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मूल डिजाइन की तुलना में और भव्य होगा राम मंदिर, जानें पूरा विवरण

अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर अपने मूल डिजाइन से तकरीबन दोगुने आकार में होगा. मंदिर को नागर शैली में बनाया जाएगा. इसमें पांच शिखर होंगे. पहले के डिजाइन में दो शिखर की परिकल्पना की गई थी. अगले साढ़े तीन सालों में परियोजना के पूरा होने की संभावना है.

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राम मंदिर
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Published : Aug 3, 2020, 3:33 PM IST

Updated : Aug 3, 2020, 6:49 PM IST

अयोध्या : लंबे विवाद और अदालती प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम जन्मभूमि भूमि विवाद में अंतिम फैसला सुनाया. अब मंदिर के लिए भूमि पूजन किया जाना है. मंदिर कैसा होगा ? इस सहज सवाल पर राम मंदिर के वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा कहते हैं कि उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद मंदिर के डिजाइन में संशोधन किया गया है. सोमपुरा ने बताया, 'अब राम मंदिर में गर्भगृह के ठीक ऊपर शिखर होगा और पांच शिखर होंगे. मंदिर की ऊंचाई भी पहले से अधिक होगी.'

77 साल के सोमपुरा मंदिरों का नक्शा तैयार करने वाले परिवार से आते हैं. वह ऐसे 200 से अधिक ढांचे की डिजाइन तैयार कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के दिवगंत नेता अशोक सिंघल ने करीब 30 साल पहले उनसे राम मंदिर का नक्शा तैयार करने को कहा था.

मंदिर में पांच शिखर होने के कारण पर सोमपुरा दो वजहें बताते हैं. उनके अनुसार मंदिर के लिए अब जमीन की कोई कमी नहीं है. और दूसरा कारण हर दिन मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है. सोमपुरा मानते हैं कि मंदिर का आकार बढ़ाने से उसमें ज्यादा श्रद्धालु आ सकेंगे.

सोमपुरा ने बताया कि 30 साल पहले राम मंदिर को डिजाइन करना एक कठिन काम था, क्योंकि उन्हें माप की इकाई के रूप में अपने कदमों का उपयोग करते हुए चित्र तैयार करने थे.

राम मंदिर के डिजाइन को लेकर ईटीवी भारत की रिपोर्ट

उन्होंने बताया, 'जब 1990 में मैंने अयोध्या में पहली बार वह जगह देखी तो उस समय सुरक्षा कारणों से परिसर में कुछ भी ले जाने की अनुमति नहीं थी. यहां तक कि नाप लेने वाले टेप को साथ रखने नहीं दिया गया, मुझे अपने कदमों से माप लेनी पड़ी थी.'

सोमपुरा ने बताया कि उनके नक्शे के डिजाइन को ही देखते हुए विहिप ने 1990 में अयोध्या में पत्थर को तराशने की इकाई स्थापित की थी.

मंदिर के मुख्य वास्तुकार सी. सोमपुरा के बेटे और वास्तुकार निखिल सोमपुरा ने कहा, 'मंदिर का पिछला डिजाइन 1988 में तैयार किया गया था. उसे 30 साल से अधिक समय हो चुका है .. यहां अधिक लोगों के आने की संभावना है. लोग मंदिर जाने को लेकर भी बहुत उत्साहित हैं. इसलिए, हमने सोचा कि इसका आकार बढ़ाया जाना चाहिए.'

यह भी पढ़ें-जानें राम मंदिर निर्माण में कैसे अहम भूमिका निभाई हरिद्वार ने

उन्होंने बताया कि संशोधित डिजाइन के अनुसार, मंदिर की ऊंचाई 141 फीट से बढ़ाकर 161 फीट कर दी गई है. साल 1988 में तैयार मूल डिजाइन में मंदिर की ऊंचाई 141 फीट बताई गई है, जिसे बढ़ाकर 161 फीट कर दिया गया है.

सोमपुरा ने आगे कहा कि मंदिर के डिजाइन में दो और मंडपों को जोड़ा गया है और पहले के डिजाइन के आधार पर उकेरे गए पत्थरों और सभी स्तंभों का उपयोग भी किया जाएगा. नए डिजाइन में सिर्फ दो नए 'मंडप' जोड़े गए हैं.

सोमपुरा ने कहा, 'जैसे ही भूमि पूजन समारोह संपन्न होगा, वैसे ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. मशीनरी और सामग्रियों के साथ लार्सन और टुब्रो की टीम मौके पर पहुंच गई है और नींव का काम तुरंत शुरू हो जाएगा. काम पूरा होने में तीन से साढ़े तीन साल लगेंगे.'

तीन दिवसीय वैदिक अनुष्ठान भव्य भूमि पूजन समारोह से पहले आयोजित किया जाएगा. यह अनुष्ठान नींव के पत्थर के रूप में 40 किलो चांदी की ईंट की स्थापना को लेकर होगा.

