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कोरोना वायरस लॉकडाउन में बढ़ रहा बच्चों में मोटापा : अध्ययन

ऐसे समय में जब दुनिया कोरोनो वायरस संकट से जूझ रही है, अमेरिका में बफेलो विश्वविद्यालय के एक अध्ययन से पता चला है कि लॉकडाउन के चलते बच्चों में मोटापे का स्तर बढ़ रहा है क्योंकि इससे खानपान, नींद और शारीरिक गतिविधि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. निष्कर्ष के लिए शोधकर्ताओं ने इटली के वेरोना में मार्च और अप्रैल में 41 बच्चों और किशोरियों के बीच मोटापे को लेकर सर्वेक्षण किया.

worsen childhood obesity
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Published : Jun 6, 2020, 5:32 AM IST

न्यूयॉर्क : दुनिया भर में कोरोनो वायरस का प्रकोप जारी है. इसी बीच एक नए शोध में पाया गया है कि कोरोना वायरस जैसी महामारी के कारण लॉकडाउन में रहने से बच्चों में मोटापे का स्तर बढ़ सकता है क्योंकि यह आहार, नींद और शारीरिक गतिविधियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है.

अमेरिका में बफेलो विश्वविद्यालय के सह-लेखक माइल्स फेथ ने कहा, 'कोरोना वायरस महामारी का प्रत्यक्ष वायरल संक्रमण से परे व्यापक प्रभाव है.'

उन्होंने आगे कहा कि मोटापे से जूझ रहे बच्चों और किशोरों को स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने और प्रतिकूल वातावरण बनाने के लिए एकांतवास में रखा गया है.

बच्चों और किशोरों का आमतौर पर स्कूल की गर्मियों की छुट्टी के दौरान वजन बढ़ता है. शोधकर्ताओं ने आश्चर्यच जताया कि घर में बंद रहने के कारण भी बच्चों की जीवन शैली और व्यवहार पर समान रूप से प्रभाव पड़ेगा.

ओबेसिटी पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्ष के लिए शोधकर्ताओं ने इटली के वेरोना में मार्च और अप्रैल में 41 बच्चों और किशोरियों के बीच मोटापे को लेकर सर्वेक्षण किया.

इटली में लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन के तीन सप्ताह के दौरान बच्चों की जीवन शैली जैसे कि खानपान, गतिविधि और नींद के बारे में जानकारी एकत्र की गई थी और 2019 में इकट्ठा किए गए बच्चों के आंकड़ों की तुलना की गई.

इसमें शारीरिक गतिविधि, स्क्रीन टाइम, नींद, खाने की आदतों और रेड मीट, पास्ता, स्नैक्स, फलों और सब्जियों के सेवन पर केंद्रित प्रश्न पूछे गए थे. इनसे मिले परिणामों ने पता लगा कि बच्चों के व्यवहार में नकारात्मक बदलाव आए हैं. इसने दर्शाया कि मोटापे से ग्रस्त बच्चे वजन नियंत्रण या कम करने पर कम ध्यान देते हैं और पढ़ाई में अधिक ध्यान देते हैं.

एक वर्ष पहले की जीवन शैली की तुलना में बच्चों ने प्रतिदिन एक बार अतिरिक्त भोजन किया, रोजाना आधे घंटे अधिक नींद ली. इसके अलावा रोजाना लगभग पांच घंटे फोन, कंप्यूटर और टेलीविजन लगभग का अधिक इस्तेमाल किया और रेड मीट, कोल्ड ड्रिंक्स और जंक फूड खाने में बढ़ोतरी हुई.

वहीं अध्ययन से पता लगा है कि हर सप्ताह शारीरिक गतिविधि में दो घंटे की कमी आई है.

फेथ ने कहा, 'कोरोना वायरस महामारी के लॉकडाउन के प्रतिकूल सहायक प्रभावों को पहचानना महत्वपूर्ण है. वहीं मोटापे से पीड़ित किशोर वजन नियंत्रण करने के प्रयास कम कर रहे हैं.'

