देहरादून : चीन सीमा के करीब 10 जुलाई को बादल फटने के बाद पूरे इलाके में भारी तबाही मची हुई है. गुंजी और कूटी के बीच बीआरओ की करीब 500 मीटर लंबी सड़क प्रकृति के तांडव में पूरी तरह जमींदोज हो गई है.
यही नहीं कूटी-यांग्ती नदी के दोनों छोरों पर भी पहाड़ियां टूटी पड़ी हैं. कई जगहों पर कूटी-यांग्ती नदी का प्रवाह भी रुक गया है. बादल फटने से करीब 500 मीटर सड़क जमींदोज हो चुका है. संचार की सुविधा न होने के कारण कई दिनों बाद घटना सामने आ रही है. बादल फटने की वजह से चीन सीमा की ओर जाने वाली सड़क पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है और कुटी नदी का जल प्रवाह भी मलबा आने की वजह से रुक गया है.
बीते दिनों व्यास घाटी में मूसलाधार बारिश होने से धारचूला तहसील मुख्यालय से 120 किमी दूर गुंजी से कुटी के बीच जबरदस्त भूस्खलन हुआ था. पहाड़ियों के दरकने से आए मलबे ने सड़क के साथ ही कूटी-यांग्ती नदी को भी पाट दिया है. नदी का बहाव बाधित होने से इस स्थान पर झील बन गई है. नदी में झील बनने से रोकांग, नाबी, गुंजी सहित कई गांवों को खतरा पैदा हो गया है. गनीमत यह रही कि हादसा गूंजी से कुट्टी की ओर जाते हुए बीच में पड़ने वाले एक सुनसान दुर्गम इलाके में घटी, नहीं तो किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता था.
स्थानीय निवासी नृप सिंह गर्ब्याल और रविश पतियाल ने घटना की जानकारी देते ईटीवी भारत से हादसे की जगह का वीडियो भी शेयर किया है. ग्रामीणों का कहना है कि दुर्गम क्षेत्रों में जहां पर कनेक्टिविटी नहीं होती, ऐसी घटनाएं ज्यादा असर करती हैं. क्योंकि देश-दुनिया को घटनाओं की ताजा जानकारी नहीं मिलती है और जब जानकारी मिलती है. तब तक सब कुछ तबाह हो जाता है.
स्थानीय निवासी नृप सिंह गर्ब्याल और रवीश पतियाल का कहना है कि बादल फटने की वजह से आए मलबे में नदियों का जलप्रवाह रुक गया है, जिसकी वजह से झील बन रही है. जो भविष्य में भारी त्रासदी का कारण बन सकती है.
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स्थानीय प्रशासन और जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने कहा कि स्थानीय लोगों की सूचना के आधार पर बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) सड़क के मरम्मत में जुटी हुई है. कुटी नदी पर बनी इस झील के जल प्रभाव को भी खोलने के लिए मलबा हटाया जा रहा है.
बादल फटना होता क्या है
बादल फटने का मतलब यह नहीं होता कि बादल के टुकड़े हो गए हों. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जब एक जगह पर अचानक एकसाथ भारी बारिश हो जाए तो उसे बादल फटना कहते हैं.