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कोरोना : इलाज में मददगार साबित होगी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, रिसर्च जारी

रैवूलिजुमैब (ravulizumab) एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है, जिसे खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा दो दुर्लभ आनुवांशिक बीमारियों, एटिपिकल हेमोलाइटिक यूरेमिक सिंड्रोम और पैरॉक्सिस्मल नोटोर्नल हेमोग्लोबिनुरिया के इलाज के लिए मंजूरी मिली है. यह दोनों ही बीमारियां रक्त वाहिकाओं में खतरा पैदा कर सकती हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि मरीजों के लिए नैदानिक परीक्षण में भाग लेने का विकल्प पेश किया जाना जरूरी है. उन्हें उम्मीद है कि दवा गंभीर रूप से बीमार कोरोना मरीजों के इलाज में कुछ प्रभाव जरूर दिखाएगी.

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गंभीर रूप से बीमार कोरोना मरीजों के इलाज के लिए इस दवा पर चल रही रिसर्च
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Published : Aug 14, 2020, 3:52 PM IST

हैदराबाद : सेंट लुइस में स्थित वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए अनुमोदित दवा कोरोना वायरस से ग्रसित गंभीर रूप से बीमार रोगियों की मदद कर सकती है.

यह दवा प्रतिरक्षा प्रणाली के एक खास प्रोटीन को रोकती है. डॉक्टर्स का मानना है कि यह फेफड़ों, गुर्दे और रक्त वाहिकाओं में कोरोना से होने वाले खतरनाक रिस्पॉन्स में खास योगदान देता है.

रैवूलिजुमैब (ravulizumab) नामक दवा मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है, जिसे खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा दो दुर्लभ आनुवांशिक बीमारियों, एटिपिकल हेमोलाइटिक यूरेमिक सिंड्रोम और पैरॉक्सिस्मल नोटोर्नल हेमोग्लोबिनुरिया के इलाज के लिए मंजूरी मिली है.

यह दोनों ही बीमारियां रक्त वाहिकाओं में खतरा पैदा कर सकती हैं.

वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में परीक्षण के प्रमुख अन्वेषक और पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के डिवीजन में चिकित्सा के सहायक प्रोफेसर हृषिकेश एस कुलकर्णी ने कहा कि हम कोरोना से गंभीर रूप से ग्रसित फेफड़ों संबंधी परेशानी वाले रोगियों के लिए इस एफडीए-अनुमोदित दवा का उपयोग कर रहे हैं.

इसके परीक्षण का नेतृत्व प्रायोजित एलेक्सियन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा किया जा रहा है, जो अल्टोमाइरिस (Ultomiris) ब्रांड नाम के तहत रैवुलिजुमाब (ravulizumab) बनाता है.

जांचकर्ताओं ने दुनियाभर में 270 वयस्क रोगियों को भर्ती कराने की योजना बनाई है.

एमडी, एक सहायक प्रोफेसर और परीक्षण पर एक सह-अन्वेषक नेफ्रोलॉजिस्ट अनुजा जावा ने बताया कि ओवरड्राइव कॉम्प्लिमेंट के कारण बनने वाले आनुवांशिक रोगों में से एक एटिपिकल हेमोलिटिक यूरेमिक सिंड्रोम (atypical hemolytic uremic syndrome) है, जो गुर्दों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है.

गुर्दों को नुकसान होना वाकई में परेशानी वाली बात है. इनमें से कई रोगियों को तो डायलिसिस की जरूरत पड़ती है. यह नैदानिक परीक्षण COVID-19 की गंभीरता में कॉम्प्लिमेंट सिस्टम (complement system) की संभावित भूमिका की हमारी समझ का प्रत्यक्ष परिणाम है.

क्या है कॉम्प्लिमेंट सिस्टम ?
कॉम्प्लिमेंट सिस्टम को कॉम्प्लिमेंट कास्केड (cascade) भी कहा जाता है. यह एंटीबॉडी की योग्यता को बढ़ाने में सहायक है. इसके साथ ही यह क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को साफ करता है. यह एंटीबॉडी और फागोसाइटिक कोशिकाओं की क्षमता को बढ़ाता है.

जावा कहते हैं कि असल में हम जानना चाहते हैं कि कॉम्प्लिमेंट इन्हिबिटर (complement inhibitor) का इस्तेमाल करके इस प्रणाली को संशोधित करना संभावित रूप से इन रोगियों की मदद कर सकता है.

जर्नल जेसीआई इनसाइट में ऑनलाइन प्रकाशित एक समीक्षा लेख में, शोधकर्ताओं ने एलिकेट बैलेंसिंग एक्ट (elicate balancing act) को रेखांकित किया है कि कॉम्प्लिमेंट सिस्टम (complement system) शरीर में बनी रहती है और कैसे यह संभावित रूप से कुछ लोगों में एक गंभीर कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ सकता है.

