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कोविड-19 की वजह से दुनिया में 2.8 करोड़ सर्जरी रद हो सकती हैं : अध्ययन

ब्रिटिश जर्नल ऑफ सर्जरी में प्रकाशित शोधपत्र के अनुसार कोविड-19 की वजह से अस्पतालों में सबसे अधिक उथलपुथल होने से दुनियाभर में 2020 में दो करोड़ 84 लाख सर्जरी या तो रद की जा सकती है या उन्हें टाला जा सकता है. जानें विस्तार से...

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प्रतीकात्मक चित्र
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Published : May 17, 2020, 9:38 AM IST

लंदन : दुनिया भर में विभिन्न बीमारियों की वजह से 2.8 करोड़ लोगों की सर्जरी रद हो सकती है और मरीजों को अपनी समस्या के समाधान के लिए और लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. यह आकलन हालिया अध्ययन में पेश किया गया है.

'कोविडसर्ज कैलबरैटिव' नाम से 120 देशों पर किए एक गए शोध में कोविड-19 से पड़ने वाले असर का विश्लेषण किया गया. इसके मुताबिक कोविड-19 की वजह से अस्पतालों में सबसे अधिक उथलपुथल होने से दुनियाभर में 2020 में दो करोड़ 84 लाख सर्जरी या तो रद की जा सकती है या उन्हें टाला जा सकता है.

ब्रिटिश जर्नल ऑफ सर्जरी में प्रकाशित शोधपत्र के मुताबिक कोविड-19 की वजह से प्रत्येक एक हफ्ते अस्पतालों में उथलपुथल होने पर 24 लाख सर्जरी रद हो सकती हैं.

शोधदल का नेतृत्व ब्रिटेन स्थित बर्मिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया और अध्ययन के मुताबिक दुनिया के 71 देशों के 359 अस्पतालो में सर्जरी से जुड़ी विस्तृत जानकारी एकत्रित की गई है और इन चुनिंदा सर्जरी को रद करने की योजना का विश्लेषण किया गया.

इस आंकड़ों के आधार पर दुनिया के 190 देशों का आकलन किया गया.

शोधकर्ताओं का आकलन है कि कोविड-19 के चरम पर होने पर दुनियाभर में पूर्व निर्धारित करीब 72.3 प्रतिशत सर्जरी रद की जा सकती हैं. इनमें अधिकतर गैर कैंसर सर्जरी होंगी.

शोधकर्ताओं के मुताबिक करीब 12 हफ्तों में सबसे अधिक 63 लाख हड्डी से जुड़ी सर्जरी टाली गई है. अध्ययन का आकलन है कि दुनियाभर में 23 लाख कैंसर से जुड़ी सर्जरी भी या तो रद कर दी गई या उसे स्थगित कर दिया गया.

इसे भी पढ़ें- कोरोना इफेक्टः चंडीगढ़ पीजीआई में बंद हुई ट्रांसप्लांट सर्जरी

बर्मिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ता अनिल भांगू ने कहा, 'कोरोना वायरस की महामारी के दौरान अधिकतर चुनिंदा सर्जरी को इसलिए टाला गया ताकि मरीजों को कोविड-19 के खतरे से बचाया जा सके और अस्पताल और अधिक क्षमता से वायरस संक्रमितों का इलाज कर सकें. उदाहरण के लिए ऑपरेशन थियेटर को गहन चिकित्सा कक्ष में बदला गया है.'

भांगू ने कहा, 'हालांकि, आवश्यक सर्जरी को टालने से मरीज और समाज पर भारी बोझ पड़ेगा. सर्जरी की तारीख को पुन: निर्धारित करने से मरीजों की हालत और खराब हो सकती है .उनके जीवन स्तर में गिरावट आ सकती है. कुछ मामलों में उदाहरण के लिए कैंसर में लोगों की सर्जरी में देरी की वजह से अनावश्यक मौत तक हो सकती है.'

