नई दिल्ली: राजनीतिक और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्जी कहा कि असम समझौते के क्लॉज 6 पर समिति की रिपोर्ट सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगी.
ईटीवी भारत से बात करते हुए भट्टाचार्जी ने कहा कि हालांकि समिति ने अपनी रिपोर्ट पहले ही पूरी कर ली है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार समिति की सिफारिशों को कहां तक लागू कर पाती है.
भट्टाचार्जी द्वारा दिया गया बयान इस तथ्य के बाद बहुत अधिक महत्व रखता है कि जस्टिस (सेवानिवृत्त) बिप्लब कुमार सरमा की अध्यक्षता वाली 13 सदस्यीय समिति ने असम में इनर लाइन परमिट (ILP) प्रणाली शुरू करने का सुझाव दिया है.
गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही कहा था कि असम में आईएलपी लागू नहीं किया जा सकता है, क्योंकि राज्य दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र के लिए प्रवेश द्वार है. वहीं आएलपी लागू हुआ तो असम नागरिक संशोधन के दायरे से बाहर हो जाएगा.
समिति ने असम के स्वदेशी लोगों को परिभाषित करने के लिए 1951 को कट ऑफ ईयर बनाने का भी सुझाव दिया है.
सुबीमल ने कहा असम बहु समुदायिक लोगों का राज्य है. असम की समस्याएं केंद्र में असंबद्ध सरकार के लिए हमेशा महत्वपूर्ण होती हैं. हालांकि समिति को आधिकारिक तौर पर गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपनी है, लेकिन यह महत्वपूर्ण होगा. यह काफी महत्वपूर्ण मुद्दा होगा की सरकार सिफारिशों को कैसे लागू करती है.
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वहीं वरिष्ठ पत्रकार कल्याण बरूआ ने असम में ILP की शुरुआत की संभावना से इनकार किया है.
बरूआ ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के दौरान, मणिपुर सरकार आईएलपी प्रणाली को अपने राज्य में लाने में सक्षम रही. हालांकि, केंद्र सरकार असम में आईएलपी लागू करने के मूड में नहीं है.
हाल के दिनों में, केंद्र ने राज्य में आईएलपी शुरू करने के लिए असम से कई संगठनों की मांग को खारिज कर दिया.
खंड 6 समिति ने असम विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में स्वदेशी लोगों के लिए सीटों के आरक्षण के लिए भी सुझाव दिया है.
सूत्रों ने कहा कि 13 सदस्यीय समिति अगले कुछ दिनों में अपनी रिपोर्ट गृह मंत्री अमित शाह को सौंपने की संभावना है.