नई दिल्ली : कोरोना के कहर के बीच एक अच्छी खबर है. ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने कोविड-19 के पहले ओरल ड्रग फैबिपीरावीर को मंजूरी दे दी है. इस दवाई को कोविड के हल्के लक्षणों वाले मरीजों के लिए काफी कारगर माना गया है. देश के 11 शहरों में सफल ट्रॉयल के बाद कोविड के मरीजों के इस्तेमाल के लिए डीसीजीआई ने इसे मंजूरी दे दी है.
हर दिन बढ़ रहा मरीजों का आंकड़ा
आपको बता दें कि हर रोज बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण के नए मामले आ रहे हैं. देश में औसतन 15,000 नए लोग कोविड की चपेट में आ रहे हैं. देश की राजधानी दिल्ली में भी कोरोना का प्रकोप जारी है. यहां हर रोज नए और ज्यादा पॉजिटिव केस आ रहे हैं.
कोविड के रेप्लिकेशन को रोकता है फैबिपीरावीर
एम्स के कार्डियो-रेडियो विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर व आरडीए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अमरिंदर सिंह ने बताया कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कोविड के माइल्ड और मोडरेट सिम्पटम्स वाले मरीजों के लिए आशा की एक नई किरण दिखी है. फैबिपीरावीर पहला ओरल ड्रग है जिसे कोविड के इलाजे के लिए ड्रग कंट्रोल ऑफ इंडिया ने अप्रूव कर दिया है. मार्किट में यह दवाई आ चुकी है.
11 शहरों में हुआ क्लीनिकल ट्रायल
डॉ अमरिंदर ने बताया कि फैबिपीरावीर ड्रग का देश के 11 शहरों में क्लीनिकल ट्रायल किया गया है. 95/60 माइल्ड और मोडरेट कोविड पेशेंट्स के ऊपर इस दवाई को आजमाया गया है.
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इन मरीजों पर इस ड्रग का एफिकेसी रेट 80 फीसदी दर्ज किया गया. इसे माइल्ड और मोडरेट सिम्पटम्स वाले मरीजों के लिए कारगर माना गया है. डॉ. अमरिंदर ने बताया कि इस दवाई का डोज 200 मिलीग्राम के 4 टैबलेट्स प्रतिदिन 14 दिनों तक देने का है. हर माइल्ड और मोडरेट सिमोटम्स वाले मरीजों को 14 दिनों के लिए औसतन 34 टेबलेट्स का इस्तेमाल करना जरूरी है.
मरीज की सहमति जरूरी
कोविड के इस नए ड्रग का मरीज के ऊपर इस्तेमाल करने के लिए उनसे सहमति लेना अनिवार्य है, क्योंकि यह एक नया ड्रग है. अभी मास लेवल पर मरीजों के ऊपर इसे आजमाया नहीं गया है. अलग-अलग बॉडी टाइप होने की वजह से ड्रग का इफेक्ट और साइड इफेक्ट्स भी अलग-अलग होते हैं. इसलिए किसी गंभीर साइड इफेक्ट्स से इनकार नहीं किया जा सकता है. मरीजों की सहमति लेना आवश्यक किया गया है.