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बच्चों के खिलाफ अपराध में बढ़ोतरी, शर्मसार कर देंगे आंकड़े

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Published : Oct 2, 2020, 11:05 AM IST

भारत में बच्चों के साथ हो रहे अपराध 2019 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2018 की तुलना में 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराधों में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2019 में पॉक्सो एक्ट के तहत बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल 1.48 लाख मामले दर्ज किए गए थे.

Crime against children
रिपोर्ट में खुलासा

हैदराबाद : बच्चे देश का भविष्य होते हैं, लेकिन जब बच्चे ही खतरे में हो तो आप खुद सोच सकते है कि उस देश का आने वाला भविष्य कैसा होगा. वो भविष्य अंधकार में ही होगा जहां बच्चों पर तक रहम नहीं किया जाये. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत जैसे विकासशील देश में अपराध की शाखा दिन प्रतिदिन अपने पैर पसार रही है. बच्चों के साथ शोषण और शर्मसार करने वाली घटनाएं अब चरम पर हैं.

बच्चों की जनसंख्या की अपराध दर 2018 में 31.8 के मुकाबले 2019 में बढ़कर 33.2 प्रतिशत हो गई. बच्चों के खिलाफ अपराधों के 31.2 प्रतिशत मामले पॉक्सो एक्ट (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) के तहत दर्ज किए गए थे और पीड़ित को 94 प्रतिशत मामलों में अपराधी के रूप में जाना जाता था.

2018 से 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराधों में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल 1.48 लाख मामले दर्ज किए गए थे. इनमें से लगभग 46.6 प्रतिशत अपहरण के मामले थे और 35.3 प्रतिशत मामले यौन अपराधों से संबंधित थे.

इस वर्ष के दौरान वेश्यावृत्ति के लिए बच्चों की खरीद और प्रेरित करने वाले ऐसे 432 मामले सामने आए हैं.

2019 में कुल 46005 मामले दर्ज किए गए, जहां बालिकाओं का यौन उत्पीड़न किया गया.

यौन अपराध अधिनियम के तहत

राज्यघटनामूल्यांकन
उत्तर प्रदेश74446.9
महाराष्ट्र640215.1
मध्य प्रदेश605310.9
तमिलनाडु23586.2
पश्चिम बंगाल22404.7

परीक्षण और न्याय
2018 से यौन अपराध अधिनियम के तहत 104788 मामले लंबित थे जबकि 2019 में 41562 नए मामले मुकदमे के लिए भेजे गए थे. ट्रायल के लिए अधिनियम के तहत कुल 146350 मामलों में से 66 को न्यायालय ने रद्द कर दिया था. चार मामले अभियोजन पक्ष द्वारा वापस ले लिए गए. 525 मामलों को बिना मुकदमे के निपटाया गया जबकि 348 मामलों में समझौता किया गया.

पढ़ें: हाथरस मामले में परिजनों की सहमति से हुआ अंतिम संस्कार : ADG प्रशांत कुमार

यौन अपराध अधिनियम के तहत सजा हालांकि खराब रही.

2018 से 55 और 2019 से तीन मामलों में दोषी पाए जाने पर 125 अभियुक्तों को बरी कर दिया गया. उस समय सजा की दर 31.5 से कम रही.

हैदराबाद : बच्चे देश का भविष्य होते हैं, लेकिन जब बच्चे ही खतरे में हो तो आप खुद सोच सकते है कि उस देश का आने वाला भविष्य कैसा होगा. वो भविष्य अंधकार में ही होगा जहां बच्चों पर तक रहम नहीं किया जाये. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत जैसे विकासशील देश में अपराध की शाखा दिन प्रतिदिन अपने पैर पसार रही है. बच्चों के साथ शोषण और शर्मसार करने वाली घटनाएं अब चरम पर हैं.

बच्चों की जनसंख्या की अपराध दर 2018 में 31.8 के मुकाबले 2019 में बढ़कर 33.2 प्रतिशत हो गई. बच्चों के खिलाफ अपराधों के 31.2 प्रतिशत मामले पॉक्सो एक्ट (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) के तहत दर्ज किए गए थे और पीड़ित को 94 प्रतिशत मामलों में अपराधी के रूप में जाना जाता था.

2018 से 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराधों में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल 1.48 लाख मामले दर्ज किए गए थे. इनमें से लगभग 46.6 प्रतिशत अपहरण के मामले थे और 35.3 प्रतिशत मामले यौन अपराधों से संबंधित थे.

इस वर्ष के दौरान वेश्यावृत्ति के लिए बच्चों की खरीद और प्रेरित करने वाले ऐसे 432 मामले सामने आए हैं.

2019 में कुल 46005 मामले दर्ज किए गए, जहां बालिकाओं का यौन उत्पीड़न किया गया.

यौन अपराध अधिनियम के तहत

राज्यघटनामूल्यांकन
उत्तर प्रदेश74446.9
महाराष्ट्र640215.1
मध्य प्रदेश605310.9
तमिलनाडु23586.2
पश्चिम बंगाल22404.7

परीक्षण और न्याय
2018 से यौन अपराध अधिनियम के तहत 104788 मामले लंबित थे जबकि 2019 में 41562 नए मामले मुकदमे के लिए भेजे गए थे. ट्रायल के लिए अधिनियम के तहत कुल 146350 मामलों में से 66 को न्यायालय ने रद्द कर दिया था. चार मामले अभियोजन पक्ष द्वारा वापस ले लिए गए. 525 मामलों को बिना मुकदमे के निपटाया गया जबकि 348 मामलों में समझौता किया गया.

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यौन अपराध अधिनियम के तहत सजा हालांकि खराब रही.

2018 से 55 और 2019 से तीन मामलों में दोषी पाए जाने पर 125 अभियुक्तों को बरी कर दिया गया. उस समय सजा की दर 31.5 से कम रही.

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