नई दिल्ली: अलका लांबा ने दूसरा ट्वीट करके सीएम केजरीवाल पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'अरविंद केजरीवाल जी, आपके प्रवक्ता ने आपकी मर्जी के अनुसार पूरे घमंड के साथ मुझसे कहा था कि पार्टी मेरा इस्तीफा ट्वीटर पर भी स्वीकार कर लेगी. इसलिए 'आम आदमी पार्टी' जोकि अब 'खास आदमी' पार्टी बन चुकी है की प्राथमिक सदस्यता से मेरा इस्तीफा स्वीकार कीजिए.'
अलका लांबा AAP की संस्थापक सदस्यों में एक रहीं और उसके बाद विधायक बनी. अलका लांबा ने आज ट्वीट कर कहा कि आज AAP को गुड बाय बोल दिया है. उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की बात कही है. अलका लांबा ने इसी सप्ताह कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी.
दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अलका लांबा कांग्रेस को सत्ता में काबिज करने के लिए AAP सरकार की पोल खोलने में भूमिका निभा सकती हैं. कांग्रेस अलका को केजरीवाल के खिलाफ इस्तेमाल कर विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत बनाने की कोशिश करेगी.
आपको बता दें, AAP के कई विधायक पिछले दिनों बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. उसके बाद जिस तरह से बीजेपी के वरिष्ठ नेता कह रहे हैं कि AAP के अभी और विधायक बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं. कांग्रेस में अलका लांबा शामिल होती हैं तो यह भाजपा को मुकाबला देने के लिए भी कांग्रेस के पास मजबूत आधार होगा. वह AAP के क्रियाकलापों की पोल खोल करने में मदद करेगी.
बता दें कि इससे पहले भी कई दफा अलका लांबा ने AAP से अलग होने की बात कही थी. तब इस्तीफ़ा को लेकर अटकलें लगाया जा रहा था. लेकिन उन्होंने इस्तीफा देने को लेकर पस्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं कहा था. अब जिस तरह अलका ने ऐलान किया है जल्द ही अलका अगले राजनीतिक पारी के बारे में रणनीति भी बताएंगी.
उल्लेखनीय है कि लांबा पिछले कुछ समय से आप नेतृत्व खासकर पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कार्यशैली से नाराज़ चल रही थीं. केजरीवाल पर पार्टी में मनमानी करने का आरोप लगते हुए वह इसका सार्वजनिक तौर पर कई बार मुखर विरोध कर चुकी है.
लांबा और आम आदमी पार्टी के बीच पिछले कुछ समय से टकराव की स्थिति जो शुरू हुई, वह किसी न किसी रूप में चलती रही है. लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने अपने राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से जवाबदेही मांगी थी. इसके बाद उन्हें पार्टी विधायकों के आधिकारिक व्हाट्सऐप ग्रुप से हटा दिया गया था.
उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करने से इनकार कर दिया था और उन्होंने केजरीवाल के रोडशो के दौरान मुख्यमंत्री की कार के पीछे चलने के लिए कहे जाने के बाद रोडशो में भाग नहीं लिया था.
लांबा और आप के बीच सबसे पहले टकराव राजीव गांधी को दिए गए भारत रत्न सम्मान को वापस लिए जाने संबंधी प्रस्ताव पारित करने के पार्टी के फैसले को लेकर हुआ था. लांबा ने पार्टी के प्रस्ताव पर आपत्तियां उठाई थीं.
पढ़ें- नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में लगी आग
उन्होंने दिसंबर 2018 में ट्वीट किया था कि आप ने उन्हें प्रस्ताव का समर्थन करने को कहा जिससे उन्होंने इनकार कर दिया. लांबा ने कहा था कि वह इसके लिए किसी भी सजा का सामना करने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस से शुरू किया था और आप में शामिल होने से पहले उन्होंने करीब 20 साल विभिन्न भूमिकाओं में पार्टी की सेवा की.
दिल्ली में अगले साल जनवरी में संभावित विधानसभा चुनाव के पहले लांबा ने आप छोड़ने की घोषणा कर कांग्रेस में एक बार फिर शामिल होने की अटकलों को हवा दे दी है.
फ़िलहाल लांबा ने अपनी भविष्य की रणनीति के बारे में कोई स्पष्ट ख़ुलासा नहीं किया है.