ETV Bharat / bharat

दिल्ली : 31 कैदियों की जल्द होगी रिहाई, मनु शर्मा को नहीं मिली राहत

सात सदस्यीय सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) ने 31 कैदियों की जल्द रिहाई को मंजूरी दे दी, अन्य कैदियों की याचिका खारिज कर दी, जबकि बोर्ड ने सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ मनु शर्मा के मामले को पांचवीं बार स्‍थगित कर दिया. जानें पूरा विवरण...

मनु शर्मा
मनु शर्मा
author img

By

Published : Mar 2, 2020, 4:56 PM IST

Updated : Mar 3, 2020, 4:25 AM IST

नई दिल्‍ली : सात सदस्यीय सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) ने 31 कैदियों की जल्द रिहाई को मंजूरी दे दी एवं अन्य कैदियों की याचिका खारिज कर दी, जबकि बोर्ड ने सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ मनु शर्मा के मामले को पांचवीं बार स्‍थगित कर दिया. खास बात यह है कि दिल्‍ली एसआरबी ने उम्रकैद की सजा पाए जिन 31 दोषियों की रिहाई को मंजूरी दी, उनमें आठ दिल्‍ली के बहुचर्चित कनॉट प्‍लेस डबल मर्डर-फेक एनकाउंटर केस के दोषी आठ दिल्‍ली पुलिसकर्मी भी शामिल हैं.

गत शुक्रवार की बोर्ड बैठक में मौजूद रहे एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, 'बोर्ड ने शर्मा के मामले को स्‍थगित करने का फैसला किया, क्योंकि 7 सदस्यों में से दो ने रिहाई की सिफारिश नहीं की थी. अब शर्मा का मामला बोर्ड की अगली बैठक में आएगा.'

बोर्ड की बैठक में करीब 200 केसों पर विचार किया गया. नियमों के अनुसार, खारिज की गई याचिकाओं को बोर्ड की अगली बैठक में सुनवाई के लिए रखा जाता है.

इससे पहले बोर्ड द्वारा सितंबर 2019 में अपनी पिछली बैठक में मनु शर्मा की समय पूर्व रिहाई को खारिज किए जाने के बाद इस साल की शुरुआत में शर्मा ने दिल्‍ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. शर्मा के वकील अमित साहनी ने कहा, 'यह चौंकाने वाला है और मामलों की खेदजनक स्थिति को दर्शाता है.'

दरअसल, बोर्ड जिन 14 पैरामीटर्स को रिहाई के लिए उचित मानता है, शर्मा उन सभी 14 मापदंडों को पूरा करते हैं. इसके अलावा मनु शर्मा ने अर्ध-खुली जेल (सेमी ओपन जेल) में समय बिता चुके हैं और अब वह खुली जेल में हैं. यहां तक की जेल एवं कल्‍याण अधिकारी की तरफ से भी उनके जेल में रहे आचरण को लेकर एक सकारात्मक रिपोर्ट दी गई है.

उच्च न्यायालय ने भी तीन विभागों द्वारा प्रस्तुत सकारात्मक रिपोर्टों का संज्ञान लिया था और एसआरबी को उनकी रिहाई पर विचार करने के लिए कहा था, लेकिन बोर्ड की तरफ से उनकी याचिका खारिज कर दी गई.

मनु शर्मा के वकील अमित साहनी की तरफ से कहा गया कि 'हम दोबारा हाईकोर्ट का रुख करेंगे'. उन्‍होंने कहा कि 'बोर्ड के सदस्‍य अपनी मनमर्जी के मुताबिक 14 मापदंडों को पूरा नहीं करने वाले दोषियों को रिहा कर दिया गया'. साहनी के अनुसार, 'उनके मुवक्किल ने 23 वर्षों से अधिक वक्‍त (सजा में छूट के साथ) कैद में गुजारा है'. उन्‍होंने कहा कि 'हमें यकीन है कि अदालत हमें राहत देगी, क्‍योंकि यह समय से पहले रिहाई के लिए सबसे उपयुक्त मामला था'.

पढ़ें : निर्भया केस : कोर्ट का डेथ वारंट पर रोक से इनकार, पवन ने राष्ट्रपति को भेजी दया याचिका

साहनी ने कहा कि 'खुद जेसिका लाल की बहन सबरीना ने जेल अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा था कि उसने शर्मा को माफ कर दिया है और अगर उन्हें रिहा किया जाता है तो उन्हें कोई समस्या नहीं होगी'. उन्‍होंने यहां तक कहा कि ऐसा लगता है कि 14-पैरामीटर नियम केवल अन्य कैदियों पर लागू होता है.

