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स्कूल बंद होने से बच्चों को हो रहा मानसिक आघात, यूनिसेफ ने की ये पहल - बच्चों को हो रहा मानसिक आघात

यूनिसेफ ने स्कूलों को फिर से खोलने को प्राथमिकता देने के लिए सरकारों से आह्वान किया है. इसके साथ ही कक्षाओं को सुरक्षित रखने के लिए भी कहा है. यूनेस्को द्वारा एकत्रित आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर के महीने में स्कूल बंद होने से प्रभावित बच्चों की संख्या में लगभग तीन गुना कमी देखी गई.

स्कूल बंद होने से बच्चों को हो रहा मानसिक आघात, यूनिसेफ ने की ये पहल
स्कूल बंद होने से बच्चों को हो रहा मानसिक आघात, यूनिसेफ ने की ये पहल
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Published : Dec 10, 2020, 7:02 AM IST

हैदराबाद : यूनिसेफ ने स्कूल बंद रहने से प्रभावित बच्चों की संख्या के अनुसार सीखने और कल्याण के लिए निरंतर नुकसान की चेतावनी दी

यूनिसेफ ने कोरोना वायरस के चलते स्कूल बंद रहने से बच्चों पर होने वाले प्रभाव के प्रति अपना रुख स्पष्ट किया है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यानी यूनिसेफ ने स्कूलों के बंद होने से बच्चों के सीखने और उनके कल्याण के नुकसान की चेतावनी भी दी है.

यूनिसेफ ने स्कूलों को फिर से खोलने को प्राथमिकता देने के लिए सरकारों से आह्वान किया है. इसके साथ ही कक्षाओं को सुरक्षित रखने के लिए भी कहा है.

कोरोना से बंद हुए स्कूलों के चलते प्रभावित बच्चों की संख्या 38 प्रतिशत तक बढ़ गई, जिससे दुनियाभर में अतिरिक्त 90 मिलियन छात्रों की सीखने की गति और उनके विकास पर बहुत प्रभाव पड़ा.

यूनेस्को द्वारा एकत्रित आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर के महीने में स्कूल बंद होने से प्रभावित बच्चों की संख्या में लगभग तीन गुना कमी देखी गई.

यूनिसेफ ग्लोबल चीफ ऑफ एजुकेशन रॉबर्ट जेनकिंस के मुताबिक, हमने सब कुछ कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन में स्कूलों की भूमिका और बच्चों को स्कूल में सुरक्षित रखने के लिए जो कदम उठाए हैं, उससे हमने बहुत कुछ सीखा है. हम गलत दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और यह सब बहुत जल्दी हो रहा है.

रिपोर्टों के मुताबिक, स्कूलों की इस महामारी को बढ़ाने में मुख्य भूमिका नहीं है. फिर भी सरकारें अन्य और अंतिम उपायों की बजाय स्कूलों को बंद करने का सहारा ले रही हैं.

बहुत मामलों में, यह सिर्फ सामुदायिक स्तर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रव्यापी स्तर पर किया जा रहा है और बच्चों को उनके सीखने, मानसिक और शारीरिक कल्याण और सुरक्षा को लेकर विनाशकारी प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है.

जब स्कूल बंद हो जाते हैं, तो बच्चों का भोजन, उनकी सुरक्षा समेत कई मुद्दों पर जोखिम छाने लगता है. ऐसे में यूनिसेफ को डर है कि स्कूल अनावश्यक रूप से बंद हो रहे हैं और आवश्यक कदम उठाने के लिए कोई पर्याप्त जोर नहीं दिया जा रहा है.

191 देशों के डाटा का उपयोग करने वाले एक हालिया वैश्विक अध्ययन ने समुदाय में स्कूल की स्थिति और कोविड-19 संक्रमण दर के बीच कोई संबंध नहीं दिखाया.

ऐसे में यूनिसेफ ने सरकारों को स्कूलों को फिर से खोलने और यथासंभव उन्हें सुरक्षित बनाने को लेकर कार्रवाई का आग्रह किया है.

स्कूल फिर से खोलने की योजना में शिक्षा का विस्तार करना शामिल होना चाहिए, जिसमें दूरस्थ शिक्षा भी शामिल है, खासकर हाशिए के समूहों के लिए. भविष्य के संकटों का सामना करने के लिए शिक्षा प्रणालियों को भी अनुकूलित और निर्मित किया जाना चाहिए.

