नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव में 19% यानी 1500 दागी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहें हैं. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के मुताबिक यह आंकड़े हर लोकसभा चुनाव में बढ़ते जा रहे हैं जो लोकतंत्र के लिए खतरा है.
एडीआर के संस्थापक सदस्य प्रोफेसर जगदीप छोकर ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि 2009 में जहां 15% प्रत्याशियों पर अपराधिक मामले दर्ज थे तो वहीं 2014 में 17% उम्मीदवारों पर यह मामले थे.
जगदीप छोकर ने आगे कहा कि यह हैरान करने वाली बात है कि इस लोक सभा चुनाव में आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों की संख्या अब तक के चुनावों में सबसे अधिक है और यह लोकतंत्र के लिये खतरा है. इस पर कोई भी राजनीतिक दल चिंता व्यक्त करता नजर नहीं आ रहा है.
उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि भाजपा ने 175 तो कांग्रेस ने 164 दागी उम्मीदवार उतारे हैं. वहीं, मायावती की बसपा में 85 दागियों को टिकट दिया है.
एडीआर के मुताबिक देश में राजनीतक दलों की संख्या भी बढ़ती जा रही है, 2009 में जहां सिर्फ 368 दलों ने चुनाव लड़ा तो वहीं 2014 में इनकी संख्या बढ़कर 464 हुई जबकि इस लोकसभा चुनाव में 677 राजनितिक दल चुनाव लड़ रहे हैं.
प्रो. जगदीप ने कहा कि मौजूदा समय में 2600 से भी अधिक राजनीतिक दल रजिस्टर्ड हैं और इनमें से सिर्फ 677 दल ही चुनाव लड़ रहे हैं. लोकतंत्र में कोई भी चुनाव लड़े यह बेहतर है लेकिन यदि वह टैक्स बचाने के लिये ऐसा करते हैं तो गलत है.
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एडीआर के संस्थापक सदस्य ने बताया कि कुल 8049 उम्मीदवारों में से 7928 उम्मीदवारों के हलफनामे का विश्लेशण करने के बाद पाया कि कुल 2297 यानी 29% उम्मीदवार करोड़पति हैं.
उन्होंने कहा कि इन उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार हैं लेकिन हमें यह देखना होगा कि यह धन सिर्फ राजनेताओं का ही बढ़ा है या उनसे जुड़ी जनता की अर्थिक स्थिति को भी कुछ फायदा हुआ है.