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उन्नाव रेप मामला: कोर्ट ने अधूरे सबूत के लिए CBI को लगाई फटकार

उन्नाव रेप केस में पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले पर तीस हजारी कोर्ट ने सीबीआई को अधूरे साक्ष्य जमा करने पर फटकार लगाई. जानें क्या है पूरा मामला...

कुलदीप सिंह सेंगर
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Published : Oct 22, 2019, 12:06 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी की तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव रेप मामले में सोमवार को सीबीआई को फटकार लगाई. डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा ने पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में तीस हजारी कोर्ट ने अधूरे साक्ष्य जमा कराने पर सीबीआई को फटकार लगाई.

साथ ही पीड़िता के चाचा का पूरा कॉल डाटा रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया. सीबीआई ने पीड़िता के चाचा की अधूरी कॉल डाटा रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल किया था. कोर्ट ने 25 अक्टूबर तक कॉल डाटा रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया.

सीबीआई ने दायर की थी चार्टशीट
पिछले 11 अक्टूबर को पीड़िता के साथ हुए एक्सीडेंट के मामले में सीबीआई ने दायर अपने चार्जशीट में कहा था कि एक्सीडेंट लापरवाही से वाहन चलाने के कारण हुई. सीबीआई ने आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ हत्या की धाराओं को हटा दिया है. चार्जशीट में कुलदीप सिंह सेंगर और उसके भाई समेत मनोज के खिलाफ पीड़िता के परिवार को केस वापस लेने के लिए धमकाने का आरोप लगाया गया है. चार्जशीट में कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ एक्सीडेंट का साजिश रचने का आरोपी नहीं बनाया गया है.

ये भी पढ़ें ः उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता को दिल्ली एयरलिफ्ट किया गया, एम्स में होगा इलाज

आपको बता दें कि पीड़िता के चाचा ने इस एक्सीडेंट के लिए कुलदीप सिंह सेंगर को साजिश रचने का आरोपी माना है. वहीं एक्सीडेंट में घायल पीड़िता के वकील का अभी भी एम्स में इलाज चल रहा है. पीड़िता एम्स से डिस्चार्ज हो चुकी हैं. सीबीआई ने सेंगर को 2017 में पीड़िता के साथ हुए गैंगरेप के मामले में आरोपी बनाया है.

नई दिल्ली: राजधानी की तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव रेप मामले में सोमवार को सीबीआई को फटकार लगाई. डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा ने पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में तीस हजारी कोर्ट ने अधूरे साक्ष्य जमा कराने पर सीबीआई को फटकार लगाई.

साथ ही पीड़िता के चाचा का पूरा कॉल डाटा रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया. सीबीआई ने पीड़िता के चाचा की अधूरी कॉल डाटा रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल किया था. कोर्ट ने 25 अक्टूबर तक कॉल डाटा रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया.

सीबीआई ने दायर की थी चार्टशीट
पिछले 11 अक्टूबर को पीड़िता के साथ हुए एक्सीडेंट के मामले में सीबीआई ने दायर अपने चार्जशीट में कहा था कि एक्सीडेंट लापरवाही से वाहन चलाने के कारण हुई. सीबीआई ने आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ हत्या की धाराओं को हटा दिया है. चार्जशीट में कुलदीप सिंह सेंगर और उसके भाई समेत मनोज के खिलाफ पीड़िता के परिवार को केस वापस लेने के लिए धमकाने का आरोप लगाया गया है. चार्जशीट में कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ एक्सीडेंट का साजिश रचने का आरोपी नहीं बनाया गया है.

ये भी पढ़ें ः उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता को दिल्ली एयरलिफ्ट किया गया, एम्स में होगा इलाज

आपको बता दें कि पीड़िता के चाचा ने इस एक्सीडेंट के लिए कुलदीप सिंह सेंगर को साजिश रचने का आरोपी माना है. वहीं एक्सीडेंट में घायल पीड़िता के वकील का अभी भी एम्स में इलाज चल रहा है. पीड़िता एम्स से डिस्चार्ज हो चुकी हैं. सीबीआई ने सेंगर को 2017 में पीड़िता के साथ हुए गैंगरेप के मामले में आरोपी बनाया है.

