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आर्थिक तबाही के लिए वित्त मंत्री को पीएम बर्खास्त करें : कांग्रेस - अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने

कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस्तीफा दे देना चाहिए या प्रधानमंत्री मोदी को खुद उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए.

Randeep Singh Surjewala
Randeep Singh Surjewala
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Published : Sep 3, 2020, 8:50 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने जीडीपी विकास दर में भारी गिरावट और बेरोजगारी को लेकर सरकार पर देश को आर्थिक आपातकाल की ओर धकेलने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने कहा कि आर्थिक तबाही के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को खुद इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्हें बर्खास्त करना चाहिए.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि मौजूदा हालात में सरकार के भीतर बड़ी राजनीतिक और वित्तीय सर्जरी की जरूरत है. सुरजेवाला ने जीडीपी में गिरावट, बेरोजगारी और राज्यों को जीएसटी के बकाये से जुड़े आंकड़ों का हवाला देते हुए संवाददाताओं से कहा कि आज देश में चारों ओर आर्थिक तबाही का घनघोर अंधेरा है. रोजी, रोटी, रोजगार खत्म हो गए हैं तथा व्यवसाय व उद्योग ठप्प पड़े हैं. अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है तथा जीडीपी पाताल में है. देश को आर्थिक आपातकाल की ओर धकेला जा रहा है.

वित्त मंत्री के दैवीय घटना (एक्ट ऑफ गॉड) वाले बयान का उल्लेख करते हुए उन्होंने दावा किया कि छह साल से एक्ट ऑफ फ्रॉड से अर्थव्यवस्था को डुबोने वाली मोदी सरकार अब इसका जिम्मा एक्ट ऑफ गॉड यानि भगवान पर मढ़कर अपना पीछा छुड़वाना चाहती है. सच ही है, जो भगवान को भी धोखा दे रहे हैं, वो इंसान और अर्थव्यवस्था को कहां बख्शेंगे!

उनके मुताबिक 73 साल में पहली बार जीडीपी दर पहली तिमाही में घटकर माइनस 24 प्रतिशत होने का मतलब है कि देशवासियों की औसत आय धड़ाम से गिरेगी. अगर पूरे साल में जीडीपी नकारात्मक 11 प्रतिशत तक भी गिरी, तो आम देशवासी की आय में बढ़ोतरी होने की जगह सालाना 14,900 रुपये कम हो जाएगी.

उन्होंने आरोप लगाया कि लोगों का विश्वास सरकार से पूरी तरह उठ चुका है. लघु, छोटे और मध्यम उद्योगों से पूछिए, तो वो बताएंगे कि बैंक न तो कर्ज देते हैं और न ही वित्त मंत्री की बात में कोई वजन. मोदी सरकार का 20 लाख करोड़ का जुमला आर्थिक पैकेज भी डूबती अर्थव्यवस्था, आर्थिक तबाही व गिरती जीडीपी को रोकने में फेल साबित हुआ.

पढ़ें- पैंगोंग झील क्षेत्र में तनाव के बीच सेना प्रमुख नरवणे लद्दाख पहुंचे

कांग्रेस नेता ने दावा किया 73 साल में पहली बार केंद्र सरकार घोषित रूप से डिफॉल्टर हो गई है. वित्त सचिव ने 11 अगस्त, 2020 को संसद की वित्तीय मामलों की स्थायी समिति को साफ तौर से कहा कि भारत सरकार जीएसटी में प्रांतों का हिस्सा नहीं दे सकती व प्रांत कर्ज लेकर काम चलाएं.

उन्होंने कहा कि देश को इस हालात में पहुंचाने के लिए क्या प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को अपने पद पर रहना चाहिए? यह सवाल में देश के लोगों के विवेक पर छोड़ता हूं. एक अन्य सवाल के जवाब में सुरजेवाला ने कहा कि सरकार में बड़ी राजनीतिक और वित्तीय सर्जरी की जरूरत है. हमारा यह मानना है कि ऐसी वित्त मंत्री को पद पर बने नहीं रहने चाहिए जो, इस आर्थिक तबाही के लिए जिम्मेदार हैं. उन्हें खुद इस्तीफा देना चाहिए या फिर प्रधानमंत्री को उन्हें बर्खास्त करना चाहिए.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार को सोनिया गांधी और राहुल गांधी की ओर से सुझाए गए उपायों पर अमल करना चाहिए, जिनमें लोगों के खाते में पैसे डालने का सुझाव प्रमुख है.

