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कोरोना संकट के दौर में स्थानीय प्रशासन की लापरवाही, दो बुजुर्गों की मौत - कोरोना संकट

लोगों में कोरोना का खौफ ऐसा है कि सरकारी अधिकारी तक भी स्थिति की अनदेखी कर रहे हैं. ऐसा ही मामला तेलंगाना से सामने आया है, जहां जांच में देरी और सरकारी लापरवाही की वजह से बुजुर्ग और उसकी मां की मौत हो गई. मां का अंतिम संस्कार तक नहीं हो पा रहा. पढ़ें पूरी खबर...

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कोरोना संकट
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Published : Jul 21, 2020, 1:03 PM IST

हैदराबाद : जैसे-जैसे महामारी बढ़ती जा रही है, सरकार की ओर से लापरवाही आम आदमी के लिए घातक साबित हो रही है. कोविड​​-19 से प्रभावित परिवारों के साथ न तो जीएचएमसी और न ही स्वास्थ्य अधिकारी संपर्क कर रहे हैं. हाल ही में, एक ही परिवार के चार सदस्य कोरोना से पीड़ित हुए, जिनमें से दो की मौत हो गई है. लेकिन किसी भी अधिकारी ने संपर्क तक नहीं किया. यहां तक ​​कि स्थानीय अधिकारियों ने भी स्थिति की अनदेखी कर दी.

मल्लापुर में अन्नपूर्णा कॉलोनी के रहने वाले बुजुर्ग को 6 जून को उस्मानिया जनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वह तेज बुखार से पीड़ित थे. दो दिनों के बाद, अस्पताल ने मरीज के परिवार के सदस्यों को सूचित किया कि वह कोरोना पॉजिटिव हैं. पंद्रह मिनट बाद, कर्मचारियों ने फिर से यह सूचना देने के लिए फोन किया कि मरीज की मौत हो गई है. अस्पताल शव को नाचाराम पुलिस स्टेशन को सौंप देगा.

पुलिस स्टेशन में कम स्टाफ थे क्योंकि कुछ स्टाफ कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. इसलिए शव को लेने में पुलिस को देरी हुई. छह दिनों की देरी के बाद, आखिरकार परिवार वालों को बुजुर्ग का शव सौंपा गया. 14 जुलाई को, परिवार के तीन सदस्यों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया.

9 जुलाई को, मृतक की मां (85), पत्नी (55) और बेटे (24) ने अमीरपेट की एक निजी लैब में कोरोना टेस्ट करवाया. 14 जुलाई को उन्हें COVID कंट्रोल रूम से एक कॉल मिला, जिसमें उनके कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि की गई. तब तक बुजुर्ग महिला गंभीर रूप से बीमार हो चुकी थी और उसे गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया.

पढ़ें :- झारखंड : एक ही परिवार के छह लोगों की कोरोना से मौत

बीती 19 जुलाई को बुजुर्ग महिला की मृत्यु हो गई. अन्य दो घर पर क्वारंटाइन रहे. स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी या जीएचएमसी का कोई अधिकारी उनकी खोज खबर नहीं ले रहा. इससे भी बदतर स्थिति यह रही कि अधिकारियों ने परिवार में बचे दो सदस्यों को सेल्फ-केयर किट भेजने तक की जहमत भी नहीं उठाई. यहां तक ​​कि बूढ़ी महिला के अंतिम संस्कार की बात भी अब तक हवा में लटकी हुई है.

हैदराबाद : जैसे-जैसे महामारी बढ़ती जा रही है, सरकार की ओर से लापरवाही आम आदमी के लिए घातक साबित हो रही है. कोविड​​-19 से प्रभावित परिवारों के साथ न तो जीएचएमसी और न ही स्वास्थ्य अधिकारी संपर्क कर रहे हैं. हाल ही में, एक ही परिवार के चार सदस्य कोरोना से पीड़ित हुए, जिनमें से दो की मौत हो गई है. लेकिन किसी भी अधिकारी ने संपर्क तक नहीं किया. यहां तक ​​कि स्थानीय अधिकारियों ने भी स्थिति की अनदेखी कर दी.

मल्लापुर में अन्नपूर्णा कॉलोनी के रहने वाले बुजुर्ग को 6 जून को उस्मानिया जनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वह तेज बुखार से पीड़ित थे. दो दिनों के बाद, अस्पताल ने मरीज के परिवार के सदस्यों को सूचित किया कि वह कोरोना पॉजिटिव हैं. पंद्रह मिनट बाद, कर्मचारियों ने फिर से यह सूचना देने के लिए फोन किया कि मरीज की मौत हो गई है. अस्पताल शव को नाचाराम पुलिस स्टेशन को सौंप देगा.

पुलिस स्टेशन में कम स्टाफ थे क्योंकि कुछ स्टाफ कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. इसलिए शव को लेने में पुलिस को देरी हुई. छह दिनों की देरी के बाद, आखिरकार परिवार वालों को बुजुर्ग का शव सौंपा गया. 14 जुलाई को, परिवार के तीन सदस्यों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया.

9 जुलाई को, मृतक की मां (85), पत्नी (55) और बेटे (24) ने अमीरपेट की एक निजी लैब में कोरोना टेस्ट करवाया. 14 जुलाई को उन्हें COVID कंट्रोल रूम से एक कॉल मिला, जिसमें उनके कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि की गई. तब तक बुजुर्ग महिला गंभीर रूप से बीमार हो चुकी थी और उसे गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया.

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बीती 19 जुलाई को बुजुर्ग महिला की मृत्यु हो गई. अन्य दो घर पर क्वारंटाइन रहे. स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी या जीएचएमसी का कोई अधिकारी उनकी खोज खबर नहीं ले रहा. इससे भी बदतर स्थिति यह रही कि अधिकारियों ने परिवार में बचे दो सदस्यों को सेल्फ-केयर किट भेजने तक की जहमत भी नहीं उठाई. यहां तक ​​कि बूढ़ी महिला के अंतिम संस्कार की बात भी अब तक हवा में लटकी हुई है.

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