सात सदस्यीय बोर्ड में राज्य के गृहमंत्री बतौर अध्यक्ष, जेल महानिदेशक, राज्य के गृह सचिव, राज्य के कानून सचिव, एक जिला न्यायाधीश, सरकार के मुख्य परिवीक्षा अधिकारी और दिल्ली पुलिस के एक संयुक्त आयुक्त-रैंक के अधिकारी शामिल हैं.

नई दिल्‍ली : सात सदस्यीय सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) ने 31 कैदियों की जल्द रिहाई को मंजूरी दे दी एवं अन्य कैदियों की याचिका खारिज कर दी, जबकि बोर्ड ने सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ मनु शर्मा के मामले को पांचवीं बार स्‍थगित कर दिया. खास बात यह है कि दिल्‍ली एसआरबी ने उम्रकैद की सजा पाए जिन 31 दोषियों की रिहाई को मंजूरी दी, उनमें आठ दिल्‍ली के बहुचर्चित कनॉट प्‍लेस डबल मर्डर-फेक एनकाउंटर केस के दोषी आठ दिल्‍ली पुलिसकर्मी भी शामिल हैं.

गत शुक्रवार की बोर्ड बैठक में मौजूद रहे एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, 'बोर्ड ने शर्मा के मामले को स्‍थगित करने का फैसला किया, क्योंकि 7 सदस्यों में से दो ने रिहाई की सिफारिश नहीं की थी. अब शर्मा का मामला बोर्ड की अगली बैठक में आएगा.'

बोर्ड की बैठक में करीब 200 केसों पर विचार किया गया. नियमों के अनुसार, खारिज की गई याचिकाओं को बोर्ड की अगली बैठक में सुनवाई के लिए रखा जाता है.

इससे पहले बोर्ड द्वारा सितंबर 2019 में अपनी पिछली बैठक में मनु शर्मा की समय पूर्व रिहाई को खारिज किए जाने के बाद इस साल की शुरुआत में शर्मा ने दिल्‍ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. शर्मा के वकील अमित साहनी ने कहा, 'यह चौंकाने वाला है और मामलों की खेदजनक स्थिति को दर्शाता है.'

दरअसल, बोर्ड जिन 14 पैरामीटर्स को रिहाई के लिए उचित मानता है, शर्मा उन सभी 14 मापदंडों को पूरा करते हैं. इसके अलावा मनु शर्मा ने अर्ध-खुली जेल (सेमी ओपन जेल) में समय बिता चुके हैं और अब वह खुली जेल में हैं. यहां तक की जेल एवं कल्‍याण अधिकारी की तरफ से भी उनके जेल में रहे आचरण को लेकर एक सकारात्मक रिपोर्ट दी गई है.

उच्च न्यायालय ने भी तीन विभागों द्वारा प्रस्तुत सकारात्मक रिपोर्टों का संज्ञान लिया था और एसआरबी को उनकी रिहाई पर विचार करने के लिए कहा था, लेकिन बोर्ड की तरफ से उनकी याचिका खारिज कर दी गई.

मनु शर्मा के वकील अमित साहनी की तरफ से कहा गया कि 'हम दोबारा हाईकोर्ट का रुख करेंगे'. उन्‍होंने कहा कि 'बोर्ड के सदस्‍य अपनी मनमर्जी के मुताबिक 14 मापदंडों को पूरा नहीं करने वाले दोषियों को रिहा कर दिया गया'. साहनी के अनुसार, 'उनके मुवक्किल ने 23 वर्षों से अधिक वक्‍त (सजा में छूट के साथ) कैद में गुजारा है'. उन्‍होंने कहा कि 'हमें यकीन है कि अदालत हमें राहत देगी, क्‍योंकि यह समय से पहले रिहाई के लिए सबसे उपयुक्त मामला था'.

पढ़ें : निर्भया केस : कोर्ट का डेथ वारंट पर रोक से इनकार, पवन ने राष्ट्रपति को भेजी दया याचिका

साहनी ने कहा कि 'खुद जेसिका लाल की बहन सबरीना ने जेल अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा था कि उसने शर्मा को माफ कर दिया है और अगर उन्हें रिहा किया जाता है तो उन्हें कोई समस्या नहीं होगी'. उन्‍होंने यहां तक कहा कि ऐसा लगता है कि 14-पैरामीटर नियम केवल अन्य कैदियों पर लागू होता है.

सात सदस्यीय बोर्ड में राज्य के गृहमंत्री बतौर अध्यक्ष, जेल महानिदेशक, राज्य के गृह सचिव, राज्य के कानून सचिव, एक जिला न्यायाधीश, सरकार के मुख्य परिवीक्षा अधिकारी और दिल्ली पुलिस के एक संयुक्त आयुक्त-रैंक के अधिकारी शामिल हैं.

Last Updated : Mar 3, 2020, 4:25 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.