नई दिल्ली : कांग्रेस ने जीडीपी विकास दर में भारी गिरावट और बेरोजगारी को लेकर सरकार पर देश को आर्थिक आपातकाल की ओर धकेलने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने कहा कि आर्थिक तबाही के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को खुद इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्हें बर्खास्त करना चाहिए.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि मौजूदा हालात में सरकार के भीतर बड़ी राजनीतिक और वित्तीय सर्जरी की जरूरत है. सुरजेवाला ने जीडीपी में गिरावट, बेरोजगारी और राज्यों को जीएसटी के बकाये से जुड़े आंकड़ों का हवाला देते हुए संवाददाताओं से कहा कि आज देश में चारों ओर आर्थिक तबाही का घनघोर अंधेरा है. रोजी, रोटी, रोजगार खत्म हो गए हैं तथा व्यवसाय व उद्योग ठप्प पड़े हैं. अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है तथा जीडीपी पाताल में है. देश को आर्थिक आपातकाल की ओर धकेला जा रहा है.

वित्त मंत्री के दैवीय घटना (एक्ट ऑफ गॉड) वाले बयान का उल्लेख करते हुए उन्होंने दावा किया कि छह साल से एक्ट ऑफ फ्रॉड से अर्थव्यवस्था को डुबोने वाली मोदी सरकार अब इसका जिम्मा एक्ट ऑफ गॉड यानि भगवान पर मढ़कर अपना पीछा छुड़वाना चाहती है. सच ही है, जो भगवान को भी धोखा दे रहे हैं, वो इंसान और अर्थव्यवस्था को कहां बख्शेंगे!

उनके मुताबिक 73 साल में पहली बार जीडीपी दर पहली तिमाही में घटकर माइनस 24 प्रतिशत होने का मतलब है कि देशवासियों की औसत आय धड़ाम से गिरेगी. अगर पूरे साल में जीडीपी नकारात्मक 11 प्रतिशत तक भी गिरी, तो आम देशवासी की आय में बढ़ोतरी होने की जगह सालाना 14,900 रुपये कम हो जाएगी.

उन्होंने आरोप लगाया कि लोगों का विश्वास सरकार से पूरी तरह उठ चुका है. लघु, छोटे और मध्यम उद्योगों से पूछिए, तो वो बताएंगे कि बैंक न तो कर्ज देते हैं और न ही वित्त मंत्री की बात में कोई वजन. मोदी सरकार का 20 लाख करोड़ का जुमला आर्थिक पैकेज भी डूबती अर्थव्यवस्था, आर्थिक तबाही व गिरती जीडीपी को रोकने में फेल साबित हुआ.

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कांग्रेस नेता ने दावा किया 73 साल में पहली बार केंद्र सरकार घोषित रूप से डिफॉल्टर हो गई है. वित्त सचिव ने 11 अगस्त, 2020 को संसद की वित्तीय मामलों की स्थायी समिति को साफ तौर से कहा कि भारत सरकार जीएसटी में प्रांतों का हिस्सा नहीं दे सकती व प्रांत कर्ज लेकर काम चलाएं.

उन्होंने कहा कि देश को इस हालात में पहुंचाने के लिए क्या प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को अपने पद पर रहना चाहिए? यह सवाल में देश के लोगों के विवेक पर छोड़ता हूं. एक अन्य सवाल के जवाब में सुरजेवाला ने कहा कि सरकार में बड़ी राजनीतिक और वित्तीय सर्जरी की जरूरत है. हमारा यह मानना है कि ऐसी वित्त मंत्री को पद पर बने नहीं रहने चाहिए जो, इस आर्थिक तबाही के लिए जिम्मेदार हैं. उन्हें खुद इस्तीफा देना चाहिए या फिर प्रधानमंत्री को उन्हें बर्खास्त करना चाहिए.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार को सोनिया गांधी और राहुल गांधी की ओर से सुझाए गए उपायों पर अमल करना चाहिए, जिनमें लोगों के खाते में पैसे डालने का सुझाव प्रमुख है.

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