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CPI सांसद ने अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस भेजा - cpi mp against shah

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने उच्च सदन (राज्यसभा) में गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के लिए नोटिस भेजा है. सीपीआई सांसद का आरोप है कि अमित शाह ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) पर देश को गुमराह किया है. उनके अनुसार कई मौकों पर और कई बार एनआरसी के बारे में बोलने के बाद गृह मंत्री अमित शाह अपने बयान से पलट गए हैं. जानें विस्तार से उन्होंने ईटीवी भारत को दिए साक्षात्कार में क्या कहा...

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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम
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Published : Jan 9, 2020, 12:03 AM IST

नई दिल्ली : गृहमंत्री अमित शाह को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने उच्च सदन में शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के लिए नोटिस भेजा है. बिनॉय विश्वम ने ईटीवी भारत को दिए साक्षात्कार में यह जानकारी साझा की.

विश्वम ने कहा, 'हाँ, मैंने राज्यसभा में एक विशेषाधिकार हनन का नोटिस पेश किया है क्योंकि मुझे लगता है कि भारत के लोगों को यह जानने का अधिकार है कि वास्तविकता क्या है. कई मौकों पर और कई बार एनआरसी के बारे में बोलने के बाद गृहमंत्री अमित शाह अपने बयान से पलट गए.'

बिनॉय विश्वम से ईटीवी भारत की बातचीत.

उन्होंने कहा कि शाह अपने 'इरादों' के साथ आगे बढ़ रहे थे, लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक रैली में कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई है तो गृह मंत्री अपने पिछले बयानों से हट गए. शाह के पिछले बयानों से पलटने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए विश्वम ने कहा कि एक देश के गृह मंत्री होने के नाते उन्हें संवेदनशील मामले पर गंभीर होना चाहिए.

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विश्वम ने राज्यसभा के महासचिव को सौंपे अपने नोटिस में कहा कि शाह ने 20 नवंबर को सदन के पटल पर कहा था कि देशभर में लागू होने के साथ-साथ असम में भी एनआरसी को फिर से शुरु लागू किया जाएगा.

बकौल विश्वम, 'उन्होंने बीते वर्ष नौ दिसंबर को लोकसभा में इसी तरह का बयान दिया था. राष्ट्रव्यापी एनआरसी उनकी सरकार के सक्रिय विचार का हिस्सा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं किए जाने के बाद ही उन्होंने अपना रुख बदल दिया.'

उन्होंने कहा, 'इस पार्टी (बीजेपी) ने धर्म के नाम पर नागरिकता देने के लिए एक नए आधार को परिभाषित किया है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.'

बीजेपी की आलोचना करते हुए विश्वम ने कहा कि इस पार्टी के नेता एक ही विषय पर अलग-अलग बयान देकर जान बूझकर विवाद पैदा करते हैं. '

बिनॉय विश्वम से ईटीवी भारत की बातचीत.

उन्होंने कहा, 'वास्तव में यह आरएसएस का एजेंडा है. उसके नेता लोगों को भ्रमित करते रहते हैं. एनआरसी और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के बीच कोई संबंध कैसे नहीं हो सकता है.'

विश्वम ने कहा कि वह गृहमंत्री अमित शाह के हालिया बयान का उल्लेख करें तो कहते हैं एनआरसी और एनपीआर के बीच कोई संबंध नहीं है.

बता दें कि सरकार ने एनपीआर के अद्यतन करने के लिए एक कदम बढ़ाया है, जिसे विपक्ष ने राष्ट्रव्यापी एनआरसी के लिए पहला कदम करार दिया.

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हालांकि विश्वम को उम्मीद है कि सदन नोटिस पर ध्यान देगा.

आपके बता दें कि प्रक्रिया के अनुसार राज्यसभा सचिवालय नोटिस की जांच करेगा कि यह क्रम में है या नहीं है, और फिर इसे अध्यक्ष के पास रखा जाएगा, जोकि तय करेंगे कि यह शामिल करने लायक है या नहीं. इसके बाद विशेषाधिकार समिति के पास भेजे जाने से पहले कम से कम 25 सदस्यों को नोटिस शामिल करने के लिए समर्थन करना होगा.

नई दिल्ली : गृहमंत्री अमित शाह को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने उच्च सदन में शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के लिए नोटिस भेजा है. बिनॉय विश्वम ने ईटीवी भारत को दिए साक्षात्कार में यह जानकारी साझा की.

विश्वम ने कहा, 'हाँ, मैंने राज्यसभा में एक विशेषाधिकार हनन का नोटिस पेश किया है क्योंकि मुझे लगता है कि भारत के लोगों को यह जानने का अधिकार है कि वास्तविकता क्या है. कई मौकों पर और कई बार एनआरसी के बारे में बोलने के बाद गृहमंत्री अमित शाह अपने बयान से पलट गए.'

बिनॉय विश्वम से ईटीवी भारत की बातचीत.

