नई दिल्ली : गृहमंत्री अमित शाह को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने उच्च सदन में शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के लिए नोटिस भेजा है. बिनॉय विश्वम ने ईटीवी भारत को दिए साक्षात्कार में यह जानकारी साझा की.
विश्वम ने कहा, 'हाँ, मैंने राज्यसभा में एक विशेषाधिकार हनन का नोटिस पेश किया है क्योंकि मुझे लगता है कि भारत के लोगों को यह जानने का अधिकार है कि वास्तविकता क्या है. कई मौकों पर और कई बार एनआरसी के बारे में बोलने के बाद गृहमंत्री अमित शाह अपने बयान से पलट गए.'
उन्होंने कहा कि शाह अपने 'इरादों' के साथ आगे बढ़ रहे थे, लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक रैली में कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई है तो गृह मंत्री अपने पिछले बयानों से हट गए. शाह के पिछले बयानों से पलटने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए विश्वम ने कहा कि एक देश के गृह मंत्री होने के नाते उन्हें संवेदनशील मामले पर गंभीर होना चाहिए.
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विश्वम ने राज्यसभा के महासचिव को सौंपे अपने नोटिस में कहा कि शाह ने 20 नवंबर को सदन के पटल पर कहा था कि देशभर में लागू होने के साथ-साथ असम में भी एनआरसी को फिर से शुरु लागू किया जाएगा.
बकौल विश्वम, 'उन्होंने बीते वर्ष नौ दिसंबर को लोकसभा में इसी तरह का बयान दिया था. राष्ट्रव्यापी एनआरसी उनकी सरकार के सक्रिय विचार का हिस्सा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं किए जाने के बाद ही उन्होंने अपना रुख बदल दिया.'
उन्होंने कहा, 'इस पार्टी (बीजेपी) ने धर्म के नाम पर नागरिकता देने के लिए एक नए आधार को परिभाषित किया है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.'
बीजेपी की आलोचना करते हुए विश्वम ने कहा कि इस पार्टी के नेता एक ही विषय पर अलग-अलग बयान देकर जान बूझकर विवाद पैदा करते हैं. '
उन्होंने कहा, 'वास्तव में यह आरएसएस का एजेंडा है. उसके नेता लोगों को भ्रमित करते रहते हैं. एनआरसी और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के बीच कोई संबंध कैसे नहीं हो सकता है.'
विश्वम ने कहा कि वह गृहमंत्री अमित शाह के हालिया बयान का उल्लेख करें तो कहते हैं एनआरसी और एनपीआर के बीच कोई संबंध नहीं है.
बता दें कि सरकार ने एनपीआर के अद्यतन करने के लिए एक कदम बढ़ाया है, जिसे विपक्ष ने राष्ट्रव्यापी एनआरसी के लिए पहला कदम करार दिया.
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हालांकि विश्वम को उम्मीद है कि सदन नोटिस पर ध्यान देगा.
आपके बता दें कि प्रक्रिया के अनुसार राज्यसभा सचिवालय नोटिस की जांच करेगा कि यह क्रम में है या नहीं है, और फिर इसे अध्यक्ष के पास रखा जाएगा, जोकि तय करेंगे कि यह शामिल करने लायक है या नहीं. इसके बाद विशेषाधिकार समिति के पास भेजे जाने से पहले कम से कम 25 सदस्यों को नोटिस शामिल करने के लिए समर्थन करना होगा.