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कृषि विधेयक पर कांग्रेस को बीजेपी ने घेरा, कहा- देश को कर रहे गुमराह

कृषि विधेयक के मुद्दे पर देश की राजनीति गर्म हो गई है. विपक्षी दल और किसान संगठन जहां कृषि विधेयकों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं सरकार लगातार यह आश्वासन दे रही है कि कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए लाया गया यह विधेयक खेती-किसानी में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे.

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नरेंद्र सिंह तोमर
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Published : Sep 24, 2020, 8:06 PM IST

Updated : Sep 24, 2020, 8:11 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कृषि विधेयकों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर मीडिया के साथ विस्तार से चर्चा की और कई सवालों के जवाब भी दिए. उन्होंने कहा कि विपक्ष किसानों को गुमराह करने की राजनीति कर रहा है. इस तरह की राजनीति पार्टी और देश दोनों को कमजोर करती है.

तोमर ने देश के किसान संगठनों से अनुरोध किया कि यह विधेयक किसानों को आजादी दिलाएंगे और उचित दाम भी दिलाएंगे, जिससे उनकी माली हालत सुधरेगी. किसान अपने उत्पादन का मूल्य बुआई से पहले तय कर पाएंगे.

विधेयक के विरोध में विपक्ष और किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मुख्य मुद्दा बना रहे हैं. उनकी मांग है कि इस बिल में एमएसपी की गारंटी को भी शामिल किया जाना चाहिए, जो किसान संगठन इन विधेयकों का समर्थन भी कर रहे हैं, उनकी भी यही मांग है कि एमएसपी से कम कीमत पर कोई भी प्राइवेट कंपनी या व्यापारी खरीद नहीं कर सकेगा. इसका प्रावधान कानून में किया जाए.

इस मुद्दे पर कृषि मंत्री का कहना है कि एमएसपी कभी इस बिल का हिस्सा नहीं था. एमएसपी भारत सरकार का प्रशासकीय निर्णय है और यह व्यवस्था हमेशा बनी रहेगी. आज एमएसपी पर कांग्रेस सवाल उठा रही है, जो 50 साल सत्ता में रहने के बावजूद कोई कानून नहीं बना सकी. सरकार ने हाल में रबी की फसलों की एमएसपी घोषित की है, जबकि खरीफ की फसलों के लिए बुआई से पहले ही एमएसपी घोषित कर दी गई थी. इसलिए एमएसपी से संबंधित कोई शंका किसी के मन में नहीं होनी चाहिए.

कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020 पर बात करते हुए तोमर ने कहा कि पहले किसान अपना उत्पादन मंडी में बेचने को विवश था. इस बिल के माध्यम से किसानों को यह सुविधा है कि मंडी से बाहर किसी भी स्थान पर, किसी भी व्यक्ति को और किसी भी कीमत पर वह अपने उत्पाद को बेच सकता है. वर्षों से किसानों की यह मांग चली आ रही थी, जिसको सरकार ने पूरा किया है.

पंजाब की मंडी व्यवस्था का उदाहरण देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि वहां मंडी टैक्स 8.5 प्रतिशत है, जो व्यापारी को चुकाना पड़ता है. इसके कारण व्यापारी पहले ही 8.5 प्रतिशत सस्ती खरीद किसान से करता था. किसानों को मंडी तक पहुंचने के लिए परिवहन में भी खर्च करना पड़ता था. किसान अब अपने खेत से सीधे फसल को बेच सकेगा, इससे अतिरिक्त खर्चे भी बचेंगे.

उन्होंने कहा कि नए कानून में भुगतान के लिए भी सख्त प्रावधान किए गए हैं. खरीद के तीन दिन के भीतर व्यापारी को पूरा भुगतान करना होगा. इस कानून से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, क्योंकि व्यापारियों को कहीं से भी खरीद करने और किसानों को किसी के हाथों बेचने की छूट होगी. इसका लाभ भी किसानों को ही मिलेगा. इतना ही नहीं, इस कानून के माध्यम से अंतरराज्यीय व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा.

कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पर चर्चा करते हुए कृषि मंत्री ने बताया कि यह विधेयक खास कर छोटे किसानों के जीवन को बदलने वाला साबित होगा. आज देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जो खेती में ज्यादा निवेश नहीं कर पाते हैं. छोटे रकबे वाले किसान अगर एकत्रित होकर नकदी फसलों (कैश क्रॉप) की तरफ बढ़ेंगे तो उन्हें ज्यादा लाभ होगा.

तोमर ने कहा कि बिल के माध्यम से किसान के साथ फसल का कॉन्ट्रैक्ट करने की बात कही गई है और यह भ्रांति फैलाई जा रही है कि प्राइवेट और कॉर्पोरेट किसानों के खेत पर कब्जा जमा लेंगे. जबकि कॉन्ट्रैक्ट में खेत के करार का कोई प्रावधान ही नहीं है. इसके तहत फसल बुआई से पहले किसान अपने उत्पाद की कीमत तय कर सकेगा. प्रोसेसर, निर्यातक या व्यापारी के साथ कीमत तय हो जाने के बाद उस मूल्य की गारंटी किसान को मिल जाएगी. अगर कटाई के समय उत्पाद की कीमत बढ़ जाती है तो विधेयक में ऐसे प्रावधान किए गए हैं कि बढ़े हुए मूल्य का भी प्रतिशत अंश किसान को तय कीमत के अलावा मिलेगा.

कृषि मंत्री का कहना है कि मूल्य गारंटी मिलने से किसानों का जोखिम कम होगा, क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट करने वाले व्यक्ति/ कंपनी तय कीमत के हिसाब से भुगतान करने के लिए बाध्य होंगे. किसान जब चाहे कॉन्ट्रैक्ट को छोड़ सकता है. विवाद की स्थिति में इस विधेयक में यह प्रावधान है कि पहले दोनों पक्ष एसडीएम के पास जाएंगे, एसडीएम स्थिति का अवलोकन करने के बाद कमेटी गठित करेंगे, जो विवाद का निपटारा 15 दिनों के भीतर करने का प्रयास करेगी.

यह भी पढ़ें- कृषि विधेयकों से किसान के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा : नरेंद्र सिंह तोमर

उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता है तो दोनों पक्ष दोबारा एसडीएम के पास आएंगे, जिसके बाद अधिकारी को एक माह के भीतर विवाद का निपटारा करना होगा. इस तरह से विधेयक में तय समयसीमा के अंदर विवादों के निपटान की व्यवस्था भी है. किसान की गलती की स्थिति में उस पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा, लेकिन अगर प्रोसेसर/ कंपनी/ व्यापारी को तय समय में पूरा भुगतान करना होगा और इसमें 150% तक अतिरिक्त हर्जाने के भुगतान का भी प्रावधान है.

कृषि मंत्री का कहना है कि इस कानून के बाद कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ेगा. निर्यातक, प्रोसेसर व कंपनियां गांव तक पहुंचेंगी. किसानों को बल मिलेगा तो वह नकदी फसलों की तरफ आकर्षित होंगे और उनमें जोखिम उठाने की क्षमता भी बढ़ेगी. कृषि में ट्रेड के लिए नए प्लेटफॉर्म बनेंगे और किसानों की आमदनी बढ़ेगी.

तोमर ने कहा कि इस तरह के विधेयक की बात कांग्रेस के 2019 के घोषणापत्र में भी की गई थी, लेकिन आज जब मोदी सरकार ने इसे अमली जामा पहनाने का काम कर दिया है, तो सबसे ज्यादा आपत्ति भी कांग्रेस को ही हो रही है.

यह भी पढ़ें- 'देश में जहां अच्छी कीमत मिलेगी, वहां अपनी फसल बेच सकेंगे किसान'

आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 पर बात करते हुए कृषि मंत्री ने मुख्यमंत्रियों की एक कमेटी का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कमेटी में सुझाव देते हुए कहा था कि आवश्यक वस्तु अधिनियम का उद्देश्य पूरा हो गया है और उसे खत्म कर देना चाहिए. आज जब इस कानून में बदलाव किए जा रहे हैं तो कांग्रेस राजनीतिक फायदे के लिए प्रदर्शन कर रही है.

