नई दिल्ली : ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने फेविपिरनवीर 200 मिलीग्राम की गोलियों के नैदानिक परीक्षण के लिए अनुमति दे दी है. यह चौथे चरण का क्लीनिकल ट्रायल होगा. दिग्गज फार्मा कंपनी डॉ रेड्डी इस दवा के विकास पर काम कर रही है.
डीसीजीआई ने प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए दवा कंपनी को अध्ययन के लिए 50 प्रतिशत सरकारी साइट (sites) को शामिल करने के लिए कहा है.
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने गुरुवार को कहा, 'अध्ययन में कोविड-19 रोगियों के इलाज से विभिन्न स्तरों पर जुड़े फिजिशियन सक्रिय रूप से शामिल किए जाएं.'
प्रक्रियात्मक एकरूपता को लेकर डीसीजीआई ने कहा कि जिन स्थानों दवा से जुड़े अध्ययन किए जा रहे हैं वहां, मानकों को एक जैसा रखने का अधिकतम संभव प्रयास किया जाए.
रोगी की सुरक्षा के बारे में सक्रिय निगरानी के निर्देश दिए गए हैं. डीसीजीआई ने कहा है कि इस बारे में डीसीजीआई को सूचित किया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि वर्तमान में फेविपिरनवीर उन रोगियों के उपचार में इस्तेमाल किया जा रहा है जिनमें कोरोना संक्रमण के हल्के लक्षण पाए गए हैं.
इससे पहले ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को ऑक्सफोर्ड की कोविड-19 वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षण को फिर से शुरू करने के लिए अनुमति दी है.
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बुधवार को दवा निर्माण कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की. कोविशिल्ड नाम के इस वैक्सीन उम्मीदवार की मैन्यूफेक्चरिंग में भारत भी भागीदार है.