हैदराबाद : कोरोना वायरस का प्रकोप जारी है. इसका संक्रमण तेजी से फैल रहा है. भारत में अब तक कोरोना वायरस के पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगभग 1,80,000 हो गई है, वहीं पांच हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. एक दिन में जहां 2,000 कोरोना मरीज सामने आ रहे थे वहीं अब यह संख्या लगभग आठ हजार पहुंच गई है. COVID-19 के सबसे ज्यादा मरीज महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, गुजरात और राजस्थान में हैं.
लोकल सर्कल्स ने लोगों के बीच लॉकडाउन 4.0 को खत्म करने के लिए सरकार को क्या करना चाहिए, इस पर एक सर्वे किया, जिसमें देश के 221 जिलों से 18,000 से ज्यादा वोट मिले. वहीं रोजाना COVID-19 के प्रभाव, अपने अनुभवों और उससे होने वाले जोखिमों पर चर्चा की गई. लोगों की COVID-19 को लेकर क्या राय है, वो कोरोना वायरस को किस तरह देख रहे हैं, इसको जानने के लिए लोकल सर्कल्स ने देश के 237 जिलों से 40,000 लोगों पर एक और सर्वे किया.
सर्वे के पहले प्रश्न में, लोगों से उनके सोशल नेटवर्क जैसे परिवार, दोस्तों, ऑफिस में COVID-19 संक्रमितों के बारे में पूछा गया, जिसमें 7% लोगों ने कहा कि उनके सोशल नेटवर्क में कम से कम एक कोरोना संक्रमित मरीज है. वहीं 89% लोगों ने कहा कि उनके सोशल नेटवर्क में कोरोना के पॉजिटिव मरीज नहीं है और 4% लोगों को इसकी कोई जानकारी नहीं है.
वहीं अगर बात स्वास्थ्य सुविधाओं की करें तो लोगों का मानना है कि देश में सरकारी अस्पतालों से अच्छी सुविधाएं निजी अस्पतालों में हैं. आम तौर पर महानगरों में रहने वाले लोगों का मानना है कि सरकारी अस्पतालों की हालत खस्ता है. वहां लोगों को प्रथमिक इलाज भी मुहैया नहीं हो पाता है और सरकारी अस्पताल छोटे वर्ग के लोगों के लिए है. वहीं लोगों ने बताया कि प्राइवेट अस्पतालों में सुविधाएं हैं लेकिन इलाज का खर्चा ज्यादा है. 61% लोगों का कहना है कि कोरोना वायरस के इलाज का खर्चा प्राइवेट अस्पतालों में मानकीकृत किया जाए.
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सर्वे के दूसरे सवाल में लोगों से पूछा गया कि अगर उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आती है तो वह लोग इलाज के लिए कहां जाएंगे. जवाब में 32% लोगों ने कहा कि वे प्राइवेट अस्पताल में और 22% लोगों ने कहा कि वे सरकारी अस्पताल में अपना इलाज करवाएंगे. वहीं 14% लोगों ने कहा कि उन्हें नहीं पता की वे लोग कहां इलाज कराएंगे और 32% लोगों का कहना था कि वे इलाज के अस्पताल नहीं जाएंगे, घरों में ही क्वारंटाइन रहेंगे.
सर्वे में यह बात भी सामने आई कि लोगों को सरकारी अस्पतालों में इलाज करवाने में संक्रमित होने का डर भी बना रहता है. हालांकि जब मार्च में कोरोना वायरस संक्रमण भारत में फैलना शुरु हुआ था तब सिर्फ सरकारी अस्पतालों को ही COVID-19 सेंटर बनाए गए थे. बाद में जब देश में कोरोना के मरीज बढ़ने लगे तब प्राइवेट अस्पतालों में भी कोविड केयर सेंटर बनाए गए.