केंद्रीय कृषि मंत्री ने एक बार फिर किसानों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि कृषि मंत्रालय के किसी भी अधिकारी और मंत्री से किसान जब चाहें तब मिल सकते हैं और इन विधेयकों से संबंधी अपनी कोई भी आशंका दूर कर सकते हैं.

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कृषि विधेयकों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर मीडिया के साथ विस्तार से चर्चा की और कई सवालों के जवाब भी दिए. उन्होंने कहा कि विपक्ष किसानों को गुमराह करने की राजनीति कर रहा है. इस तरह की राजनीति पार्टी और देश दोनों को कमजोर करती है.

तोमर ने देश के किसान संगठनों से अनुरोध किया कि यह विधेयक किसानों को आजादी दिलाएंगे और उचित दाम भी दिलाएंगे, जिससे उनकी माली हालत सुधरेगी. किसान अपने उत्पादन का मूल्य बुआई से पहले तय कर पाएंगे.

विधेयक के विरोध में विपक्ष और किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मुख्य मुद्दा बना रहे हैं. उनकी मांग है कि इस बिल में एमएसपी की गारंटी को भी शामिल किया जाना चाहिए, जो किसान संगठन इन विधेयकों का समर्थन भी कर रहे हैं, उनकी भी यही मांग है कि एमएसपी से कम कीमत पर कोई भी प्राइवेट कंपनी या व्यापारी खरीद नहीं कर सकेगा. इसका प्रावधान कानून में किया जाए.

इस मुद्दे पर कृषि मंत्री का कहना है कि एमएसपी कभी इस बिल का हिस्सा नहीं था. एमएसपी भारत सरकार का प्रशासकीय निर्णय है और यह व्यवस्था हमेशा बनी रहेगी. आज एमएसपी पर कांग्रेस सवाल उठा रही है, जो 50 साल सत्ता में रहने के बावजूद कोई कानून नहीं बना सकी. सरकार ने हाल में रबी की फसलों की एमएसपी घोषित की है, जबकि खरीफ की फसलों के लिए बुआई से पहले ही एमएसपी घोषित कर दी गई थी. इसलिए एमएसपी से संबंधित कोई शंका किसी के मन में नहीं होनी चाहिए.

कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020 पर बात करते हुए तोमर ने कहा कि पहले किसान अपना उत्पादन मंडी में बेचने को विवश था. इस बिल के माध्यम से किसानों को यह सुविधा है कि मंडी से बाहर किसी भी स्थान पर, किसी भी व्यक्ति को और किसी भी कीमत पर वह अपने उत्पाद को बेच सकता है. वर्षों से किसानों की यह मांग चली आ रही थी, जिसको सरकार ने पूरा किया है.

पंजाब की मंडी व्यवस्था का उदाहरण देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि वहां मंडी टैक्स 8.5 प्रतिशत है, जो व्यापारी को चुकाना पड़ता है. इसके कारण व्यापारी पहले ही 8.5 प्रतिशत सस्ती खरीद किसान से करता था. किसानों को मंडी तक पहुंचने के लिए परिवहन में भी खर्च करना पड़ता था. किसान अब अपने खेत से सीधे फसल को बेच सकेगा, इससे अतिरिक्त खर्चे भी बचेंगे.

उन्होंने कहा कि नए कानून में भुगतान के लिए भी सख्त प्रावधान किए गए हैं. खरीद के तीन दिन के भीतर व्यापारी को पूरा भुगतान करना होगा. इस कानून से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, क्योंकि व्यापारियों को कहीं से भी खरीद करने और किसानों को किसी के हाथों बेचने की छूट होगी. इसका लाभ भी किसानों को ही मिलेगा. इतना ही नहीं, इस कानून के माध्यम से अंतरराज्यीय व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा.

कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पर चर्चा करते हुए कृषि मंत्री ने बताया कि यह विधेयक खास कर छोटे किसानों के जीवन को बदलने वाला साबित होगा. आज देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जो खेती में ज्यादा निवेश नहीं कर पाते हैं. छोटे रकबे वाले किसान अगर एकत्रित होकर नकदी फसलों (कैश क्रॉप) की तरफ बढ़ेंगे तो उन्हें ज्यादा लाभ होगा.