बर्मिंघम विश्वविद्यालय के ही दमित्रि नेपोगोदिव ने कहा इसलिए यह अस्पतालों के लिए आवश्यक है कि वे नियमति रूप से स्थिति का आकलन करें ताकि चुनिंदा सर्जरी की प्रक्रिया को यथा शीघ्र बहाल किया जा सके.

लंदन : दुनिया भर में विभिन्न बीमारियों की वजह से 2.8 करोड़ लोगों की सर्जरी रद हो सकती है और मरीजों को अपनी समस्या के समाधान के लिए और लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. यह आकलन हालिया अध्ययन में पेश किया गया है.

'कोविडसर्ज कैलबरैटिव' नाम से 120 देशों पर किए एक गए शोध में कोविड-19 से पड़ने वाले असर का विश्लेषण किया गया. इसके मुताबिक कोविड-19 की वजह से अस्पतालों में सबसे अधिक उथलपुथल होने से दुनियाभर में 2020 में दो करोड़ 84 लाख सर्जरी या तो रद की जा सकती है या उन्हें टाला जा सकता है.

ब्रिटिश जर्नल ऑफ सर्जरी में प्रकाशित शोधपत्र के मुताबिक कोविड-19 की वजह से प्रत्येक एक हफ्ते अस्पतालों में उथलपुथल होने पर 24 लाख सर्जरी रद हो सकती हैं.

शोधदल का नेतृत्व ब्रिटेन स्थित बर्मिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया और अध्ययन के मुताबिक दुनिया के 71 देशों के 359 अस्पतालो में सर्जरी से जुड़ी विस्तृत जानकारी एकत्रित की गई है और इन चुनिंदा सर्जरी को रद करने की योजना का विश्लेषण किया गया.

इस आंकड़ों के आधार पर दुनिया के 190 देशों का आकलन किया गया.

शोधकर्ताओं का आकलन है कि कोविड-19 के चरम पर होने पर दुनियाभर में पूर्व निर्धारित करीब 72.3 प्रतिशत सर्जरी रद की जा सकती हैं. इनमें अधिकतर गैर कैंसर सर्जरी होंगी.

शोधकर्ताओं के मुताबिक करीब 12 हफ्तों में सबसे अधिक 63 लाख हड्डी से जुड़ी सर्जरी टाली गई है. अध्ययन का आकलन है कि दुनियाभर में 23 लाख कैंसर से जुड़ी सर्जरी भी या तो रद कर दी गई या उसे स्थगित कर दिया गया.

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बर्मिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ता अनिल भांगू ने कहा, 'कोरोना वायरस की महामारी के दौरान अधिकतर चुनिंदा सर्जरी को इसलिए टाला गया ताकि मरीजों को कोविड-19 के खतरे से बचाया जा सके और अस्पताल और अधिक क्षमता से वायरस संक्रमितों का इलाज कर सकें. उदाहरण के लिए ऑपरेशन थियेटर को गहन चिकित्सा कक्ष में बदला गया है.'

भांगू ने कहा, 'हालांकि, आवश्यक सर्जरी को टालने से मरीज और समाज पर भारी बोझ पड़ेगा. सर्जरी की तारीख को पुन: निर्धारित करने से मरीजों की हालत और खराब हो सकती है .उनके जीवन स्तर में गिरावट आ सकती है. कुछ मामलों में उदाहरण के लिए कैंसर में लोगों की सर्जरी में देरी की वजह से अनावश्यक मौत तक हो सकती है.'

बर्मिंघम विश्वविद्यालय के ही दमित्रि नेपोगोदिव ने कहा इसलिए यह अस्पतालों के लिए आवश्यक है कि वे नियमति रूप से स्थिति का आकलन करें ताकि चुनिंदा सर्जरी की प्रक्रिया को यथा शीघ्र बहाल किया जा सके.

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