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छत्तीसगढ़ : CD कांड में CM भूपेश बघेल पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलेगा

छत्तीसगढ़ के कथित सीडी कांड मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Oct 21, 2019, 9:52 PM IST

धरमलाल कौशिक ( फाइल फोटो)

बिलासपुर : उच्चतम न्यायालय ने कथित सीडी कांड मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ आरोपी के तौर पर आपराधिक मुकदमा चलाए जाने पर रोक लगा दी है. साथ ही मामले को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने की सीबीआई की याचिका पर मुख्यमंत्री से जवाब मांगा है. इस फैसले को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने खुशी जाहिर करते हुए फैसले का स्वागत किया है.

धरमलाल कौशिक ने कहा कि, 'यह स्वागत योग्य निर्णय है. इससे जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी. कहीं न कहीं इस मामले में दबाव और पक्षपात होने की संभावना थी. इसलिए प्रदेश के बाहर इसकी सुनवाई हो, जिसमें पारदर्शिता होगी और स्वतंत्र रूप से अपना बयान दे सकेंगे.'

धरमलाल कौशिक का बयान.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को सीबीआई की तरफ से पेश हुए सोलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि वह मामले को छत्तीसगढ़ से बाहर स्थानांतरित करना चाहते हैं क्योंकि अभियोजन पक्ष के दो गवाहों ने जांच एजेंसी से शिकायत की है कि उन्हें धमकी दी जा रही है.

पीठ में न्यायमूर्ति एस. ए. बोबड़े और न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर भी शामिल हैं. पीठ ने सीबीआई की याचिका पर मुख्यमंत्री से जवाब मांगा और इस बीच मामले में जारी सुनवाई पर रोक लगा दी.

मेहता ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई के लिए सीबीआई ने मामले को राज्य से बाहर भेजने की याचिका लगाई है क्योंकि आरोपी अब मुख्यमंत्री है और इस तरह की संभावनाएं हैं कि गवाहों पर दबाव बनाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें : छत्तीसगढ़: नौकरी छोड़ शुरू की खेती, लाखों रुपए कमा रही है ये बेटी

क्या था पूरा मामला-

सीबीआई ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष बघेल के खिलाफ 2017 में मामला दर्ज किया था. शिकायत में बताया गया था कि उन्होंने तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री और भाजपा नेता राजेश मुनत को फर्जी सेक्स सीडी मामले में कथित तौर पर फंसाने का प्रयास किया था.

रमन सिंह कैबिनेट में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री और भाजपा नेता ने बघेल और वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा के खिलाफ फर्जी सेक्स सीडी के माध्यम से कथित तौर पर उनकी छवि खराब करने के लिए शिकायत दर्ज कराई थी.

छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2017 में वर्मा के गाजियाबाद आवास पर छापेमारी की थी और बघेल के साथ मिलकर भाजपा नेता की कथित तौर पर छवि खराब करने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया था. तत्कालीन भाजपा सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था जिसने मामले में आरोपपत्र दायर किया है.

बिलासपुर : उच्चतम न्यायालय ने कथित सीडी कांड मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ आरोपी के तौर पर आपराधिक मुकदमा चलाए जाने पर रोक लगा दी है. साथ ही मामले को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने की सीबीआई की याचिका पर मुख्यमंत्री से जवाब मांगा है. इस फैसले को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने खुशी जाहिर करते हुए फैसले का स्वागत किया है.

धरमलाल कौशिक ने कहा कि, 'यह स्वागत योग्य निर्णय है. इससे जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी. कहीं न कहीं इस मामले में दबाव और पक्षपात होने की संभावना थी. इसलिए प्रदेश के बाहर इसकी सुनवाई हो, जिसमें पारदर्शिता होगी और स्वतंत्र रूप से अपना बयान दे सकेंगे.'

धरमलाल कौशिक का बयान.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को सीबीआई की तरफ से पेश हुए सोलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि वह मामले को छत्तीसगढ़ से बाहर स्थानांतरित करना चाहते हैं क्योंकि अभियोजन पक्ष के दो गवाहों ने जांच एजेंसी से शिकायत की है कि उन्हें धमकी दी जा रही है.

पीठ में न्यायमूर्ति एस. ए. बोबड़े और न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर भी शामिल हैं. पीठ ने सीबीआई की याचिका पर मुख्यमंत्री से जवाब मांगा और इस बीच मामले में जारी सुनवाई पर रोक लगा दी.

मेहता ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई के लिए सीबीआई ने मामले को राज्य से बाहर भेजने की याचिका लगाई है क्योंकि आरोपी अब मुख्यमंत्री है और इस तरह की संभावनाएं हैं कि गवाहों पर दबाव बनाया जा सकता है.

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क्या था पूरा मामला-

सीबीआई ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष बघेल के खिलाफ 2017 में मामला दर्ज किया था. शिकायत में बताया गया था कि उन्होंने तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री और भाजपा नेता राजेश मुनत को फर्जी सेक्स सीडी मामले में कथित तौर पर फंसाने का प्रयास किया था.

रमन सिंह कैबिनेट में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री और भाजपा नेता ने बघेल और वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा के खिलाफ फर्जी सेक्स सीडी के माध्यम से कथित तौर पर उनकी छवि खराब करने के लिए शिकायत दर्ज कराई थी.

छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2017 में वर्मा के गाजियाबाद आवास पर छापेमारी की थी और बघेल के साथ मिलकर भाजपा नेता की कथित तौर पर छवि खराब करने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया था. तत्कालीन भाजपा सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था जिसने मामले में आरोपपत्र दायर किया है.

Intro:प्रदेश में कथित सीडी कांड की सुनवाई छत्तीसगढ़ से बाहर करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने स्वागत किया है । कौशिक ने कहा कि यह स्वागतयोग्य निर्णय है,इससे जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी ।


Body:ज्ञात हो कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने मामले में आगे की सुनवाई दिल्ली में करवाने के आदेश दिया है । प्रदेश में मामले की सुनवाई को लेकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गवाहों पर दवाब और जांच प्रक्रिया प्रभावित होने की बात कहते हुए एक याचिका दायर की थी । जिसपर उनके हक़ में निर्णय सुनाया गया है ।


Conclusion:सीबीआई ने इस मामले में छत्तीसगढ़ के बजाय किसी अन्य हाईकोर्ट में मामले के ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी । सीबीआई की ओर से दायर याचिका में कैलाश मुरारका समेत 4 अन्य को प्रतिवादी बनाया गया था । यह मामला 27 अक्टूबर 2017 का है जब एक पूर्व मंत्री की एक कथित अश्लील सीडी बाहर आने के बाद प्रदेश की राजनीतिक जगत में भूचाल आ गया था ।
बाईट.... धरमलाल कौशिक.... नेता प्रतिपक्ष
विशाल झा..... बिलासपुर
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