नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे ऐसे सभी विचाराधीन कैदियों को निजी मुचलके पर रिहा करें, जिन्हें जमानत तो मिल चुकी है लेकिन वे जमानत राशि नहीं दे पा रहे हैं.
वैश्विक महामारी कोविड-19 का संक्रमण फैलने से रोकने के उद्देश्य से उच्च स्तरीय समिति ने जेलों में भीड़ कम करने के लिए विचाराधीन कैदियों को रिहा करने का सुझाव दिया था.
न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंड लॉ और न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की पीठ ने ये निर्देश उच्च स्तरीय समिति के सुझावों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए दिए.
गौरतलब है कि देश में कोविड-19 के कारण अब तक 169 लोगों की मौत हो चुकी है और 5,865 लोग संक्रमित हैं.
यह निर्देश उन विचाराधीन कैदियों पर लागू होगा जिन्हें सात अप्रैल या इससे पहले जमानत दी गई है.
समिति ने मंगलवार की बैठक में कहा था कि इन कैदियों के जमानत आदेशों में बदलाव दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायिक आदेश के जरिए ही किया जा सकता है.
दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली समिति में यह बात उठी थी कि कई विचाराधीन कैदी ऐसे हैं, जो जमानत मिलने के बावजूद जेलों में ही हैं क्योंकि वे इसकी राशि नहीं दे पा रहे हैं.