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कोरोना वायरस : चीन की भूमिका संदेहास्पद, डब्लूएचओ की बैठक में जांच पर जोर रहेगा !

कोरोना वायरस (कोविड-19) से दुनिया के 180 से अधिक देश प्रभावित हैं. भारत और चीन भी इससे अछूते नहीं हैं. शनिवार को भारत ने चीन ने कुल संक्रमित लोगों की संख्या के मामले में पीछे छोड़ दिया. ताजा घटनाक्रम में चीन की भूमिका की जांच करने की मांग सामने आ रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की बैठक में कई देशों ने इस बात पर जोर दिया है कि कोरोना वायरस को लेकर चीन की भूमिका की जांच होनी चाहिए.

china on corona
कोरोना चीन की भूमिका
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Published : May 17, 2020, 5:46 PM IST

Updated : May 17, 2020, 6:27 PM IST

जिनेवा : कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई का समन्वय करने वाली अग्रिम पंक्ति में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की अहम भूमिका है. हालांकि, सोमवार को जब डब्ल्यूएचओ की निर्णय लेने वाले निकाय की बैठक होगी, तब उसके सामने एक अलग तरह की लड़ाई होगी.

सोमवार को डब्ल्यूएचओ की वार्षिक बैठक में कोरोना महामारी के प्रकोप को लेकर चीन और अमेरिका के तनाव का असर देखा जा सकता है. गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण पर प्रतिक्रिया को लेकर चीन का अन्य देशों के साथ भी तनाव बढ़ गया है.

इस संबंध में दक्षिण चीन मॉर्निंग पोस्ट ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की विश्व स्वास्थ्य सभा की बैठक में 194 सदस्य देशों के अलावा पर्यवेक्षक भी शामिल होंगे. इस बैठक में नीतियों और बजट की समीक्षा के बाद अनुमोदन किया जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक इस बैठक में कोरोना वायरस का मुद्दा हावी रहेगा.

अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस और जर्मनी सहित देशों को वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के ढांचे के भीतर चीन की महामारी से निपटने के लिए एक जांच करने की संभावना है. इसके अलावा चीन सरकार को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी ले जाया सकता है.

इन देशों के नेताओं ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह वायरस की उत्पत्ति को लेकर जांच करना चाहते हैं.

विश्व स्वास्थ्य सभा प्रत्येक मई में जेनेवा में एकत्रित होती है. इस साल कोरोना वायरस के कारण यह एक वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से होगी.

बता दें कि चीन द्वारा कोरोना वायरस से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की सरहाना के बाद डब्ल्यूएचओ अमेरिका के निशाने पर है.

चूंकि पिछले साल के अंत में चीनी शहर वुहान में पहली बार कोरोना को रिपोर्ट किया गया था, इसके बावजूद कोरोना वायरस ने 300,000 से अधिक लोगों को मार डाला और दुनिया भर में 4.5 मिलियन से अधिक लोगों को संक्रमित किया.

कोरोना वायरस से अमेरिका बुरी तरह से पीड़ित है, जबकि चीन ने बड़े पैमाने पर अपने प्रकोप को नियंत्रण कर लिया है.

पढ़ें - दुनिया में कोरोना से 3 लाख से अधिक मौतें, अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित

इस बीच, अमेरिका-चीन के बीच आरोप- प्रत्यारोप का खेल में तेजी आ गई.राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह कहते हुए कि दुनिया चीन से प्लेग की चपेट में आई है और है वायरस को वुहान प्रयोगशाला में तैयार किया था. इसलिए चीन को जानबूझकर जिम्मेदार होने का परिणाम भुगतना चाहिए.

बीजिंग ने हालांकि उन आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि चाीन ने वायरस की मूल जांच करने के डब्ल्यूएचओ के प्रयासों का समर्थन किया है और इस मुद्दे का राजनीतिकरणनहीं किया है.

डब्ल्यूएचओ संविधान के तहत, वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी संयुक्त राष्ट्र के मुख्य कानूनी अंग, हेग में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में अनसुलझे विवादों का उल्लेख कर सकती है. लेकिन स्वास्थ्य और कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि संभावना नहीं है और अगर ऐसा हुआ भी, तो आईसीजे एक निर्णय लागू करने में सक्षम नहीं होगा

जिनेवा : कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई का समन्वय करने वाली अग्रिम पंक्ति में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की अहम भूमिका है. हालांकि, सोमवार को जब डब्ल्यूएचओ की निर्णय लेने वाले निकाय की बैठक होगी, तब उसके सामने एक अलग तरह की लड़ाई होगी.

सोमवार को डब्ल्यूएचओ की वार्षिक बैठक में कोरोना महामारी के प्रकोप को लेकर चीन और अमेरिका के तनाव का असर देखा जा सकता है. गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण पर प्रतिक्रिया को लेकर चीन का अन्य देशों के साथ भी तनाव बढ़ गया है.

इस संबंध में दक्षिण चीन मॉर्निंग पोस्ट ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की विश्व स्वास्थ्य सभा की बैठक में 194 सदस्य देशों के अलावा पर्यवेक्षक भी शामिल होंगे. इस बैठक में नीतियों और बजट की समीक्षा के बाद अनुमोदन किया जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक इस बैठक में कोरोना वायरस का मुद्दा हावी रहेगा.

अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस और जर्मनी सहित देशों को वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के ढांचे के भीतर चीन की महामारी से निपटने के लिए एक जांच करने की संभावना है. इसके अलावा चीन सरकार को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी ले जाया सकता है.

इन देशों के नेताओं ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह वायरस की उत्पत्ति को लेकर जांच करना चाहते हैं.

विश्व स्वास्थ्य सभा प्रत्येक मई में जेनेवा में एकत्रित होती है. इस साल कोरोना वायरस के कारण यह एक वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से होगी.

बता दें कि चीन द्वारा कोरोना वायरस से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की सरहाना के बाद डब्ल्यूएचओ अमेरिका के निशाने पर है.

चूंकि पिछले साल के अंत में चीनी शहर वुहान में पहली बार कोरोना को रिपोर्ट किया गया था, इसके बावजूद कोरोना वायरस ने 300,000 से अधिक लोगों को मार डाला और दुनिया भर में 4.5 मिलियन से अधिक लोगों को संक्रमित किया.

कोरोना वायरस से अमेरिका बुरी तरह से पीड़ित है, जबकि चीन ने बड़े पैमाने पर अपने प्रकोप को नियंत्रण कर लिया है.

पढ़ें - दुनिया में कोरोना से 3 लाख से अधिक मौतें, अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित

इस बीच, अमेरिका-चीन के बीच आरोप- प्रत्यारोप का खेल में तेजी आ गई.राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह कहते हुए कि दुनिया चीन से प्लेग की चपेट में आई है और है वायरस को वुहान प्रयोगशाला में तैयार किया था. इसलिए चीन को जानबूझकर जिम्मेदार होने का परिणाम भुगतना चाहिए.

बीजिंग ने हालांकि उन आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि चाीन ने वायरस की मूल जांच करने के डब्ल्यूएचओ के प्रयासों का समर्थन किया है और इस मुद्दे का राजनीतिकरणनहीं किया है.

डब्ल्यूएचओ संविधान के तहत, वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी संयुक्त राष्ट्र के मुख्य कानूनी अंग, हेग में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में अनसुलझे विवादों का उल्लेख कर सकती है. लेकिन स्वास्थ्य और कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि संभावना नहीं है और अगर ऐसा हुआ भी, तो आईसीजे एक निर्णय लागू करने में सक्षम नहीं होगा

Last Updated : May 17, 2020, 6:27 PM IST
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