मानते हैं कि जब किसान भी सोशल मीडिया के माध्यम से ही प्रधानमंत्री से सीधे संवाद करेंगे तब शायद उनकी बात प्रधानमंत्री तक पहुंचेगी और वह उनकी मांगों पर गौर करेंगे.

डीजल की बढ़ी हुई कीमतों पर समन्वय समिति ने सरकार से मांग की है कि सरकार मौजूदा डीजल की कीमतों के हिसाब से खरीफ की लागत मूल्य निकाले और फिर उसी के हिसाब से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करे. साथ ही सरकार गारंटी भी ले कि उनके द्वारा तय एमएसपी पर ही किसान की फसल खरीदी जाएगी और ऐसा न करने वाले व्यापारी को दंडित किया जाएगा.

मक्के का उदाहरण देते हुए वीएम सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा पिछले वर्ष की निर्धारित एमएसपी 1750 रुपये है, जबकि किसानों को मंडियों में 1000 से 1100 रुपये प्रति क्विंटल का भाव ही मिल पा रहा है. मजबूरन किसान एमएसपी से 600 से 700 रुपये कम में मक्का बेच रहे हैं या फिर भाव बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- पेट्रोल-डीजल की कीमतों के खिलाफ किसान संगठनों की प्रदर्शन की चेतावनी

इसी बीच सरकार ने दूसरे देशों से पांच लाख टन मक्के के आयात की अनुमति भी दी है. जिस पर ड्यूटी 50 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दी गई है. ऐसे हालात में किसानों को डर है कि जब बाहर का मक्का देश में इतनी बड़ी मात्रा में आ जाएगा तो उन्हें शायद ही उचित दाम मिल पाए. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तक बाहर से कोई मक्का देश में नहीं आया है, लेकिन इसके बावजूद किसानों को मक्के का उचित भाव नहीं मिल रहा है.

नौ अगस्त को देशव्यापी आंदोलन की तैयारी
एआईकेएससीसी के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने जानकारी दी है कि आगामी नौ अगस्त को अगस्त क्रांति के दिन देशभर के किसान संगठन और मजदूर संगठन मिल कर सड़कों पर उतरने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने आगे बताया कि इसके लिए वह देश के सभी ट्रेड यूनियन से बातचीत करेंगे और उन्हें भी इस आंदोलन के साथ जोड़ेंगे और एक मंच से किसान और मजदूर मिलकर सरकार के सामने अपनी मांगें रखेंगे.

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