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कोरोना वायरस से अब तक अछूते हैं पूर्वोत्तर के यह तीन राज्य - पूर्वोत्तर में कोरोना वायरस

पूरी दुनिया में कोरोना से मरने वालों की संख्या एक लाख के पार पहुंच गई है. भारत में भी कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. हालांकि, भारत में अब भी तीन राज्य ऐसे हैं, जहां कोरोना का संक्रमण नहीं फैला है. पूर्वोत्तर के मेघालय, नागालैंड और सिक्किम में कोविड-19 का अब तक एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है. पढ़ें पूरी खबर...

covid19 in northeast
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Published : Apr 12, 2020, 10:46 PM IST

हैदराबाद : पूरी दुनिया में कोरोना से मरने वालों की संख्या एक लाख के पार पहुंच गई है. भारत में भी कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. हालांकि, भारत में अब भी तीन राज्य ऐसे हैं, जहां कोरोना का संक्रमण नहीं फैला है.

पूर्वोत्तर के मेघालय, नागालैंड और सिक्किम में कोविड-19 का अब तक एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है. वहीं भारत में 8,356 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. साथ ही 273 लोगों की मौत भी हो चुकी है.

पर्यटकों का स्वर्ग कहा जाने वाला पूर्वोत्तर कोरोना से बचा हुआ है. इसका मुख्य कारण इस क्षेत्र में नागरिकता संशोधन विधेयक में होने वाली व्यापक गड़बड़ी है, जिसके कारण यहां कई आंदोलन किए जा रहे थे और यहां बाहर के लोगों का आना-जाना बंद था.

बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) 11 दिसंबर को संसद में पारित होने के बाद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) बन गया.

पूर्वोत्तर में हो रहे आंदोलनों के कारण कई पर्यटकों को अपनी यात्रा स्थगित करनी पड़ी. जबकि कई राज्यों में पहले से ही कड़े इनर-लाइन परमिट (आईएलपी) मानदंड थे, जो विरोध प्रदर्शनों के कारण ध्यान केंद्रित कर रहे थे.

पूर्वोत्तर में सीएबी के खिलाफ प्रदर्शन जनवरी 2019 में बहुत पहले शुरू हो चुका था. लेकिन अपने असल पैमाने पर यह अक्टूबर 2019 में पहुंचा. यह वही समय होता है, जब मुख्य भूमि के साथ-साथ विदेशी भी इस क्षेत्र की यात्रा करने आते हैं.

इसके बाद सीएबी को संसद में पारित कर सीएए यानी संशोधित नागरिकता कानून बना दिया गया. ऐसा होते ही इन विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया.

जानकारी के लिए बता दें, संशोधित नागरिकता कानून 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भारत आए हिन्दू, बोद्ध, जैन, पारसी, सिख और ईसाईयों (इसमें सिर्फ मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है) को भारत की नागरिकता प्रदान करता है.

12 अप्रैल 2020, तक पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में कोविड-19 के कुल 35 मामले सामने आए हैं. हैरानी वाली बात यह है कि इनमें सबसे अधिक मामले तबलीगी जमात से संबंध रखने वालों से जुड़े हुए हैं. यह वही लोग हैं, जो दक्षिणी दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में आयोजित मरकज में शामिल हुए थे.

अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में एक-एक, मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि असम में कोविड-19 के लगभग 29 मामले दर्ज किए जा चुके हैं.

वहीं अरुणाचल प्रदेश में भी कोरोना संक्रमित पाए गए एक व्यक्ति का संबंध तबलीगी जमात के कार्यक्रम से है. मिजोरम में कोरोना संक्रमित पाए गए व्यक्ति से पता चला कि वह विदेश यात्रा कर भारत लौटा था.

मणिपुर में सामने आया मामला एक मेडिकल छात्र का है. यह छात्र ब्रिटेन से यात्रा कर भारत लौटा था. वहीं त्रिपुरा के दो मामलों में से एक मामला विदेश यात्रा कर लौटी महिला का है, जबकि दूसरा मामला मध्य प्रदेश से यात्रा कर लौटे व्यक्ति का बताया जा रहा है.

कोरोना वायरस से अछूते रहे पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर लोग अलग-अलग धारणाएं बना रहे हैं कि क्यों इन क्षेत्रों पर कोविड-19 का प्रभाव ज्यादा नहीं पड़ा है.

लोगों का मानना है कि सुपारी और चुने को पान के साथ खाने से मुंह के जीवाणु मर जाते हैं, जिससे कोरोना का वायरस भी किसी की सेहत पर असर नहीं डाल पाता.

