ETV Bharat / bharat

लातूर वासियों की अनोखी पहल के कारण नहीं हुई बप्पा की विदाई, जानें - लातूर के जिला मजिस्ट्रेट

महाराष्ट्र के लातूर में गणेश उत्सव को मनाने का ढंग इस बार बेहद निराला था. प्रशासन के आदेश के बाद लोगों ने बप्पा का विसर्जन नहीं किया, बल्कि उनकी मूर्तियां संभाल के रखीं. इसके पीछे पानी को प्रदूषित न करने का कारण छिपा था. जानें पूरी कहानी

लातूर वासियों की खास पहल
author img

By

Published : Sep 15, 2019, 11:12 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 6:36 PM IST

लातूर: महाराष्ट्र के साथ-साथ पूरे देश में गणेश उत्सव उत्साह के साथ मनाया गया. बप्पा को बड़े प्यार से चतुर्थी के दिन घर लाया गया और फिर धूम-धाम के साथ बप्पा की विदाई भी की गई. हालांकि, इस बार महाराष्ट्र के लातूर में कुछ जरा हटके देखने को मिला.

लोग बप्पा को घर तो लाए, मगर विसर्जित कर उनकी विदाई नहीं की. लातूर के जिला मजिस्ट्रेट के आदेशानुसार लोगों ने अपनी-अपनी बप्पा की मूर्तियां जमा कर दी. जमा की गई मूर्तियों की संख्या करीब 30 हजार है. आने वाले गणेश उत्सव में इन मूर्तियों का इस्तेमाल किया जाएगा.

लातूर वासियों की खास पहल, देखें वीडियो.

मजिस्ट्रेट के इस कदम की सराहना हुई और लोगों ने इसका समर्थन किया. मजिस्ट्रेट द्वारा लिए गए इस फैसला के पीछे कुछ कारण छिपे हैं. इन कारणों में सबसे पहला है कि तालाब-नदी प्रदूषित होने से बचाना. साथ ही मूर्तियां विसर्जित होने से नदियां पटती है, इससे भी नदियों को बचाने की जरूरत है. यही नहीं जल जीवन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है.

पढ़ें: आखिर ये कैसे....ऑपरेशन के दौरान बच्ची गा रही गाना

लातूर वो क्षेत्र है, जो हर साल सूखे की मार झेलता है और कई किसान अपनी जान देते हैं. ऐसे में पानी को बचाना और स्वच्छ रखना सिर्फ लोगों की चाहत नहीं, बल्कि जरूरत है.

लातूर: महाराष्ट्र के साथ-साथ पूरे देश में गणेश उत्सव उत्साह के साथ मनाया गया. बप्पा को बड़े प्यार से चतुर्थी के दिन घर लाया गया और फिर धूम-धाम के साथ बप्पा की विदाई भी की गई. हालांकि, इस बार महाराष्ट्र के लातूर में कुछ जरा हटके देखने को मिला.

लोग बप्पा को घर तो लाए, मगर विसर्जित कर उनकी विदाई नहीं की. लातूर के जिला मजिस्ट्रेट के आदेशानुसार लोगों ने अपनी-अपनी बप्पा की मूर्तियां जमा कर दी. जमा की गई मूर्तियों की संख्या करीब 30 हजार है. आने वाले गणेश उत्सव में इन मूर्तियों का इस्तेमाल किया जाएगा.

लातूर वासियों की खास पहल, देखें वीडियो.

मजिस्ट्रेट के इस कदम की सराहना हुई और लोगों ने इसका समर्थन किया. मजिस्ट्रेट द्वारा लिए गए इस फैसला के पीछे कुछ कारण छिपे हैं. इन कारणों में सबसे पहला है कि तालाब-नदी प्रदूषित होने से बचाना. साथ ही मूर्तियां विसर्जित होने से नदियां पटती है, इससे भी नदियों को बचाने की जरूरत है. यही नहीं जल जीवन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है.

पढ़ें: आखिर ये कैसे....ऑपरेशन के दौरान बच्ची गा रही गाना

लातूर वो क्षेत्र है, जो हर साल सूखे की मार झेलता है और कई किसान अपनी जान देते हैं. ऐसे में पानी को बचाना और स्वच्छ रखना सिर्फ लोगों की चाहत नहीं, बल्कि जरूरत है.

Intro:लातूरचा नवा पॅटर्न : 30 हजार 'बाप्पा' एकाच ठिकाणी
लातूर : जिल्हा प्रशासनाच्या आवाहनाला साद घालत गणेश मंडळांनी गणेश मूर्तींच्या संकलनाला उत्स्फूर्त प्रतिसाद दिला आहे. शहरानजीकच्या गावात तब्बल 30 हजाराहून अधिक गणेश मूर्तींचे संकलन करण्यात आले असून लवकरच या मुर्त्या मूर्तिकाराला दिल्या जाणार असल्याचे जिल्हाधिकारी यांनी म्हटले आहे.


Body:पाणीटंचाईची गंभीर समस्या निर्माण झाल्याने गणेश मूर्तींचे विसर्जन करावे कुठे असा सवाल उपस्थित झाला होता. जिल्हा प्रशासनान आणि शहरातील गणेश मंडळांनी एकत्र येत यंदा मूर्तींचे विसर्जन नाहीतर मूर्तीदान करण्याचा निर्णय घेतला होता. यामध्ये शहरातील एकाही मंडळाने दुमत व्यक्त केले नाही. उलट हाच उपक्रम स्तुत्य असून यातून पर्यावरणाचे संवर्धन होणार असल्याचे मत लातूरकरांनी व्यक्त केले. आणि संकल्पित असलेला हा उपक्रम प्रत्यक्षात उतरला आहे. शहराजवळच्या कोळपा गाव शिवारात तब्बल 30 हजार गणेश मूर्तींचे संकलन करण्यात आले आहे. या ठिकाणीच निवाऱ्याची सोय करण्यात येणार असल्याचे मनपा अधिकऱ्यांनी सांगितले आहे. शहरासह लगतच्या ग्रामीण भागातील गणेश मंडळांनीही मूर्ती संकलन करण्यावरच भर दिला. जिल्हाधिकारी जी श्रीकांत यांच्या या संकल्पनेचे सर्वत्र कौतुक होत असून हा नवा लातूर पॅटर्न झाला असल्याच्या भावना व्यक्त केला जात आहे.


Conclusion:गणेश मूर्ती संकलन केलेल्या मंडळाची नोंद जिल्हा प्रशासनाने केली असून या मंडळांना प्रमाणपत्रही देण्यात येणार असल्याचे सांगण्यात आले आहे. पाणी संकट आले तरी या उपक्रमांतून एक नवा मार्ग येथील गणेश मंडळ आणि जिल्हा प्रशासन अवलंबला आहे.
Last Updated : Sep 30, 2019, 6:36 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.