Intro:नई दिल्ली । दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव रेप मामले में आज सीबीआई को फटकार लगाई। डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा ने पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में तीस हजारी कोर्ट ने अधूरे साक्ष्य कोर्ट में जमा कराने पर सीबीआई को फटकार लगाते हुए पीड़िता के चाचा का पूरा कॉल डाटा रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया । सीबीआई ने पीड़िता के चाचा की अधूरी कॉल डाटा रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल किया था। कोर्ट ने 25 अक्टूबर तक कॉल डाटा रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया।



Body:पिछले 11 अक्टूबर को पीड़िता के साथ हुए एक्सीडेंट के मामले में सीबीआई ने दायर अपने चार्जशीट में कहा था कि एक्सीडेंट लापरवाही से वाहन चलाने की वजह से हुई। सीबीआई ने आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ हत्या की धाराओं को हटा दिया है ।
चार्जशीट में कुलदीप सिंह सेंगर और उसके भाई समेत मनोज के खिलाफ पीड़िता के परिवार को केस वापस लेने के लिए धमकाने का आरोप लगाया गया है। चार्जशीट में कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ एक्सीडेंट का साजिश रचने का आरोपी नहीं बनाया गया है।
आपको बता दें कि पीड़िता के चाचा ने इस एक्सीडेंट के लिए कुलदीप सिंह सेंगर को साजिश रचने का आरोपी माना है। एक्सीडेंट में घायल पीड़िता के वकील का अभी भी एम्स में इलाज चल रहा है। पीड़िता एम्स से डिस्चार्ज हो चुकी है। सीबीआई ने सेंगर को 2017 में पीड़िता के साथ हुए गैंगरेप के मामले में आरोपी बनाया है। 
पिछले 10 अक्टूबर को कोर्ट ने पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में पीड़िता की बहन का क्रास-एग्जामिनेशन किया था । इस मामले में कोर्ट ने पीड़िता की मां का क्रास-एग्जामिनेशन खत्म किया।
इस मामले में आईफोन निर्माता कंपनी एपल ने कोर्ट को बताया था कि घटना के दिन आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के लोकेशन का कोई डाटा उपलब्ध नहीं है। एपल के वकील ने डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा की कोर्ट को ये जानकारी दी थी। 
पिछले 29 सितंबर को कोर्ट ने एपल कंपनी से घटना वाले दिन कुलदीप सिंह सेंगर के लोकेशन की जानकारी मांगी थी। दरअसल कुलदीप सिंह सेंगर ने कोर्ट को बताया था कि वो घटना वाले दिन घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। उसके बाद कोर्ट ने एपल कंपनी से कुलदीप सिंह सेंगर की लोकेशन मांगी थी।
पिछले 1 अक्टूबर को कोर्ट ने उन्नाव के ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट का बयान दर्ज किया था। उन्नाव के ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट ने रेप पीड़िता की चाची का बयान दर्ज किया था। इस मामले में डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा की कोर्ट ने पीड़िता की मां का भी बयान दर्ज किया।
पिछले 25 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप पीड़िता के साथ हुए एक्सीडेंट मामले की जांच के लिए सीबीआई को 15 दिनों का और वक्त दे दिया था। पिछले 24 अक्टूबर को कोर्ट ने पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों को दिल्ली में रहने की व्यवस्था करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने दिल्ली महिला आयोग को इसके इंतजाम करने का निर्देश दिया था।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पीड़िता को पिछले 28 जुलाई को लखनऊ से दिल्ली एम्स में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया था। पिछले 11 और 12 सितंबर को जज धर्मेश शर्मा ने एम्स के ट्रॉमा सेंटर जाकर बने अस्थायी कोर्ट में पीड़िता का बयान दर्ज किया था। पीड़िता का बयान इन-कैमरा दर्ज किया गया । बयान दर्ज करने के दौरान आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भी ट्रामा सेंटर में बनाए गए अस्थायी कोर्ट में पेश किया गया था।
पिछले 6 सितंबर को जज धर्मेश शर्मा ने ट्रायल पूरा करने के लिए 45 दिन की समयसीमा को बढ़ाये जाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी इजाजत देते हुए कहा था कि आगे भी समयसीमा बढ़ाये जाने की ज़रूरत महसूस होने पर वो सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं।



Conclusion:पिछले 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट से पूछा था कि मामले की सुनवाई करने में कितना समय लगेगा। दरअसल इस मामले के एक आरोपी शशि सिंह ने कोर्ट को बताया कि इस केस से जुड़े दुर्घटना मामले में सीबीआई की ओर से अभी तक आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया है।
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