नई दिल्ली : कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPIM) ने अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार को आढ़े हाथ लेते हुए केंद्रीय समिति की बैठक के बाद अपनी कार्य योजना की घोषणा की.बैठक में आर्थिक मंदी के लगातार गिरने, बढ़ती बेरोजगारी, कोविड -19 महामारी से निपटने और किसान, मजदूर वर्ग और मानवाधिकारों से जुड़े अन्य मुद्दों पर मोदी सरकार पर निशाना साधा.
सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने पार्टी की दो दिवसीय केंद्रीय समिति की बैठक के समापन के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड -19 महामारी और आर्थिक मंदी के रूप में लोगों पर दोहरे हमला हुआ है.
उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021 के लिए हमारी विकास दर माइनस 9.5 रहेगी. IMF के मुताबिक इसमें और आगे भी गिरावट होगी.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति को उजागर करते हुए, उन्होंने कहा कि हंगर इंडेक्स 107 देशों के बीच भारत को 94 वें स्थान पर रखा गया है, जो चिंताजनक है.
उन्होंने कहा कि केंद्रीय गोदामों में कई करोड़ों टन अनाज सड़ रहा है, इनका इस्तेमाल मुफ्त भोजन देने के लिए किया जाना चाहिए. दूसरी ओर सरकार की नीतियों के कारण 2020 में भारत के 50 सबसे अमीर लोगों के धन में 14 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी हुई है.
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उन्होंने कहा कि अमीर और अमीर होता जा रहा है और गरीब और गरीब हो रहा है. उन्होंने आगे कहा 29 मौजूदा श्रम कानूनों को समाप्त कर दिया गया है, 4 श्रम कोडों द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है.
संसद सत्र में मजदूर वर्ग और कामकाजी लोगों के लिए पहले से मौजूद सभी अधिकारों और प्रावधानों को या तो पूरी तरह से हटा दिया गया है या कमजोर कर दिया गया, जो मजदूरों को गुलाम बना देगा.
इसके अलावा संसद द्वारा तीन कृषि बिल पारित किए गए, जो केवल विदेशी और घरेलू कृषि व्यवसाय निगमों को लाभान्वित करते हैं और हमारे बाजारों और हमारी सामान को उनके दया पर छोड़ देगा.