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विस्थापित मजदूरों के लिए आरएसएस बना रहा योजना - संघ

सरकार के साथ मंथन के बाद संघ मजदूरों के पुनर्स्थापना और प्रवासी मजदूरों को उनके गांव और कस्बों में रोजगार दिलाने के लिए योजनाएं तैयार कर रहा है. संघ उन संस्थाओं से बातचीत कर रहा है, जो इन प्रवासी श्रमिकों और मजदूरों को नौकरियों में मदद कर सकते हैं. संघ इस योजना में भारत सरकार की आत्मनिर्भर योजना की भी मदद लेगा.

mohan bhagwat
मोहन भागवत
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Published : Sep 12, 2020, 8:22 PM IST

नई दिल्ली : सरकार के साथ मिलकर राष्ट्रीय सेवक संघ (आरएसएस) प्रवासी मजदूरों को उनके गांव और जिलों में काम दिलाने की योजना तैयार कर रहा है. यही नहीं आरएसएस अब अपने स्वयंसेवकों के साथ फिर से शाखा लगाने पर भी चर्चा कर रहा है.

मजदूरों के लिए सरकार के साथ आरएसएस
कोविड-19 और उसके कारण लगे लॉकडाउन के चलते देश भर के करोड़ों मजदूरों को पलायन करना पड़ा. नौकरी छोड़ उन्हें अपने गांव वापस लौटना पड़ा. सरकार के लिए यह मुद्दा बड़ा सिरदर्द बना हुआ है. इन मजदूरों को लेकर सरकार असमंजस की स्थिति में है. बहरहाल, अब सरकार ने संघ की मदद ली है. सरकार के साथ मंथन के बाद संघ ने मजदूरों के पुनर्स्थापना और प्रवासी मजदूरों को उनके गांव और कस्बों में ही रोजगार दिलाने की योजना तैयार कर रहा है. संघ उन संस्थाओं से बातचीत कर रहा है, जो इन प्रवासी श्रमिकों और मजदूरों को नौकरियों में मदद कर सकते हैं.

रोजगार दिलाने के लिए योजनाएं तैयार कर रहा संघ.

जिले और कस्बे में नौकरी दिलाने की तैयारी

संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस संबंध में ईटीवी भारत को बताया कि संघ के स्वयंसेवकों ने जिला स्तर पर एक सर्वेक्षण किया है, जिसमें यह बात निकलकर आई है कि ज्यादातर प्रवासी मजदूर अपने जिले और कस्बे में ही नौकरी करना चाहते हैं. कुछ लोग ही ऐसे हैं, जो वापस जाने की इच्छा रखते हैं. इसी सर्वे के आधार पर गांव से संबंधित और कृषि से संबंधित विश्वविद्यालयों और संस्थानों से संपर्क किया जा रहा है.

घर-घर जाकर आंकड़ा कर रहे तैयार

कोशिश है कि प्रवासी मजदूरों को प्रशिक्षण दिलाकर हुनर के आधार पर नौकरी दिलाई जाए. इसके लिए संघ ने हर जिले में स्वयंसेवकों के एक-एक समूह तैयार किए हैं. स्वयंसेवक घर-घर जाकर प्रवासी मजदूरों की संख्या और उन्हें आ रही दिक्कतों से संबंधित खाका तैयार कर रहे हैं. यह आंकड़ा तैयार करने के बाद संघ मुख्यालय भेजा जाएगा. उसके बाद प्रवासी मजदूरों के लिए नई योजना का प्रारूप फाइनल किया जाएगा.

आत्मनिर्भर योजना पर काम

संघ के ही एक पदाधिकारी ने बताया कि ग्राम विकास पहल के तहत डेयरी और कृषि क्षेत्र में काम कर रहे लोगों के लिए मक्खन, गोमूत्र और गोबर जैसी चीजें कमाई का साधन बन सकती हैं. इसके लिए भी प्रवासी मजदूरों को प्रशिक्षण देने की तैयारी की जा रही है. कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो भारत सरकार की आत्मनिर्भर योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए अब सरकार के साथ आरएसएस कदमताल मिलाने को पूरी तरह से तैयार है.


फिर लगेगी शाखा
लॉकडाउन के दौरान संघ की शाखाएं भी बंद हो गईं थीं. अब सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जिन इलाकों में कंटेनमेंट जोन नहीं है, वहां फिर से शाखा शुरू करने पर विचार कर किया जा रहा है. शाखा में 100 से ज्यादा लोगों को शामिल नहीं करने का निर्णय लिया गया है. लॉकडाउन में आरएसएस के स्वयंसेवकों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा के लिए संघ प्रमुख अगले सप्ताह कोलकाता और कानपुर का भी दौरा कर सकते हैं. सूत्रों की मानें तो 22 सितंबर से संघ प्रमुख मोहन भागवत कोलकाता की तीन दिवसीय यात्रा पर जाएंगे. यहां वह सभी पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे. इसके अलावा मोहन भागवत का कानपुर में भी दौरा करने का कार्यक्रम है.

