नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में किसान अधिकार दिवस मनाया.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति (पीसीसी) और राज्य के नेताओं ने हाल ही में लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में सुबह 10 से शाम 4 बजे तक सत्याग्रह किया.
ईटीवी भारत से बात करते हुए दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर हम केंद्र सरकार को अपने देश के किसानों की दुर्दशा दिखाने के लिए किसान अधिकार दिवस मना रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी किसी भी सरकारी नीति को लागू करने से पहले उसके विभिन्न पहलुओं पर लोगों के साथ बातचीत करती थीं. इसलिए हम केंद्र को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि किसान खुद मानते हैं कि ये कानून उनके खिलाफ हैं, फिर पीएम नरेंद्र मोदी कैसे कह रहे हैं कि यह किसानों के लिए फायदेमंद होगा?
कांग्रेस के तेलंगाना प्रभारी मणिक्कम टैगोर ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार नए कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को हटाकर किसानों के सुरक्षात्मक क्षेत्र को खत्म कर रही है.
उन्होंने कहा कि गत संसद सत्र के दौरान राज्यसभा में इन तीन कानूनों को जिस तरह से पारित किया गया है, वह लोकतंत्र पर एक बड़ा सवाल है. कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को विशेष रूप से उठा रही है. हम लोगों के पास जाकर नए कृषि कानूनों के खिलाफ उनका समर्थन जुटा रहे हैं.
कांग्रेस पार्टी एक हस्ताक्षर अभियान भी चला रही है, जिसके तहत प्रदेश अध्यक्षों को दो करोड़ किसानों के हस्ताक्षर एकत्र करने की जिम्मेदारी दी गई है. जिन्हें बाद में भारत के राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और उनसे तुरंत कानून वापस लेने की मांग की जाएगी.
वहीं, केंद्र सरकार बार-बार कांग्रेस पार्टी पर नए कानूनों के बारे में किसानों को गुमराह करने का आरोप लगा रही है.
इन आरोपों का जवाब देते हुए मणिक्कम टैगोर ने कहा कि किसानों का जीवन अडाणी और अंबानी को सौंप दिया गया है. इस सरकार में, मंत्रियों के पास कोई शक्ति नहीं है. सारी शक्तियां प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के पास ही हैं.
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अनिल चौधरी ने कहा कि हमारे किसान खुद कह रहे हैं कि भाजपा सरकार उनके पक्ष में नहीं है. हमारी राज्य सरकारें इन कानूनों को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं. आम जनता हमारे हस्ताक्षर अभियान में भाग ले रही है, इसलिए हम एक बार फिर भारत के राष्ट्रपति से इन कानूनों को वापस लेने का आग्रह करेंगे.
बता दें कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने भी केंद्र के कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए विधानसभा में तीन विधेयक पेश किए हैं.
इससे पहले, पंजाब की कांग्रेस सरकार ने कृषि कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव अपनाया था और सर्वसम्मति से केंद्र के कानूनों को खत्म करने के लिए चार विधेयक पारित किए थे.