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आर्थिक समीक्षा से लगता है, सरकार को आम आदमी की चिंता नहीं : कांग्रेस

हर वर्ष आम बजट से पहले वित्त मंत्रालय आर्थिक समीक्षा जारी करता है. इस वर्ष की आर्थिक समीक्षा पर कांग्रेस ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार को आम आदमी की चिंता नहीं है. कांग्रेस ने दावा किया कि इस वर्ष की आर्थिक समीक्षा में देश की आर्थिक स्थिति के बारे में कुछ नहीं कहा गया है. पढ़ें पूरी खबर...

congress on economic survey of india
कांग्रेस की प्रेस वार्ता
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Published : Jan 31, 2020, 10:31 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 5:22 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा की आलोचना करते हुए दावा किया कि सरकार को आम आदमी की कोई चिंता नहीं है. पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने यह भी कहा कि शनिवार को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यह बताएं कि 45 साल की सबसे भयावह बेरोजगारी कैसे दूर होगी.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'मोदीनोमिक्स का पहला और आखिरी अध्याय नोटबन्दी था. इसके बाद 'खालीनॉमिक्स' जैसा शब्द लाया गया.'उन्होंने दावा किया कि इस आर्थिक समीक्षा में आर्थिक विषमता और राजकोषीय घाटे के बारे में कुछ नहीं कहा गया है.'

वल्लभ ने कहा, ' 2024 में पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का एक बार फिर संकल्प लिया गया. लेकिन कोई रूपरेखा नहीं दी गई. सरकार को आर्थिक समीक्षा में एक अध्याय यह रखना चाहिए था कि नोटबन्दी का असर कब तक होगा.'

उन्होंने कहा, 'आशा करता हूं कि वित्त मंत्री बताएंगी कि 45 साल की सबसे बड़ी बेरोजगारी कैसे दूर होगी.'

कांग्रेस नेता राजीव गौड़ा ने कहा, 'मोदी सरकार के व्यापक कुप्रबंधन के कारण देश गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. हम बहुत भारी मंदी का सामना कर रहे हैं. सरकार को समझ नहीं आ रहा है कि आगे क्या करना है.'

उन्होंने कहा , 'मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए तय समयसीमा में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है. मुझे उनके बुनियादी ज्ञान पर संदेह हो रहा है.' गौड़ा ने दावा किया कि आर्थिक समीक्षा से लगता है कि इस सरकार को आम आदमी की कोई चिंता नहीं है.

पढ़ें-वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, विकास का अनुमान 5 फीसदी रखा

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि सरकार और उद्योग जगत में विश्वास का बहुत अभाव है. 'टैक्स टेररिज्म' के कारण उद्योग जगत के लोगों में भय है.

नई दिल्ली : कांग्रेस ने शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा की आलोचना करते हुए दावा किया कि सरकार को आम आदमी की कोई चिंता नहीं है. पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने यह भी कहा कि शनिवार को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यह बताएं कि 45 साल की सबसे भयावह बेरोजगारी कैसे दूर होगी.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'मोदीनोमिक्स का पहला और आखिरी अध्याय नोटबन्दी था. इसके बाद 'खालीनॉमिक्स' जैसा शब्द लाया गया.'उन्होंने दावा किया कि इस आर्थिक समीक्षा में आर्थिक विषमता और राजकोषीय घाटे के बारे में कुछ नहीं कहा गया है.'

वल्लभ ने कहा, ' 2024 में पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का एक बार फिर संकल्प लिया गया. लेकिन कोई रूपरेखा नहीं दी गई. सरकार को आर्थिक समीक्षा में एक अध्याय यह रखना चाहिए था कि नोटबन्दी का असर कब तक होगा.'

उन्होंने कहा, 'आशा करता हूं कि वित्त मंत्री बताएंगी कि 45 साल की सबसे बड़ी बेरोजगारी कैसे दूर होगी.'

कांग्रेस नेता राजीव गौड़ा ने कहा, 'मोदी सरकार के व्यापक कुप्रबंधन के कारण देश गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. हम बहुत भारी मंदी का सामना कर रहे हैं. सरकार को समझ नहीं आ रहा है कि आगे क्या करना है.'

उन्होंने कहा , 'मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए तय समयसीमा में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है. मुझे उनके बुनियादी ज्ञान पर संदेह हो रहा है.' गौड़ा ने दावा किया कि आर्थिक समीक्षा से लगता है कि इस सरकार को आम आदमी की कोई चिंता नहीं है.

पढ़ें-वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, विकास का अनुमान 5 फीसदी रखा

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि सरकार और उद्योग जगत में विश्वास का बहुत अभाव है. 'टैक्स टेररिज्म' के कारण उद्योग जगत के लोगों में भय है.

Intro:New Delhi: As the Economic Survey 2020 presented by the Modi government projects economic growth at 6-6.5 per cent in the fiscal year starting April 1, Congress today said that the survey is completely disconnected from the grim reality and claimed that it will end up to be 4-4.5 per cent.



Body: Addressing a press conference after the release of Economic Survey 2020 earlier today, Congress spokesperson Supriya Shrinate said, "In the last economic survey, the government made the robbers projection of 7% and we will end the year of growth by under 5%. I am afraid 6-6.5% will end up to be 4-4.5%."

"The economic survey has laid the ground when it says 1 year of fiscal slippage needs to be warranted, it has laid the ground for fiscal discipline," she added.

As the economic survey suggests that the "Assemble in India for the world" with Narendra Modi government's "Make in India" initiative can help the country to become a $5 trillion economy by 2025, the Congress leader said that there is a shift in focus from Make in India to Assemble in India which shows that Make in India has not been successful. "Also there is an admission that we are lowering our ambition, we wanted to make in India but we are just a market that assembles," said Supriya Shrinate.


Conclusion:Rajya Sabha MP Rajiv Gowda said that in the economic survey, the Chief Economic Advisor page scant attention to distribution and inequality. This is totally objectionable. Even today inequality is worsening.

"Economic Survey Part 1 ends with chapter Thalinomics that claims Indians are able to afford and affordable food basket and that price is actually going down. Unfortunately, whatever is on thali is decreasing in quantity and soon the thali might be khali," the Congress leader added.

Last Updated : Feb 28, 2020, 5:22 PM IST
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