नई दिल्ली : लॉकडाउन के दौरान सभी अपने-अपने घर जाने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि सरकार बार-बार जनता से अपील कर रही है कि लॉकडाउन के दौरान सभी लोग जो जहां है वहीं पर रहे, लेकिन मजदूर तबके के लोग सरकार के सिस्टम पर सवाल खड़ा कर रहे हैं कि उनको रुकने की जगह तो दी है लेकिन खाने के लिए जो खाना दिया वह खाने लायक नहीं है. ऐसे ही एक दिव्यांग गाजियाबाद से मैनपुरी पैदल-पैदल अपने घर जाने के लिए निकल चुका है.
'जिला प्रशासन द्वारा दिया गया खाना भी है बेकार'
सर पर तौलिया और मुंह पर मास्क लगाए हुए यह दिव्यांग अपने घर जाने के लिए तपती धूप में निकल चुका है. गाजियाबाद के खोड़ा में रहने वाले चंदन गाजियाबाद में पानी बेचने का काम करते है.
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लॉकडाउन में इनका काम बंद हो चुका है. खाने के लिए खाना नहीं और रहने के लिए छत नहीं है लेकिन जेब में पैसे नहीं है. सरकार के द्वारा लोगों को खाना तो दिया जा रहा है लेकिन चंदन का आरोप है कि ऐसा खाना कोई जानवर भी ना खाएं. इसलिए वह पैदल ही 260 किलोमीटर का सफर तय करने के लिए निकल चुका है.