भूमि के उपयोग में परिवर्तन से संभव कोरोना जैसी बीमारियों का प्रसार : अध्ययन

फेथ के अनुसार, लॉकडाउन की अवधि के दौरान बढ़ा अतिरिक्त वजन आसानी से कम नहीं हो सकता है और अगर स्वस्थ जीवन शैली नहीं अपनाई गई तो वयस्कता के दौरान मोटापा बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है.

न्यूयॉर्क : दुनिया भर में कोरोनो वायरस का प्रकोप जारी है. इसी बीच एक नए शोध में पाया गया है कि कोरोना वायरस जैसी महामारी के कारण लॉकडाउन में रहने से बच्चों में मोटापे का स्तर बढ़ सकता है क्योंकि यह आहार, नींद और शारीरिक गतिविधियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है.

अमेरिका में बफेलो विश्वविद्यालय के सह-लेखक माइल्स फेथ ने कहा, 'कोरोना वायरस महामारी का प्रत्यक्ष वायरल संक्रमण से परे व्यापक प्रभाव है.'

उन्होंने आगे कहा कि मोटापे से जूझ रहे बच्चों और किशोरों को स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने और प्रतिकूल वातावरण बनाने के लिए एकांतवास में रखा गया है.

बच्चों और किशोरों का आमतौर पर स्कूल की गर्मियों की छुट्टी के दौरान वजन बढ़ता है. शोधकर्ताओं ने आश्चर्यच जताया कि घर में बंद रहने के कारण भी बच्चों की जीवन शैली और व्यवहार पर समान रूप से प्रभाव पड़ेगा.

ओबेसिटी पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्ष के लिए शोधकर्ताओं ने इटली के वेरोना में मार्च और अप्रैल में 41 बच्चों और किशोरियों के बीच मोटापे को लेकर सर्वेक्षण किया.

इटली में लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन के तीन सप्ताह के दौरान बच्चों की जीवन शैली जैसे कि खानपान, गतिविधि और नींद के बारे में जानकारी एकत्र की गई थी और 2019 में इकट्ठा किए गए बच्चों के आंकड़ों की तुलना की गई.

इसमें शारीरिक गतिविधि, स्क्रीन टाइम, नींद, खाने की आदतों और रेड मीट, पास्ता, स्नैक्स, फलों और सब्जियों के सेवन पर केंद्रित प्रश्न पूछे गए थे. इनसे मिले परिणामों ने पता लगा कि बच्चों के व्यवहार में नकारात्मक बदलाव आए हैं. इसने दर्शाया कि मोटापे से ग्रस्त बच्चे वजन नियंत्रण या कम करने पर कम ध्यान देते हैं और पढ़ाई में अधिक ध्यान देते हैं.

एक वर्ष पहले की जीवन शैली की तुलना में बच्चों ने प्रतिदिन एक बार अतिरिक्त भोजन किया, रोजाना आधे घंटे अधिक नींद ली. इसके अलावा रोजाना लगभग पांच घंटे फोन, कंप्यूटर और टेलीविजन लगभग का अधिक इस्तेमाल किया और रेड मीट, कोल्ड ड्रिंक्स और जंक फूड खाने में बढ़ोतरी हुई.

वहीं अध्ययन से पता लगा है कि हर सप्ताह शारीरिक गतिविधि में दो घंटे की कमी आई है.

फेथ ने कहा, 'कोरोना वायरस महामारी के लॉकडाउन के प्रतिकूल सहायक प्रभावों को पहचानना महत्वपूर्ण है. वहीं मोटापे से पीड़ित किशोर वजन नियंत्रण करने के प्रयास कम कर रहे हैं.'

भूमि के उपयोग में परिवर्तन से संभव कोरोना जैसी बीमारियों का प्रसार : अध्ययन

फेथ के अनुसार, लॉकडाउन की अवधि के दौरान बढ़ा अतिरिक्त वजन आसानी से कम नहीं हो सकता है और अगर स्वस्थ जीवन शैली नहीं अपनाई गई तो वयस्कता के दौरान मोटापा बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है.

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