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जानें, दो बार वीरता पुरस्कार से सम्मानित कर्नल आशुतोष शर्मा की शौर्यगाथा

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Published : May 3, 2020, 1:59 PM IST

उत्तर कश्मीर में हंदवाड़ा इलाके के एक गांव में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में एक कर्नल और एक मेजर समेत पांच सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए. मुठभेड़ में सुरक्षाकर्मियों ने दो आतंकियों को मार गिराया. मुठभेड़ में शहीद हुए कर्नल आशुतोष शर्मा को दो बार वीरता मेडल से सम्मानित किया गया था.

आशुतोष शर्मा
आशुतोष शर्मा

श्रीनगर : 21 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा, जो हंदवाड़ा में ऑपरेशन में शहीद हो गए, वह दो बार वीरता मेडल से सम्मानित हो चुके थे. उन्‍हें काउंटर-टेररिज्‍म ऑपरेशन्स (आतंक विरोधी मुठभेड़) में महारत हासिल थी. गार्ड्स रेजिमेंट से आने वाले कर्नल शर्मा लंबे समय से कश्‍मीर घाटी में तैनात थे. बतौर कमांडिंग ऑफिसर, अपनी बहादुरी के लिए कर्नल शर्मा को सेना का मेडल मिला था. कर्नल शर्मा की अगुआई में भारतीय सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ कई ऑपरेशनों को अंजाम दिया है और उन्हें सबक सिखाया है.

ग्रेनेड हमला होने से बचाया
सेना के अधिकारियों ने कहा कि गार्ड्स रेजिमेंट से संबंधित कर्नल आशुतोष शर्मा लंबे समय से कश्मीर घाटी में सेवा कर रहे थे और उन्हें दो बार वीरता के लिए सेना पदक से सम्मानित किया गया, जिसमें एक कमांडिंग ऑफिसर के रूप में उनकी बहादुरी के लिए शामिल है. उन्हें कमांडिंग ऑफिसर के रूप में वीरता पुरस्कार तब मिला था जब एक आतंकवादी अपने कपड़ों में छिपे एक ग्रेनेड के साथ सड़क पर आदमियों की ओर भाग रहा था. कर्नल शर्मा ने उसे करीब से गोली मारी, जिससे जम्मू-कश्मीर पुलिसकर्मियों के साथ उनके कई सैनिकों की जान बची.

भारतीय सेना को एक बड़ा झटका
कर्नल शर्मा की शहादत भारतीय सेना को एक बड़ा झटका है. कश्‍मीर घाटी में सेना ने इतने बड़े अधिकारी को पांच साल पहले खोया था. जनवरी 2015 में घाटी के एक ऑपरेशन में कर्नल एमएन रॉय शहीद हुए थे. उसी साल नवंबर में कर्नल संतोष महादिक ने भी शहादत दी थी.

21 राष्‍ट्रीय राइफल्‍स ने साल 2000 में अपने सीनियर ऑफिसर्स को गंवाया था. तब कुपवाड़ा में आतंकियों ने एक रिमोट कंट्रोल्‍स आईईडी ब्‍लास्‍ट के जरिए सीओ कर्नल राजिंदर चौहान और ब्रिगेडियर बीएस शेरगिल की गाड़ी को निशाना बनाया था. उसमें पांच जवान भी घायल हुए थे.

हंदवाडा मुठभेड़ में हुई शहादत
उत्तर कश्मीर के हंदवाडा के चांजमुल्ला इलाके में चले इस अभियान में कर्नल आशुतोष शर्मा समेत मेजर अनुज, एक लांस नायक, एक राइफलमैन और जम्मू कश्मीर पुलिस के सब-इंस्पेक्टर शकील शहीद हो गए हैं. हंदवाड़ा मुठभेड़ 16 घंटे तक चली. इस आपरेशन में दो आंतकवादी भी मारे गए.

कैसे चला ऑपरेशन?
गौरतलब है कि रविवार को एक घर में आतंकियों की मौजूदगी का खुफिया इनपुट मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने संयुक्त ऑपरेशन शुरु किया. टीम में राष्‍ट्रीय राइफल्‍स और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान शामिल थे. आतंकियों ने चांजमुल्ला इलाके में आम नागरिकों को बंधक बनाया था. सुरक्षाकर्मियों ने इन नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला. इस दौरान लगातार आतंकी गोलियां बरसाते रहे. कई गोलियां जवानों को लगीं मगर वह मिशन पर डटे रहे. जवाबी कार्रवाई में उन्‍होंने दोनों आतंकियों को मार गिराया.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जताया शोक
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुठभेड़ में मारे गए जवानों और सुरक्षाकर्मियों के प्रति शोक व्यक्त किया है. राजनाथ सिंह ने कहा कि हंदवाड़ा में हमारे जवानों और सुरक्षाकर्मियों को खोना बेहद दर्दनाक है. उन्होंने आतंकवादियों के खिलाफ अपनी लड़ाई में अद्वितीय साहस दिखाया और देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए. हम उनकी बहादुरी और बलिदान को कभी नहीं भूलेंगे.'

