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सरकारी पदों पर भर्ती के संबंध में आदेश को वापस ले केंद्र सरकार

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Published : Sep 5, 2020, 6:22 PM IST

कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को केंद्र सरकार से सरकारी पदों पर भर्ती के संबंध में हाल के आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि देश में बढ़ती बेरोजगारी भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी. शुक्रवार को वित्त मंत्रालय ने केंद्र सरकार के कार्यालयों में नए पदों के सृजन पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक आधिकारिक ज्ञापन जारी किया था, सिवाय उनके जो व्यय विभाग द्वारा अनुमोदित हो गए हैं.

rajeev shukla
राजीव शुक्ला

नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को केंद्र सरकार से सरकारी पदों पर भर्ती के संबंध में हाल के आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि देश में बढ़ती बेरोजगारी भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत खराब स्थिति में है. यह 45 साल के निचले स्तर पर है. दुनिया की सभी सरकारें वेतन प्रदान करके अपने लोगों को बचाने की कोशिश कर रही हैं. यहां तक कि निजी कंपनियों के कर्मचारियों को भी वेतन दिलाने में मदद कर रही हैं, तब भारत सरकार स्वयं के कार्यालयों में भी नौकरियां रोक रही है. ऐसी स्थिति में इस देश के युवा कहां जाएंगे?

नए पदों के सृजन पर प्रतिबंध
शुक्रवार को वित्त मंत्रालय ने केंद्र सरकार के कार्यालयों में नए पदों के सृजन पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक आधिकारिक ज्ञापन जारी किया था, सिवाय उनके जो व्यय विभाग द्वारा अनुमोदित हो गए हैं. ज्ञापन में सभी मंत्रालयों और विभागों को व्यक्तिगत सलाहकारों की समीक्षा करने और उनकी संख्या को न्यूनतम करने के लिए कहा गया है. आदेश में कहा गया है कि वर्तमान राजकोषीय स्थिति और सरकारी संसाधनों पर पड़ने वाले दबाव के संदर्भ में प्राथमिकता व्यय की रक्षा और संरक्षण करते हुए गैर-प्राथमिकता वाले व्यय की अर्थव्यवस्था और युक्तिकरण की आवश्यकता है.

सेंटर फाॅर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआई) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि देश भर में लाॅकडाउन के दौरान 1.89 करोड़ की नौकरी के नुकसान के अलावा 15 से 29 साल के बीच के 17.8 प्रतिशत लोगों की नौकरियां चली गई हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने इस देश के युवाओं को 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था लेकिन, आज 2 करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है.

40 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए
पूर्व कैबिनेट मंत्री ने उल्लेख किया कि यूपीए सरकार ने 2005 से 2014 के दौरान 27 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर लाया, जिसमें मनरेगा की अहम भूमिका थी. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 40 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं. उन्होंने कहा कि हम केंद्र सरकार से इस आदेश को तुरंत वापस लेने का आग्रह करना चाहते हैं. सरकारी कार्यालयों पर ताला लगाने से काम नहीं चलेगा. यदि मौजूदा स्थिति के प्रबंधन के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए जाएंगे, तो हमारी अर्थव्यवस्था खराब हो जाएगी. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस मामले को लेकर केंद्र पर निशाना साधा. आरोप लगाया गया कि मोदी की सोच में सुधार न्यूनतम सरकार, अधिकतम निजीकरण है.

नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को केंद्र सरकार से सरकारी पदों पर भर्ती के संबंध में हाल के आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि देश में बढ़ती बेरोजगारी भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत खराब स्थिति में है. यह 45 साल के निचले स्तर पर है. दुनिया की सभी सरकारें वेतन प्रदान करके अपने लोगों को बचाने की कोशिश कर रही हैं. यहां तक कि निजी कंपनियों के कर्मचारियों को भी वेतन दिलाने में मदद कर रही हैं, तब भारत सरकार स्वयं के कार्यालयों में भी नौकरियां रोक रही है. ऐसी स्थिति में इस देश के युवा कहां जाएंगे?

नए पदों के सृजन पर प्रतिबंध
शुक्रवार को वित्त मंत्रालय ने केंद्र सरकार के कार्यालयों में नए पदों के सृजन पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक आधिकारिक ज्ञापन जारी किया था, सिवाय उनके जो व्यय विभाग द्वारा अनुमोदित हो गए हैं. ज्ञापन में सभी मंत्रालयों और विभागों को व्यक्तिगत सलाहकारों की समीक्षा करने और उनकी संख्या को न्यूनतम करने के लिए कहा गया है. आदेश में कहा गया है कि वर्तमान राजकोषीय स्थिति और सरकारी संसाधनों पर पड़ने वाले दबाव के संदर्भ में प्राथमिकता व्यय की रक्षा और संरक्षण करते हुए गैर-प्राथमिकता वाले व्यय की अर्थव्यवस्था और युक्तिकरण की आवश्यकता है.

सेंटर फाॅर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआई) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि देश भर में लाॅकडाउन के दौरान 1.89 करोड़ की नौकरी के नुकसान के अलावा 15 से 29 साल के बीच के 17.8 प्रतिशत लोगों की नौकरियां चली गई हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने इस देश के युवाओं को 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था लेकिन, आज 2 करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है.

40 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए
पूर्व कैबिनेट मंत्री ने उल्लेख किया कि यूपीए सरकार ने 2005 से 2014 के दौरान 27 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर लाया, जिसमें मनरेगा की अहम भूमिका थी. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 40 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं. उन्होंने कहा कि हम केंद्र सरकार से इस आदेश को तुरंत वापस लेने का आग्रह करना चाहते हैं. सरकारी कार्यालयों पर ताला लगाने से काम नहीं चलेगा. यदि मौजूदा स्थिति के प्रबंधन के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए जाएंगे, तो हमारी अर्थव्यवस्था खराब हो जाएगी. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस मामले को लेकर केंद्र पर निशाना साधा. आरोप लगाया गया कि मोदी की सोच में सुधार न्यूनतम सरकार, अधिकतम निजीकरण है.

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