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चीनी अतिक्रमण पर पीएम मोदी के बयान पर संसद में जवाब मांगेगी कांग्रेस - lac dispute in Parliament

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके बयान ने भारत की स्थिति को कमजोर किया है. प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए. रविवार को आयोजित बैठक में शामिल संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा सरकार उन सभी मुद्दों पर चर्चा कराने के लिए तैयार है, जिसका फैसला बीएसी में होगा.

Jairam Ramesh
जयराम रमेश ने पीएम मोदी से मांगा जवाब
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Published : Sep 13, 2020, 6:22 PM IST

Updated : Sep 13, 2020, 7:45 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर वर्तमान स्थिति के बारे में चर्चा करने के लिए और संसद के मानसून सत्र में भाग लेने की मांग की. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने बयान दिया था कि चीनी सेना द्वारा भारतीय क्षेत्र पर कोई अतिक्रमण नहीं किया गया है. उनके इस बयान ने भारत की स्थिति को कमजोर किया है. प्रधानमंत्री को संसद में जवाब देना चाहिए.

'चीन पर चर्चा की जरूरी'
संसद में रविवार को एक आभासी प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि संसद में चर्चा के लिए जगह है. यह कहना हास्यास्पद है कि चीन पर कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए. हमें चीन पर चर्चा की आवश्यकता है. हमारे हिसाब से बड़ी क्षति प्रधानमंत्री के स्वयं के बयान से हुई है. वह एक बयान के रूप में एक स्पष्टीकरण देते हैं. भारत के मामले को कमजोर किया और एलएसी पर यथास्थिति बहाल नहीं की.

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और वी मुरलीधरन ने भी बैठक में शिरकत की. जोशी ने कहा कि सरकार उन सभी मुद्दों पर चर्चा कराने के लिए तैयार है जिसका फैसला बीएसी में होगा. उन्होंने कहा कि सौहाद्रपूर्ण माहौल में बैठक हुई और सदन के नेता संसद सत्र के लिए एजेंडा पर विचार-विमर्श करने के वास्ते मंगलवार को फिर से बैठक करेंगे.

क्या सरकार एलएसी पर भारत - चीन के बीच गतिरोध के संबंध में चर्चा कराने के लिए तैयार है, यह पूछे जाने पर जोशी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और देश के रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए इसका फैसला किया जाएगा.

चर्चा के लिए बुलाया गया था सत्र
जयराम रमेश ने भारत और चीन के बीच 1962 के युद्ध का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस मामले पर चर्चा के लिए संसद सत्र बुलाया था. उन्होंने कहा कि नवंबर 1962 में जब भारत और चीन में युद्ध था, संसद की बैठक हो रही थी. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सहित वरिष्ठ सांसदों की अपनी नीतियों की आलोचना सुनने के लिए लोकसभा में बैठे थे.

सरकार से सवाल करेगा विपक्ष
सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत कांग्रेस इस मुद्दे को संसद के मानसून सत्र में भी उठाने जा रही है, जो सोमवार से शुरू होने जा रहा है. इसके साथ ही विभिन्न चीनी कंपनियों द्वारा पीएम केयर फंड में किए जा रहे कथित चंदे पर सरकार से सवाल करने और इसे दायरे में लाने की मांग कर रहा है.

पढ़ें: महाराष्ट्र को बदनाम करने की हो रही साजिश, मेरी खामोशी कमजोरी नहीं : उद्धव

'पीएम केयर फंड को बनाना होगा पारदर्शी'
उन्होंने कहा कि हम पीएम केयर फंड के खिलाफ हैं. यह गैर-पारदर्शी है. कोई सीएजी ऑडिट नहीं, कोई आरटीआई की अनुमति नहीं है. कई उद्योगपतियों ने इस फंड को पैसा दिया है और इसलिए कुछ चीनी फर्मों के पास है. हम मांग करेंगे कि अगर पीएम केयर रहेगा. इसे पारदर्शी बनाना होगा.

