हैदराबाद : न्यूयॉर्क शहर के माउंट सिनाई अस्पताल में इकेहन स्कूल ऑफ मेडिसिन में किए गए एक अध्ययन के अनुसार कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्तियों के कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा का इस्तेमाल कर कोरोना से लड़ रहे मरीजों की जीवन दर में सुधार लाया जा सकता है.
अध्ययन के अनुसार माउंट सिनाई अस्पताल में भर्ती 39 कोरोना रोगियों को 16 दिन की विशेष चिकित्सा निगरानी में रखा गया. इसमें 39 कोविड-19 रोगियों के बीच तुलना शामिल थी. इनमें से कुछ रोगियों का इलाज कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा ट्रांसफ्यूजन से किया गया वहीं कुछ रोगियों को यह थेरेपी नहीं दी गई.
माउंट सिनाई अस्पताल के इकाॅन स्कूल ऑफ मेडिसिन के एमडी, एसोसिएट प्रोफेसर और पेपर के सह-वरिष्ठ लेखक निकोल बोवियर (Nicole Bouvier) ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में आई इस महामारी से न्यूयॉर्क सबसे तेज और बुरी तरह प्रभावित हुआ था. इसलिए मार्च के अंत में अध्ययन की 16 दिवसीय नामांकन अवधि के दौरान, हमारी स्वास्थ्य प्रणाली में कोविड-19 रोगियों का एक बड़ा व विविध पूल था, जिसमें से हमें नियंत्रित रोगियों को लेना था, ताकि हम एक तेज तुलनात्मक एल्गोरिथम स्थापित कर सकें.'
बोवियर ने कहा, 'हमारे शुरुआती मूल्यांकन में कोरोना से स्वस्थ हो चुके व्यक्ति का कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा इस्तेमाल कोरोना के इलाज में प्रभावी हस्तक्षेप के सबूत मिले हैं. लेकिन हमें यह भी ध्यान देना होगा कि इन निष्कर्षों की पुष्टि करने और विभिन्न आबादी में अधिक निश्चित निष्कर्ष निकालने के लिए हमें अतिरिक्त अध्ययन की आवश्यकता है.'
इस अध्ययन के लिए, प्लाज्मा प्राप्तकर्ताओं और नियंत्रित रोगियों को उनकी ऑक्सीजन पूरक आवश्यकता पर उनका 100 प्रतिशत मिलान किया गया था. इसके अलावा
अन्य आधारभूत जनसांख्यिकीय कारकों पर भी उनकी तुलना की गई.
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अध्ययन के तहत शामिल किए गए मरीजों में 69.2 प्रतिशत उच्च-प्रवाह ऑक्सीजन प्राप्त कर रहे थे और 10.3 प्रतिशत यांत्रिक वेंटिलेशन प्राप्त कर रहे थे. अध्ययन के 14वें दिन तक 18 प्रतिशत प्लाज्मा प्राप्तकर्ताओं की हालात बहुत खराब थी जबकी नियंत्रित मरीजों में 24.3 प्रतिशत की हालत खराब हो गई थी.
एक और सात दिनों में, कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा प्राप्तकर्ता समूह ने भी बिगड़ती ऑक्सीजन की स्थिति वाले रोगियों के अनुपात में कमी दिखाई, लेकिन यह अंतर सांख्यिकीय रूप से स्पष्ट नहीं था.
एक मई को आई रिपोर्ट के मुताबिक 12.8 प्लाज्मा प्राप्तकर्ताओं और 24.4 नियंत्रित मरीजों में 1ः4 के अनुपात में तुलनात्मक रोगियों की मौत हो गई. जबकि प्लाज्मा प्राप्तकर्ताओं में 71.8 प्रतिशत रोगी ठीक हो गए. 66.7 प्रतिशत रोगीयों की जान बचाई जा सकी.
अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा स्थापित एकल-रोगी आपातकालीन नई दवा जांच प्रक्रिया मानदंड के तहत कोरोना के इलाज के लिए कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा थेरेपी के लिए इन मरीजों की पहचान की गई थी.
प्लाज्मा प्राप्तकर्ता के प्लाजमा को कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके दाता के SARS-CoV-2 एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी टिटर (स्तर) में 1:320 से अधिक या उसके बराबर विलयन से ट्रांसफ्यूज किया गया और सभी को प्राप्तकर्ता के रक्त प्रकार से मेल खाने वाले प्लाज्मा की दो इकाइयों के साथ ट्रांसफ्यूज किया गया था.
महत्वपूर्ण रूप से, मिलान नियंत्रण वाले रोगियों के सहसंबंध को अस्पताल के इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड डेटाबेस के भीतर पूर्वव्यापी रूप से पहचाना गया था, जिसे माउंट सिनाई बायोस्टैटिस्ट द्वारा डिजाइन किए गए एक मिलान एल्गोरिदम का उपयोग किया गया था, जो कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा प्राप्तकर्ताओं में मिलान करके रोगी की जानकारी का तीन स्तरों पर नियंत्रण करता है.
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1). भर्ती किए जाते वक्त उम्र सहित आधारभूत जनसांख्यिकी, लिंग, धूम्रपान अवस्था, मोटापा, मधुमेह, सीओपीडी या स्लीप एपनिया;और डी-डिमर और सी-रिएक्टिव प्रोटीन शामिल है.
2) डेटा ट्रांसफ्यूजन का दिन, जिसमें पूरक ऑक्सीजन आवश्यकता, अस्पताल में रहने की अवधि, न्यूनतम ऑक्सीजन संतृप्ति, हृदय गति, श्वसन दर और सिस्टोलिक और डायस्टोलिक बीपी शामिल हैं.
3) ट्रांसफ्यूजन के दिन तक का समय-शृंखला डेटा, जिसमें हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन या एजिथ्रोमाइसिन का उपयोग, इंटुबेशन स्थिति, और यदि इंटुबेट किया गया तो, इंटुबेशन की अवधि शामिल है.
प्लाज्मा के ट्रांसफ्यूजन या ऑक्सीजन लेने की क्षमता और जीवन दर में सुधार के स्वतंत्र प्रभाव की पुष्टि करने के लिए, एक ही कैलेंडर अवधि (24 मार्च से 8 अप्रैल, 2020) में टीम ने माउंट सिनाई अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज के साथ प्रवृत्ति स्कोर-मिलान विश्लेषण किया था. भविष्यवक्ताओं के बीच सटीक मिलान को लागू करने के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और एजिथ्रोमाइसिन, इंटुबेशन की स्थिति, अस्पताल में रहने की अवधि और ट्रांसफ्यूजन के दिन ऑक्सीजन की आवश्यकता को ध्यान में रखा गया था.