कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार ने आरोप लगाया है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा राष्ट्रीय कॉलेरा और एंटरिक डिसीज (NICED) कोलकाता को उपलब्ध कराई गई कोविड-19 परीक्षण किट दोषपूर्ण हैं. इसके कारण कोरोना वायरस के लिए हो रही जांच की रिपोर्ट मिलने में देरी हो रही है.
दरअसल, ममता बनर्जी सरकार राज्य में कोविड-19 के सकारात्मक मामलों की कम संख्या को लेकर गंभीर आलोचना झेल रही हैं. इसके अलावा राज्य में पर्याप्त परीक्षण भी नहीं किए जा रहे हैं.
राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा ट्वीट की एक शृंखला में सरकार ने कहा है कि ICMR-NICED द्वारा लगभग दो सप्ताह पहले आपूर्ति की गई परीक्षण किट बड़ी संख्या में अनिर्णायक परिणाम दे रही है. इस कारण टेस्ट को दोबारा किया जा रहा है.
![कल्याण विभाग के ट्वीट](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/6865020_700_6865020_1587393075907.png)
इस मामले पर सरकार ने कहा कि जब किट सीधे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे से प्राप्त किए जा रहे थे, तब उसमें कोई समस्या नहीं थी. लेकिम हाल ही में ICMR ने NICED को जो किट दी है, वे दोषपूर्ण हैं.
सरकार ने कहा है कि इस समस्या का सामना न केवल राज्य की सरकारी प्रयोगशालाओं बल्कि देश की अन्य परीक्षण प्रयोगशालाओं द्वारा भी किया गया है.
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गौरतलब है कि भाजपा और वाम मोर्चा ने पहले ही कोविड-19 रोगियों के परीक्षण की दर और उपचार में देरी के परिणाम पर गंभीर चिंता जताई है.
भाजपा ने पश्चिम बंगाल सरकार पर जान बूझकर आंकड़ों को दबाने का भी आरोप लगाया है. हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोपों को गलत बताया है और कहा है कि महामारी के समय विपक्ष आरोप-प्रत्यारोप का खेल, खेल रहा है.