भोपालः मध्यप्रदेश के करीब 12 से ज्यादा जिलों में हो रही मूसलाधार बारिश से राज्य की कृषि समेत अन्य संपदा का करीब 10 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है. यह जानकारी मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती ने दी है.'
उन्होंने बताया कि इस बार बीते कई सालों में राज्य की औसत बारिश से 30 फीसदी अधिक बारिश हुई है. इस वजह से तकरीबन 12 जिले भारी बारिश का दंश झेल रहे है.
20 सितंबर से डेमेज कार्य शुरु होंगे
मुख्य सचिव मोहंती ने बताया कि आठ से पंद्राह दिनों में केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक मदद दी जाएगी. इसके बाद पूरे मध्यप्रदेश में 20 से 30 सितम्बर तक सभी डैमेज रोड के काम शुरू कर दिए जाएंगे.
उन्होंने किसानों के नुकसान को लेकर बताया कि बीते साल राज्य के 34 लाख किसानों के फसल बीमा की तुलना में इस साल 31 लाख किसान बीमा करवा चुके हैं. बीमा के बाद किसानों को बीमा राशि समय पर मिल सके, इसके लिए राज्य शासन ने बीमा कंपनियों को 509 करोड़ रुपए इंश्योरेंस प्रीमियम किसानों को दिलवाने का फैसला किया है. इसके अलावा 57 हजार किसानों को क्षतिपूर्ती राशि भी जारी की जा रही है.
ये इलाके हुए सर्वाधिक प्रभावित
बाढ़ के कारण मंदसौर में पांच तहसील के 15 हजार लोग रिलीफ कैंप में है, जिनके लिए इंदौर से राहत सामग्री के दो ट्रक मंदसौर और नीमच रवाना किये गए हैं. नीमच जिले में 12 गांवों के 30 हजार लोग प्रभवित हुए हैं. रामपुर के 2500 लोग रिलीफ कैंप में है. रतलाम में भी 700 लोगों को बचाया गया है.
अब स्थिति नियंत्रण में है
मुख्य सचिव के मुताबिक अब प्रदेश में बाढ़ की स्थिति नियंत्रण में है. गांधी सागर का जलस्तर सभी गेट खोले जाने के कारण आज सुबह तक 1318 फीट हो चुका है, हालांकि एक दो दिन में पानी का स्तर कम होने की उम्मीद है. इसके अलावा भिंड -मुरैना पर नजर रखी जा रही है. उन्होंने कहा कि अगर मानसून के आगामी 10 दिन में 8 से 10 इंच अधिकतम हुई, तो भी नियंत्रण की स्थिति रहेगी.
मानसून का आखरी पड़ाव प्रदेश के कुछ जिलों में कहर बनकर टूटा है. इसके चलते रायसेन, सीहोर, भोपाल, राजगढ़, शाजापुर, उज्जैन, आगर मालवा और झाबुआ में जारी राहत कार्यो के चलाए जा रहे हैं. इसी दौर में राजस्थान के प्रतापगढ़ समेत आसपास के इलाकों में हुई भारी बारिश के कारण मंदसौर के गांधीसागर डैम में औसत बारिश में 6 लाख क्यूसेक पानी के स्थान पर अचानक 16 लाख क्यूसेक पानी आ गया. इसकी वजह से मंदसौर और नीमच के कई इलाके बाढ़ से घिर गए.
इससे यहां जनसामान्य की संपदा के साथ फसलों में भारी नुकसान हुआ है. ऐसी ही स्थिति मुरैना की 5 तहसीलों में बनी हुई है. जहां 3 हजार बाढ़ पीडितों को सुरक्षित स्थान पर भेजना पड़ा. वहीं श्योपुर में बाढ़ से 7 गांव प्रभावित हुए हैं. वहां अब राहत और बचाव कार्य के लिए सेना के साथ एनडीआरएफ और होमगार्ड को तैनात करना पड़ा है.
आगर मालवा के सोयत और रतलाम में भी बाढ़ का पानी से 700 लोगों को बचाना पड़ा है. बाढ़ और बारिश से अब तक हुए नुकसान पर गौर किया जाए तो 8 हजार करोड़ की फसल समेत सड़कों और अन्य नुकसान के कारण राज्य को 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है. इसकी भरपाई के लिए राज्य शासन द्वारा पूरी रिपोर्ट केंद्र में भेजी गई है.