अनुष्ठान 3 अगस्त को 'गौरी गणेश' पूजा के साथ शुरू होगा और इसके बाद चार अगस्त को 'रामरचा' होगा, जिसमें बिना रूके 'राम नाम' का पाठ किया जाएगा.

अयोध्या : लंबे विवाद और अदालती प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम जन्मभूमि भूमि विवाद में अंतिम फैसला सुनाया. अब मंदिर के लिए भूमि पूजन किया जाना है. मंदिर कैसा होगा ? इस सहज सवाल पर राम मंदिर के वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा कहते हैं कि उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद मंदिर के डिजाइन में संशोधन किया गया है. सोमपुरा ने बताया, 'अब राम मंदिर में गर्भगृह के ठीक ऊपर शिखर होगा और पांच शिखर होंगे. मंदिर की ऊंचाई भी पहले से अधिक होगी.'

77 साल के सोमपुरा मंदिरों का नक्शा तैयार करने वाले परिवार से आते हैं. वह ऐसे 200 से अधिक ढांचे की डिजाइन तैयार कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के दिवगंत नेता अशोक सिंघल ने करीब 30 साल पहले उनसे राम मंदिर का नक्शा तैयार करने को कहा था.

मंदिर में पांच शिखर होने के कारण पर सोमपुरा दो वजहें बताते हैं. उनके अनुसार मंदिर के लिए अब जमीन की कोई कमी नहीं है. और दूसरा कारण हर दिन मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है. सोमपुरा मानते हैं कि मंदिर का आकार बढ़ाने से उसमें ज्यादा श्रद्धालु आ सकेंगे.

सोमपुरा ने बताया कि 30 साल पहले राम मंदिर को डिजाइन करना एक कठिन काम था, क्योंकि उन्हें माप की इकाई के रूप में अपने कदमों का उपयोग करते हुए चित्र तैयार करने थे.

राम मंदिर के डिजाइन को लेकर ईटीवी भारत की रिपोर्ट

उन्होंने बताया, 'जब 1990 में मैंने अयोध्या में पहली बार वह जगह देखी तो उस समय सुरक्षा कारणों से परिसर में कुछ भी ले जाने की अनुमति नहीं थी. यहां तक कि नाप लेने वाले टेप को साथ रखने नहीं दिया गया, मुझे अपने कदमों से माप लेनी पड़ी थी.'

सोमपुरा ने बताया कि उनके नक्शे के डिजाइन को ही देखते हुए विहिप ने 1990 में अयोध्या में पत्थर को तराशने की इकाई स्थापित की थी.

मंदिर के मुख्य वास्तुकार सी. सोमपुरा के बेटे और वास्तुकार निखिल सोमपुरा ने कहा, 'मंदिर का पिछला डिजाइन 1988 में तैयार किया गया था. उसे 30 साल से अधिक समय हो चुका है .. यहां अधिक लोगों के आने की संभावना है. लोग मंदिर जाने को लेकर भी बहुत उत्साहित हैं. इसलिए, हमने सोचा कि इसका आकार बढ़ाया जाना चाहिए.'

यह भी पढ़ें-जानें राम मंदिर निर्माण में कैसे अहम भूमिका निभाई हरिद्वार ने

उन्होंने बताया कि संशोधित डिजाइन के अनुसार, मंदिर की ऊंचाई 141 फीट से बढ़ाकर 161 फीट कर दी गई है. साल 1988 में तैयार मूल डिजाइन में मंदिर की ऊंचाई 141 फीट बताई गई है, जिसे बढ़ाकर 161 फीट कर दिया गया है.

सोमपुरा ने आगे कहा कि मंदिर के डिजाइन में दो और मंडपों को जोड़ा गया है और पहले के डिजाइन के आधार पर उकेरे गए पत्थरों और सभी स्तंभों का उपयोग भी किया जाएगा. नए डिजाइन में सिर्फ दो नए 'मंडप' जोड़े गए हैं.

सोमपुरा ने कहा, 'जैसे ही भूमि पूजन समारोह संपन्न होगा, वैसे ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. मशीनरी और सामग्रियों के साथ लार्सन और टुब्रो की टीम मौके पर पहुंच गई है और नींव का काम तुरंत शुरू हो जाएगा. काम पूरा होने में तीन से साढ़े तीन साल लगेंगे.'

तीन दिवसीय वैदिक अनुष्ठान भव्य भूमि पूजन समारोह से पहले आयोजित किया जाएगा. यह अनुष्ठान नींव के पत्थर के रूप में 40 किलो चांदी की ईंट की स्थापना को लेकर होगा.

अनुष्ठान 3 अगस्त को 'गौरी गणेश' पूजा के साथ शुरू होगा और इसके बाद चार अगस्त को 'रामरचा' होगा, जिसमें बिना रूके 'राम नाम' का पाठ किया जाएगा.

Last Updated : Aug 3, 2020, 6:49 PM IST
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