उन्होंने कहा कि शाह अपने 'इरादों' के साथ आगे बढ़ रहे थे, लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक रैली में कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई है तो गृह मंत्री अपने पिछले बयानों से हट गए. शाह के पिछले बयानों से पलटने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए विश्वम ने कहा कि एक देश के गृह मंत्री होने के नाते उन्हें संवेदनशील मामले पर गंभीर होना चाहिए.

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विश्वम ने राज्यसभा के महासचिव को सौंपे अपने नोटिस में कहा कि शाह ने 20 नवंबर को सदन के पटल पर कहा था कि देशभर में लागू होने के साथ-साथ असम में भी एनआरसी को फिर से शुरु लागू किया जाएगा.

बकौल विश्वम, 'उन्होंने बीते वर्ष नौ दिसंबर को लोकसभा में इसी तरह का बयान दिया था. राष्ट्रव्यापी एनआरसी उनकी सरकार के सक्रिय विचार का हिस्सा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं किए जाने के बाद ही उन्होंने अपना रुख बदल दिया.'

उन्होंने कहा, 'इस पार्टी (बीजेपी) ने धर्म के नाम पर नागरिकता देने के लिए एक नए आधार को परिभाषित किया है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.'

बीजेपी की आलोचना करते हुए विश्वम ने कहा कि इस पार्टी के नेता एक ही विषय पर अलग-अलग बयान देकर जान बूझकर विवाद पैदा करते हैं. '

बिनॉय विश्वम से ईटीवी भारत की बातचीत.

उन्होंने कहा, 'वास्तव में यह आरएसएस का एजेंडा है. उसके नेता लोगों को भ्रमित करते रहते हैं. एनआरसी और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के बीच कोई संबंध कैसे नहीं हो सकता है.'

विश्वम ने कहा कि वह गृहमंत्री अमित शाह के हालिया बयान का उल्लेख करें तो कहते हैं एनआरसी और एनपीआर के बीच कोई संबंध नहीं है.

बता दें कि सरकार ने एनपीआर के अद्यतन करने के लिए एक कदम बढ़ाया है, जिसे विपक्ष ने राष्ट्रव्यापी एनआरसी के लिए पहला कदम करार दिया.

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हालांकि विश्वम को उम्मीद है कि सदन नोटिस पर ध्यान देगा.

आपके बता दें कि प्रक्रिया के अनुसार राज्यसभा सचिवालय नोटिस की जांच करेगा कि यह क्रम में है या नहीं है, और फिर इसे अध्यक्ष के पास रखा जाएगा, जोकि तय करेंगे कि यह शामिल करने लायक है या नहीं. इसके बाद विशेषाधिकार समिति के पास भेजे जाने से पहले कम से कम 25 सदस्यों को नोटिस शामिल करने के लिए समर्थन करना होगा.

Intro:New Delhi: Accusing Home Minister of Amit Shah of misleading the country over National Register of Citizen (NRC), Communist Party of India (CPI) MP in Rajya Sabha, Binoy Viswam has submitted a notice seeking privilege motion against Shah in the Upper House.


Body:"Yes I have submitted a privilege motion notice in the Rajya Sabha because I think people of India have right to know what is the reality. After speaking about NRC on several occasions and on several times, Home Minister Amit Shah back tracked from his statement," said Viswam while talking to ETV Bharat in an exclusive interview to ETV Bharat.

He said that Shah was going ahead with his 'intentions' "but when Prime Minister Narendra Modi said in a public rally that there was no discussion on NRC even in the union cabinet, the Home Minister back tracked from his previous statement."

Terming Shah's previous statement and subsequent back track as unfortunate, Viswam said, "Being the Home Minister of a country, he should be serious on sensitive matter."

Viswam, in his notice submitted in the Rajya Sabha secretary general, said that Shah had said on the floor of the House on November 20 that Assam would have fresh round of NRC when it is implemented across the country and indicated his government's plan for a nationwide NRC.

"He has made similar statement in the Lok Sabha on December 9. Further he said that nationwide NRC is under active consideration of his government. But he changed his stand only after Prime Minister Narendra Modi stated that there was no discussion on NRC," said Viswam.

"This party (BJP) has defined a new base for giving citizenship in the name of religion. This is very unfortunate," said Viswam.



Conclusion:Criticising BJP, Viswam said that leaders of this party create deliberate controversies by giving different statements on same topics.

"In fact, this is the agenda of the RSS. They keep making the people confused...how come there could not be any link between NRC and National Population Register (NPR)!" said Viswam. He was referring to Home Minister Amit Shah's recent statement that there is no link between NRC and NPR.

The Government has initiated a move to update the NPR, which the opposition termed as a first step for nationwide NRC.

Viswam is, however, hopeful that the House will take note of the notice.

However, according to the procedure, the Rajya Sabha secretariat will examine the notice to see if it is in order and put it up to the chairman who will decide if it is to be admitted or not.

However, at least 25 members should stand up in support of the admission of the notice before it is referred to the Privileges Comittee.

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