स्कूलों को फिर से खोलने के यूनिसेफ के फ्रेमवर्क को, यूएनएचसीआर, डब्ल्यूएफपी और विश्व बैंक ने भी ज्वाइन किया है. दिशानिर्देश नीति सुधार पर केंद्रित है.

यह दिशानिर्देश पॉलिसी रिफॉर्म, वित्तीय संबंधी आवश्यकताएं, सुरक्षित संचालन और बच्चों के कल्याण और संरक्षण से संबंधित है.

हैदराबाद : यूनिसेफ ने स्कूल बंद रहने से प्रभावित बच्चों की संख्या के अनुसार सीखने और कल्याण के लिए निरंतर नुकसान की चेतावनी दी

यूनिसेफ ने कोरोना वायरस के चलते स्कूल बंद रहने से बच्चों पर होने वाले प्रभाव के प्रति अपना रुख स्पष्ट किया है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यानी यूनिसेफ ने स्कूलों के बंद होने से बच्चों के सीखने और उनके कल्याण के नुकसान की चेतावनी भी दी है.

यूनिसेफ ने स्कूलों को फिर से खोलने को प्राथमिकता देने के लिए सरकारों से आह्वान किया है. इसके साथ ही कक्षाओं को सुरक्षित रखने के लिए भी कहा है.

कोरोना से बंद हुए स्कूलों के चलते प्रभावित बच्चों की संख्या 38 प्रतिशत तक बढ़ गई, जिससे दुनियाभर में अतिरिक्त 90 मिलियन छात्रों की सीखने की गति और उनके विकास पर बहुत प्रभाव पड़ा.

यूनेस्को द्वारा एकत्रित आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर के महीने में स्कूल बंद होने से प्रभावित बच्चों की संख्या में लगभग तीन गुना कमी देखी गई.

यूनिसेफ ग्लोबल चीफ ऑफ एजुकेशन रॉबर्ट जेनकिंस के मुताबिक, हमने सब कुछ कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन में स्कूलों की भूमिका और बच्चों को स्कूल में सुरक्षित रखने के लिए जो कदम उठाए हैं, उससे हमने बहुत कुछ सीखा है. हम गलत दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और यह सब बहुत जल्दी हो रहा है.

रिपोर्टों के मुताबिक, स्कूलों की इस महामारी को बढ़ाने में मुख्य भूमिका नहीं है. फिर भी सरकारें अन्य और अंतिम उपायों की बजाय स्कूलों को बंद करने का सहारा ले रही हैं.

बहुत मामलों में, यह सिर्फ सामुदायिक स्तर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रव्यापी स्तर पर किया जा रहा है और बच्चों को उनके सीखने, मानसिक और शारीरिक कल्याण और सुरक्षा को लेकर विनाशकारी प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है.

जब स्कूल बंद हो जाते हैं, तो बच्चों का भोजन, उनकी सुरक्षा समेत कई मुद्दों पर जोखिम छाने लगता है. ऐसे में यूनिसेफ को डर है कि स्कूल अनावश्यक रूप से बंद हो रहे हैं और आवश्यक कदम उठाने के लिए कोई पर्याप्त जोर नहीं दिया जा रहा है.

191 देशों के डाटा का उपयोग करने वाले एक हालिया वैश्विक अध्ययन ने समुदाय में स्कूल की स्थिति और कोविड-19 संक्रमण दर के बीच कोई संबंध नहीं दिखाया.

ऐसे में यूनिसेफ ने सरकारों को स्कूलों को फिर से खोलने और यथासंभव उन्हें सुरक्षित बनाने को लेकर कार्रवाई का आग्रह किया है.

स्कूल फिर से खोलने की योजना में शिक्षा का विस्तार करना शामिल होना चाहिए, जिसमें दूरस्थ शिक्षा भी शामिल है, खासकर हाशिए के समूहों के लिए. भविष्य के संकटों का सामना करने के लिए शिक्षा प्रणालियों को भी अनुकूलित और निर्मित किया जाना चाहिए.

स्कूलों को फिर से खोलने के यूनिसेफ के फ्रेमवर्क को, यूएनएचसीआर, डब्ल्यूएफपी और विश्व बैंक ने भी ज्वाइन किया है. दिशानिर्देश नीति सुधार पर केंद्रित है.

यह दिशानिर्देश पॉलिसी रिफॉर्म, वित्तीय संबंधी आवश्यकताएं, सुरक्षित संचालन और बच्चों के कल्याण और संरक्षण से संबंधित है.

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