नई दिल्ली : हाल ही में आईं खबरों के अनुसार यूरोपीय संघ ने भारत में पारित नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे लेकर यूरोपियन संसद में बुधवार को बहस की जाएगी. भले ही भारत सरकार की तरफ से सीएए को पूरी तरह से देश का आंतरिक मामला बताया जा रहा है, लेकिन यूरोपीय संघ में इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव आने के बाद कांग्रेस ने इसे विदेश नीति से जोड़ा है और मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है.
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मीम अफजल ने इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'यह भारत की विदेशी नीति के लिए एक बहुत बड़ा झटका है. यह मामला यूरोप स्थित भारतीय दूतावास पर भी सवालिया निशान लगाता है. कांग्रेस पूरे देश में इस कानून को लागू करने का असली कारण बता रही है, इसी का परिणाम है कि यूरोपीय संघ ने नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव तैयार किया है.
अफजल ने कहा, 'कहा जा रहा है कि हम सीएए के बारें में पूरी दूनिया को बताने का काम कर रहे हैं. यह कानून क्यों आया और किस लिए आया. क्या यह उसी का नतीजा है.'
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का ऐसा कहना कि सीएए देश का आंतरिक मामला है. यह ठीक नहीं लगता क्योंकि जब इस कानून के दायरे में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान आ जाते हैं तो यह देश का आंतरिक मामला नहीं रह जाता. यूरोपीय संघ द्वारा जो प्रस्ताव तैयार किया गया है, वह केवल भारतीय जनता पार्टी या एनडीए सरकार की विदेशी नीति पर हमला नहीं बल्कि पूरे देश पर हमला है.
बता दें कि यूरोपीय संघ की संसद के 751 सदस्यों में से 626 ने नागरिकता कानून और जम्मू-कश्मीर के संबंध में छह अलग-अलग प्रस्ताव तैयार किए हैं.
वहीं नागरिकता कानून के खिलाफ तैयार प्रस्ताव पर बुधवार को चर्चा की जाएगी और फिर वोटिंग होगी.
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नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर में चल रहे विरोध प्रदर्शन पर भी लगातार राजनीति की जा रही है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि शाहीनबाग में भारत को तोड़ने वाले लोग बैठे हैं और उनकी तुलना टुकड़े-टुकड़े गैंग से भी की गई. इसके साथ उन्होंने विपक्षी दलों पर सवाल खड़े करते हुए यह भी कहा है कि क्या वे अब भी शहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन का समर्थन करेंगे?
इसका जवाब देते हुए मीम अफजल ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे देश में घूमकर एक हजार मीटिंग कर रहे हैं, जिसमें तीन करोड़ लोगों को यह बात समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर सीएए क्या है और इसे देश में क्यों लागू किया गया है. तो क्या वजह है कि वह शाहीन बाग की उन औरतों को यह बात समझाने नहीं जा पा रहे हैं? ये वही औरतें हैं, जिनके लिए उन्होंने तीन तलाक के खिलाफ पूरी दुनिया में आवाज उठाई थी, उन्हीं औरतों को वे सीएए के बारे में समझाने के लिए क्यों नहीं जा पा रहे हैं?.