पूर्वोत्तर में कई लोग पान का सेवन करते हैं और इसीलिए यहां के लोगों का मानना है कि उन पर कोरोना का कोई प्रभाव नहीं है. यहां के लोग मानते हैं कि पान चबाने के बाद शरीर में गर्माहट पैदा होती है, जो कोरोना वायरस से बचाती है.

हैदराबाद : पूरी दुनिया में कोरोना से मरने वालों की संख्या एक लाख के पार पहुंच गई है. भारत में भी कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. हालांकि, भारत में अब भी तीन राज्य ऐसे हैं, जहां कोरोना का संक्रमण नहीं फैला है.

पूर्वोत्तर के मेघालय, नागालैंड और सिक्किम में कोविड-19 का अब तक एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है. वहीं भारत में 8,356 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. साथ ही 273 लोगों की मौत भी हो चुकी है.

पर्यटकों का स्वर्ग कहा जाने वाला पूर्वोत्तर कोरोना से बचा हुआ है. इसका मुख्य कारण इस क्षेत्र में नागरिकता संशोधन विधेयक में होने वाली व्यापक गड़बड़ी है, जिसके कारण यहां कई आंदोलन किए जा रहे थे और यहां बाहर के लोगों का आना-जाना बंद था.

बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) 11 दिसंबर को संसद में पारित होने के बाद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) बन गया.

पूर्वोत्तर में हो रहे आंदोलनों के कारण कई पर्यटकों को अपनी यात्रा स्थगित करनी पड़ी. जबकि कई राज्यों में पहले से ही कड़े इनर-लाइन परमिट (आईएलपी) मानदंड थे, जो विरोध प्रदर्शनों के कारण ध्यान केंद्रित कर रहे थे.

पूर्वोत्तर में सीएबी के खिलाफ प्रदर्शन जनवरी 2019 में बहुत पहले शुरू हो चुका था. लेकिन अपने असल पैमाने पर यह अक्टूबर 2019 में पहुंचा. यह वही समय होता है, जब मुख्य भूमि के साथ-साथ विदेशी भी इस क्षेत्र की यात्रा करने आते हैं.

इसके बाद सीएबी को संसद में पारित कर सीएए यानी संशोधित नागरिकता कानून बना दिया गया. ऐसा होते ही इन विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया.

जानकारी के लिए बता दें, संशोधित नागरिकता कानून 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भारत आए हिन्दू, बोद्ध, जैन, पारसी, सिख और ईसाईयों (इसमें सिर्फ मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है) को भारत की नागरिकता प्रदान करता है.

12 अप्रैल 2020, तक पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में कोविड-19 के कुल 35 मामले सामने आए हैं. हैरानी वाली बात यह है कि इनमें सबसे अधिक मामले तबलीगी जमात से संबंध रखने वालों से जुड़े हुए हैं. यह वही लोग हैं, जो दक्षिणी दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में आयोजित मरकज में शामिल हुए थे.

अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में एक-एक, मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि असम में कोविड-19 के लगभग 29 मामले दर्ज किए जा चुके हैं.

वहीं अरुणाचल प्रदेश में भी कोरोना संक्रमित पाए गए एक व्यक्ति का संबंध तबलीगी जमात के कार्यक्रम से है. मिजोरम में कोरोना संक्रमित पाए गए व्यक्ति से पता चला कि वह विदेश यात्रा कर भारत लौटा था.

मणिपुर में सामने आया मामला एक मेडिकल छात्र का है. यह छात्र ब्रिटेन से यात्रा कर भारत लौटा था. वहीं त्रिपुरा के दो मामलों में से एक मामला विदेश यात्रा कर लौटी महिला का है, जबकि दूसरा मामला मध्य प्रदेश से यात्रा कर लौटे व्यक्ति का बताया जा रहा है.

कोरोना वायरस से अछूते रहे पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर लोग अलग-अलग धारणाएं बना रहे हैं कि क्यों इन क्षेत्रों पर कोविड-19 का प्रभाव ज्यादा नहीं पड़ा है.

लोगों का मानना है कि सुपारी और चुने को पान के साथ खाने से मुंह के जीवाणु मर जाते हैं, जिससे कोरोना का वायरस भी किसी की सेहत पर असर नहीं डाल पाता.

पूर्वोत्तर में कई लोग पान का सेवन करते हैं और इसीलिए यहां के लोगों का मानना है कि उन पर कोरोना का कोई प्रभाव नहीं है. यहां के लोग मानते हैं कि पान चबाने के बाद शरीर में गर्माहट पैदा होती है, जो कोरोना वायरस से बचाती है.

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