तोमर ने कहा कि बिल के माध्यम से किसान के साथ फसल का कॉन्ट्रैक्ट करने की बात कही गई है और यह भ्रांति फैलाई जा रही है कि प्राइवेट और कॉर्पोरेट किसानों के खेत पर कब्जा जमा लेंगे. जबकि कॉन्ट्रैक्ट में खेत के करार का कोई प्रावधान ही नहीं है. इसके तहत फसल बुआई से पहले किसान अपने उत्पाद की कीमत तय कर सकेगा. प्रोसेसर, निर्यातक या व्यापारी के साथ कीमत तय हो जाने के बाद उस मूल्य की गारंटी किसान को मिल जाएगी. अगर कटाई के समय उत्पाद की कीमत बढ़ जाती है तो विधेयक में ऐसे प्रावधान किए गए हैं कि बढ़े हुए मूल्य का भी प्रतिशत अंश किसान को तय कीमत के अलावा मिलेगा.

कृषि मंत्री का कहना है कि मूल्य गारंटी मिलने से किसानों का जोखिम कम होगा, क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट करने वाले व्यक्ति/ कंपनी तय कीमत के हिसाब से भुगतान करने के लिए बाध्य होंगे. किसान जब चाहे कॉन्ट्रैक्ट को छोड़ सकता है. विवाद की स्थिति में इस विधेयक में यह प्रावधान है कि पहले दोनों पक्ष एसडीएम के पास जाएंगे, एसडीएम स्थिति का अवलोकन करने के बाद कमेटी गठित करेंगे, जो विवाद का निपटारा 15 दिनों के भीतर करने का प्रयास करेगी.

यह भी पढ़ें- कृषि विधेयकों से किसान के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा : नरेंद्र सिंह तोमर

उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता है तो दोनों पक्ष दोबारा एसडीएम के पास आएंगे, जिसके बाद अधिकारी को एक माह के भीतर विवाद का निपटारा करना होगा. इस तरह से विधेयक में तय समयसीमा के अंदर विवादों के निपटान की व्यवस्था भी है. किसान की गलती की स्थिति में उस पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा, लेकिन अगर प्रोसेसर/ कंपनी/ व्यापारी को तय समय में पूरा भुगतान करना होगा और इसमें 150% तक अतिरिक्त हर्जाने के भुगतान का भी प्रावधान है.

कृषि मंत्री का कहना है कि इस कानून के बाद कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ेगा. निर्यातक, प्रोसेसर व कंपनियां गांव तक पहुंचेंगी. किसानों को बल मिलेगा तो वह नकदी फसलों की तरफ आकर्षित होंगे और उनमें जोखिम उठाने की क्षमता भी बढ़ेगी. कृषि में ट्रेड के लिए नए प्लेटफॉर्म बनेंगे और किसानों की आमदनी बढ़ेगी.

तोमर ने कहा कि इस तरह के विधेयक की बात कांग्रेस के 2019 के घोषणापत्र में भी की गई थी, लेकिन आज जब मोदी सरकार ने इसे अमली जामा पहनाने का काम कर दिया है, तो सबसे ज्यादा आपत्ति भी कांग्रेस को ही हो रही है.

यह भी पढ़ें- 'देश में जहां अच्छी कीमत मिलेगी, वहां अपनी फसल बेच सकेंगे किसान'

आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 पर बात करते हुए कृषि मंत्री ने मुख्यमंत्रियों की एक कमेटी का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कमेटी में सुझाव देते हुए कहा था कि आवश्यक वस्तु अधिनियम का उद्देश्य पूरा हो गया है और उसे खत्म कर देना चाहिए. आज जब इस कानून में बदलाव किए जा रहे हैं तो कांग्रेस राजनीतिक फायदे के लिए प्रदर्शन कर रही है.

केंद्रीय कृषि मंत्री ने एक बार फिर किसानों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि कृषि मंत्रालय के किसी भी अधिकारी और मंत्री से किसान जब चाहें तब मिल सकते हैं और इन विधेयकों से संबंधी अपनी कोई भी आशंका दूर कर सकते हैं.

Last Updated : Sep 24, 2020, 8:11 PM IST
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