तिरुवनंतपुरम : ईटीवी के साथ विशेष साक्षात्कार में रक्षा विशेषज्ञ और पूर्व सेना ब्रिगेडियर सनल कुमार ने कहा कि सीमा पर गैलवन घाटी में मौजूदा भारत-चीन के गतिरोध और बिगड़ने की उम्मीद नहीं है.
हालांकि हमारे पास हथियार और गोला-बारूद हैं, लेकिन फिर भी दोनों देशों की राजनीतिक अगुवाई में ऐसी रणनीति बनाई गई है जिसकी वजह से सीमा पर तैनात सैनिकों को एक लंबे समय तक के लिए भिड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी. संघर्ष से बचने के लिए इसे राष्ट्रीय नीति के रूप में देखा जा रहा है. बाकी चर्चा राजनीतिक और कूटनीतिक स्तरों पर जारी रहेगी.
इसलिए यहां सिपाही भिड़ंत रोकने की रणनीति अपनाते हैं. हालांकि सीमा पर छोटी-मोटी घटनाओं को रोका नहीं जा सकता और हथियार का इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता. अगर सैनिक हथियारों का इस्तेमाल करते हैं तो हालात बेकाबू हो सकते हैं.
सनल के अनुसार, जहां अभी लड़ाई हुई वह स्थान समुद्र तल से 15000 फीट ऊपर है और वहां सैन्य उपस्थिति मुश्किल है. चीन की नाराजगी का कारण यह है कि भारत ने अपनी सेना के लिए आधारभूत संरचना को सुगम बना लिया है. इसकी वजह से सेना का आवागमन काफी आसान हो गया है साथ ही सैन्य प्रभाव भी कई गुना बढ़ गया है.
हो सकते है इसकी वजह से चीन इस तरह की नापाक हरकत को अंजाम दे रहा है. जहां कोरोना महामारी से भारत सहित पूरी दुनिया जूझ रही है और चीन इस महामारी से उबर चुका है. ऐसे समय में चीन इसे एक बेहतरीन अवसर मान रहा है. चीन एक से अधिक स्थानों पर गतिरोध के माध्यम से दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है, जिससे भारत कमजोर पड़ जाए.
गलवान कभी भी भारत चीन सीमा पर लड़ाई का विषय नहीं था. हालांकि चीन इसलिए भी आक्रामक हो रहा है क्योंकि जल्द ही गैलवान घाटी में भारतीय सेना का प्रभाव जल्द ही बढ़ जाएगा.