पढ़ें-रिया के खुलासे के बाद एनसीबी की रडार पर 15 बॉलीवुड हस्तियां

नई दिल्ली : सरकार के साथ मिलकर राष्ट्रीय सेवक संघ (आरएसएस) प्रवासी मजदूरों को उनके गांव और जिलों में काम दिलाने की योजना तैयार कर रहा है. यही नहीं आरएसएस अब अपने स्वयंसेवकों के साथ फिर से शाखा लगाने पर भी चर्चा कर रहा है.

मजदूरों के लिए सरकार के साथ आरएसएस
कोविड-19 और उसके कारण लगे लॉकडाउन के चलते देश भर के करोड़ों मजदूरों को पलायन करना पड़ा. नौकरी छोड़ उन्हें अपने गांव वापस लौटना पड़ा. सरकार के लिए यह मुद्दा बड़ा सिरदर्द बना हुआ है. इन मजदूरों को लेकर सरकार असमंजस की स्थिति में है. बहरहाल, अब सरकार ने संघ की मदद ली है. सरकार के साथ मंथन के बाद संघ ने मजदूरों के पुनर्स्थापना और प्रवासी मजदूरों को उनके गांव और कस्बों में ही रोजगार दिलाने की योजना तैयार कर रहा है. संघ उन संस्थाओं से बातचीत कर रहा है, जो इन प्रवासी श्रमिकों और मजदूरों को नौकरियों में मदद कर सकते हैं.

रोजगार दिलाने के लिए योजनाएं तैयार कर रहा संघ.

जिले और कस्बे में नौकरी दिलाने की तैयारी

संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस संबंध में ईटीवी भारत को बताया कि संघ के स्वयंसेवकों ने जिला स्तर पर एक सर्वेक्षण किया है, जिसमें यह बात निकलकर आई है कि ज्यादातर प्रवासी मजदूर अपने जिले और कस्बे में ही नौकरी करना चाहते हैं. कुछ लोग ही ऐसे हैं, जो वापस जाने की इच्छा रखते हैं. इसी सर्वे के आधार पर गांव से संबंधित और कृषि से संबंधित विश्वविद्यालयों और संस्थानों से संपर्क किया जा रहा है.

घर-घर जाकर आंकड़ा कर रहे तैयार

कोशिश है कि प्रवासी मजदूरों को प्रशिक्षण दिलाकर हुनर के आधार पर नौकरी दिलाई जाए. इसके लिए संघ ने हर जिले में स्वयंसेवकों के एक-एक समूह तैयार किए हैं. स्वयंसेवक घर-घर जाकर प्रवासी मजदूरों की संख्या और उन्हें आ रही दिक्कतों से संबंधित खाका तैयार कर रहे हैं. यह आंकड़ा तैयार करने के बाद संघ मुख्यालय भेजा जाएगा. उसके बाद प्रवासी मजदूरों के लिए नई योजना का प्रारूप फाइनल किया जाएगा.

आत्मनिर्भर योजना पर काम

संघ के ही एक पदाधिकारी ने बताया कि ग्राम विकास पहल के तहत डेयरी और कृषि क्षेत्र में काम कर रहे लोगों के लिए मक्खन, गोमूत्र और गोबर जैसी चीजें कमाई का साधन बन सकती हैं. इसके लिए भी प्रवासी मजदूरों को प्रशिक्षण देने की तैयारी की जा रही है. कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो भारत सरकार की आत्मनिर्भर योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए अब सरकार के साथ आरएसएस कदमताल मिलाने को पूरी तरह से तैयार है.


फिर लगेगी शाखा
लॉकडाउन के दौरान संघ की शाखाएं भी बंद हो गईं थीं. अब सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जिन इलाकों में कंटेनमेंट जोन नहीं है, वहां फिर से शाखा शुरू करने पर विचार कर किया जा रहा है. शाखा में 100 से ज्यादा लोगों को शामिल नहीं करने का निर्णय लिया गया है. लॉकडाउन में आरएसएस के स्वयंसेवकों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा के लिए संघ प्रमुख अगले सप्ताह कोलकाता और कानपुर का भी दौरा कर सकते हैं. सूत्रों की मानें तो 22 सितंबर से संघ प्रमुख मोहन भागवत कोलकाता की तीन दिवसीय यात्रा पर जाएंगे. यहां वह सभी पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे. इसके अलावा मोहन भागवत का कानपुर में भी दौरा करने का कार्यक्रम है.

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