लातूर: महाराष्ट्र के साथ-साथ पूरे देश में गणेश उत्सव उत्साह के साथ मनाया गया. बप्पा को बड़े प्यार से चतुर्थी के दिन घर लाया गया और फिर धूम-धाम के साथ बप्पा की विदाई भी की गई. हालांकि, इस बार महाराष्ट्र के लातूर में कुछ जरा हटके देखने को मिला.
लोग बप्पा को घर तो लाए, मगर विसर्जित कर उनकी विदाई नहीं की. लातूर के जिला मजिस्ट्रेट के आदेशानुसार लोगों ने अपनी-अपनी बप्पा की मूर्तियां जमा कर दी. जमा की गई मूर्तियों की संख्या करीब 30 हजार है. आने वाले गणेश उत्सव में इन मूर्तियों का इस्तेमाल किया जाएगा.
मजिस्ट्रेट के इस कदम की सराहना हुई और लोगों ने इसका समर्थन किया. मजिस्ट्रेट द्वारा लिए गए इस फैसला के पीछे कुछ कारण छिपे हैं. इन कारणों में सबसे पहला है कि तालाब-नदी प्रदूषित होने से बचाना. साथ ही मूर्तियां विसर्जित होने से नदियां पटती है, इससे भी नदियों को बचाने की जरूरत है. यही नहीं जल जीवन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है.
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लातूर वो क्षेत्र है, जो हर साल सूखे की मार झेलता है और कई किसान अपनी जान देते हैं. ऐसे में पानी को बचाना और स्वच्छ रखना सिर्फ लोगों की चाहत नहीं, बल्कि जरूरत है.