श्रीनगर : 21 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा, जो हंदवाड़ा में ऑपरेशन में शहीद हो गए, वह दो बार वीरता मेडल से सम्मानित हो चुके थे. उन्‍हें काउंटर-टेररिज्‍म ऑपरेशन्स (आतंक विरोधी मुठभेड़) में महारत हासिल थी. गार्ड्स रेजिमेंट से आने वाले कर्नल शर्मा लंबे समय से कश्‍मीर घाटी में तैनात थे. बतौर कमांडिंग ऑफिसर, अपनी बहादुरी के लिए कर्नल शर्मा को सेना का मेडल मिला था. कर्नल शर्मा की अगुआई में भारतीय सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ कई ऑपरेशनों को अंजाम दिया है और उन्हें सबक सिखाया है.

ग्रेनेड हमला होने से बचाया
सेना के अधिकारियों ने कहा कि गार्ड्स रेजिमेंट से संबंधित कर्नल आशुतोष शर्मा लंबे समय से कश्मीर घाटी में सेवा कर रहे थे और उन्हें दो बार वीरता के लिए सेना पदक से सम्मानित किया गया, जिसमें एक कमांडिंग ऑफिसर के रूप में उनकी बहादुरी के लिए शामिल है. उन्हें कमांडिंग ऑफिसर के रूप में वीरता पुरस्कार तब मिला था जब एक आतंकवादी अपने कपड़ों में छिपे एक ग्रेनेड के साथ सड़क पर आदमियों की ओर भाग रहा था. कर्नल शर्मा ने उसे करीब से गोली मारी, जिससे जम्मू-कश्मीर पुलिसकर्मियों के साथ उनके कई सैनिकों की जान बची.

भारतीय सेना को एक बड़ा झटका
कर्नल शर्मा की शहादत भारतीय सेना को एक बड़ा झटका है. कश्‍मीर घाटी में सेना ने इतने बड़े अधिकारी को पांच साल पहले खोया था. जनवरी 2015 में घाटी के एक ऑपरेशन में कर्नल एमएन रॉय शहीद हुए थे. उसी साल नवंबर में कर्नल संतोष महादिक ने भी शहादत दी थी.

21 राष्‍ट्रीय राइफल्‍स ने साल 2000 में अपने सीनियर ऑफिसर्स को गंवाया था. तब कुपवाड़ा में आतंकियों ने एक रिमोट कंट्रोल्‍स आईईडी ब्‍लास्‍ट के जरिए सीओ कर्नल राजिंदर चौहान और ब्रिगेडियर बीएस शेरगिल की गाड़ी को निशाना बनाया था. उसमें पांच जवान भी घायल हुए थे.

हंदवाडा मुठभेड़ में हुई शहादत
उत्तर कश्मीर के हंदवाडा के चांजमुल्ला इलाके में चले इस अभियान में कर्नल आशुतोष शर्मा समेत मेजर अनुज, एक लांस नायक, एक राइफलमैन और जम्मू कश्मीर पुलिस के सब-इंस्पेक्टर शकील शहीद हो गए हैं. हंदवाड़ा मुठभेड़ 16 घंटे तक चली. इस आपरेशन में दो आंतकवादी भी मारे गए.

कैसे चला ऑपरेशन?
गौरतलब है कि रविवार को एक घर में आतंकियों की मौजूदगी का खुफिया इनपुट मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने संयुक्त ऑपरेशन शुरु किया. टीम में राष्‍ट्रीय राइफल्‍स और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान शामिल थे. आतंकियों ने चांजमुल्ला इलाके में आम नागरिकों को बंधक बनाया था. सुरक्षाकर्मियों ने इन नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला. इस दौरान लगातार आतंकी गोलियां बरसाते रहे. कई गोलियां जवानों को लगीं मगर वह मिशन पर डटे रहे. जवाबी कार्रवाई में उन्‍होंने दोनों आतंकियों को मार गिराया.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जताया शोक
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुठभेड़ में मारे गए जवानों और सुरक्षाकर्मियों के प्रति शोक व्यक्त किया है. राजनाथ सिंह ने कहा कि हंदवाड़ा में हमारे जवानों और सुरक्षाकर्मियों को खोना बेहद दर्दनाक है. उन्होंने आतंकवादियों के खिलाफ अपनी लड़ाई में अद्वितीय साहस दिखाया और देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए. हम उनकी बहादुरी और बलिदान को कभी नहीं भूलेंगे.'

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