गंभीर राष्ट्रीय मुद्दा
केंद्र पर जोर देते हुए जयराम रमेश ने कहा कि हम यहां बहस के बिंदु नहीं निकाल रहे हैं. यह बहुत ही गंभीर राष्ट्रीय मुद्दा है जैसा कि आर्थिक पतन, कोविड 19 स्थिति, ईआईए मसौदा अधिसूचना, हवाई अड्डे के निजीकरण, बुद्धिजीवियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करना.

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर वर्तमान स्थिति के बारे में चर्चा करने के लिए और संसद के मानसून सत्र में भाग लेने की मांग की. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने बयान दिया था कि चीनी सेना द्वारा भारतीय क्षेत्र पर कोई अतिक्रमण नहीं किया गया है. उनके इस बयान ने भारत की स्थिति को कमजोर किया है. प्रधानमंत्री को संसद में जवाब देना चाहिए.

'चीन पर चर्चा की जरूरी'
संसद में रविवार को एक आभासी प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि संसद में चर्चा के लिए जगह है. यह कहना हास्यास्पद है कि चीन पर कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए. हमें चीन पर चर्चा की आवश्यकता है. हमारे हिसाब से बड़ी क्षति प्रधानमंत्री के स्वयं के बयान से हुई है. वह एक बयान के रूप में एक स्पष्टीकरण देते हैं. भारत के मामले को कमजोर किया और एलएसी पर यथास्थिति बहाल नहीं की.

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और वी मुरलीधरन ने भी बैठक में शिरकत की. जोशी ने कहा कि सरकार उन सभी मुद्दों पर चर्चा कराने के लिए तैयार है जिसका फैसला बीएसी में होगा. उन्होंने कहा कि सौहाद्रपूर्ण माहौल में बैठक हुई और सदन के नेता संसद सत्र के लिए एजेंडा पर विचार-विमर्श करने के वास्ते मंगलवार को फिर से बैठक करेंगे.

क्या सरकार एलएसी पर भारत - चीन के बीच गतिरोध के संबंध में चर्चा कराने के लिए तैयार है, यह पूछे जाने पर जोशी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और देश के रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए इसका फैसला किया जाएगा.

चर्चा के लिए बुलाया गया था सत्र
जयराम रमेश ने भारत और चीन के बीच 1962 के युद्ध का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस मामले पर चर्चा के लिए संसद सत्र बुलाया था. उन्होंने कहा कि नवंबर 1962 में जब भारत और चीन में युद्ध था, संसद की बैठक हो रही थी. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सहित वरिष्ठ सांसदों की अपनी नीतियों की आलोचना सुनने के लिए लोकसभा में बैठे थे.

सरकार से सवाल करेगा विपक्ष
सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत कांग्रेस इस मुद्दे को संसद के मानसून सत्र में भी उठाने जा रही है, जो सोमवार से शुरू होने जा रहा है. इसके साथ ही विभिन्न चीनी कंपनियों द्वारा पीएम केयर फंड में किए जा रहे कथित चंदे पर सरकार से सवाल करने और इसे दायरे में लाने की मांग कर रहा है.

पढ़ें: महाराष्ट्र को बदनाम करने की हो रही साजिश, मेरी खामोशी कमजोरी नहीं : उद्धव

'पीएम केयर फंड को बनाना होगा पारदर्शी'
उन्होंने कहा कि हम पीएम केयर फंड के खिलाफ हैं. यह गैर-पारदर्शी है. कोई सीएजी ऑडिट नहीं, कोई आरटीआई की अनुमति नहीं है. कई उद्योगपतियों ने इस फंड को पैसा दिया है और इसलिए कुछ चीनी फर्मों के पास है. हम मांग करेंगे कि अगर पीएम केयर रहेगा. इसे पारदर्शी बनाना होगा.

गंभीर राष्ट्रीय मुद्दा
केंद्र पर जोर देते हुए जयराम रमेश ने कहा कि हम यहां बहस के बिंदु नहीं निकाल रहे हैं. यह बहुत ही गंभीर राष्ट्रीय मुद्दा है जैसा कि आर्थिक पतन, कोविड 19 स्थिति, ईआईए मसौदा अधिसूचना, हवाई अड्डे के निजीकरण, बुद्धिजीवियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करना.

Last Updated : Sep 13, 2020, 7:45 PM IST
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