जांचकर्ताओं ने सबूतों की समीक्षा की कि SARS-CoV-2, COVID-19 के कारण बनने वाला वायरस, कॉम्प्लिमेंट सिस्टम को कई तरीकों से ट्रिगर करता है.

सीओवीआईडी-19 वाले ऐसे रोगियों में समस्याएं हैं जो कि कॉम्प्लिमेंट सिस्टम के दुर्लभ आनुवांशिक विकारों वाले रोगियों के साथ मिलती जुलती हैं. यह समस्याएं पूरे शरीर में खतरनाक रक्त के थक्कों का कारण बन सकते हैं, जिसमें फेफड़े, गुर्दे, हृदय और मस्तिष्क का आघात शामिल हैं. अन्य समूहों द्वारा हाल के शोध में यह भी दिखाया गया है कि कोविड-19 वाले कुछ रोगियों में आनुवांशिक विविधताएं होती हैं जो उन्हें ओवरड्राइव में जाने वाले कॉम्प्लिमेंट सिस्टम के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती हैं, भले ही उन्हें यह बीमारी विरासत में न मिली हो.

चिकित्सा के सहायक प्रोफेसर अल्फ्रेड किम ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कॉम्प्लिमेंट एक दोस्त या दुश्मन हो सकता है. हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि COVID-19 बनाम एक सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया के बीच अंतर क्या है जो इस स्थिति को मजबूत बनाता है. यह सिर्फ ट्रिगर नहीं हो सकता है, लेकिन हम एक तर्क देते हैं कि अनियंत्रित कॉम्प्लिमेंट एक्टिवेशन गंभीर बीमारी वाले रोगियों में क्या गलत कर सकता है, इसके बड़े हिस्से को जरूर समझा जा सकता है.

मेडिसन की असिस्टेंट प्रोफेसर कैथरीन लिस्ज़वेस्की ने कहा कि यह कॉम्प्लिमेंट सिस्टम कोरोना वायरस पर काबू पा सकता है, जो फिलहाल हमारी समझ से तो बाहर है. यहां तक कि यह अपने ही उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कॉम्प्लिमेंट के तत्वों (एलीमेंट) को भी हाईजैक कर सकता है. हम चाहते हैं कि कॉम्प्लिमेंट प्रारंभिक तौर पर वायरस से लड़े.

ग्रांट प्रोफेसर ऑफ क्लिनिकल मेडिसिन जॉन एटकिंसन कहते हैं, हमारा मानना है कि मरीजों के लिए नैदानिक परीक्षण में भाग लेने का विकल्प पेश किया जाना जरूरी है. हमें उम्मीद है कि दवा गंभीर रूप से बीमार कोरोना मरीजों के इलाज में कुछ प्रभाव जरूर दिखाएगी.

हैदराबाद : सेंट लुइस में स्थित वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए अनुमोदित दवा कोरोना वायरस से ग्रसित गंभीर रूप से बीमार रोगियों की मदद कर सकती है.

यह दवा प्रतिरक्षा प्रणाली के एक खास प्रोटीन को रोकती है. डॉक्टर्स का मानना है कि यह फेफड़ों, गुर्दे और रक्त वाहिकाओं में कोरोना से होने वाले खतरनाक रिस्पॉन्स में खास योगदान देता है.

रैवूलिजुमैब (ravulizumab) नामक दवा मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है, जिसे खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा दो दुर्लभ आनुवांशिक बीमारियों, एटिपिकल हेमोलाइटिक यूरेमिक सिंड्रोम और पैरॉक्सिस्मल नोटोर्नल हेमोग्लोबिनुरिया के इलाज के लिए मंजूरी मिली है.

यह दोनों ही बीमारियां रक्त वाहिकाओं में खतरा पैदा कर सकती हैं.

वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में परीक्षण के प्रमुख अन्वेषक और पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के डिवीजन में चिकित्सा के सहायक प्रोफेसर हृषिकेश एस कुलकर्णी ने कहा कि हम कोरोना से गंभीर रूप से ग्रसित फेफड़ों संबंधी परेशानी वाले रोगियों के लिए इस एफडीए-अनुमोदित दवा का उपयोग कर रहे हैं.

इसके परीक्षण का नेतृत्व प्रायोजित एलेक्सियन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा किया जा रहा है, जो अल्टोमाइरिस (Ultomiris) ब्रांड नाम के तहत रैवुलिजुमाब (ravulizumab) बनाता है.

जांचकर्ताओं ने दुनियाभर में 270 वयस्क रोगियों को भर्ती कराने की योजना बनाई है.

एमडी, एक सहायक प्रोफेसर और परीक्षण पर एक सह-अन्वेषक नेफ्रोलॉजिस्ट अनुजा जावा ने बताया कि ओवरड्राइव कॉम्प्लिमेंट के कारण बनने वाले आनुवांशिक रोगों में से एक एटिपिकल हेमोलिटिक यूरेमिक सिंड्रोम (atypical hemolytic uremic syndrome) है, जो गुर्दों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है.

गुर्दों को नुकसान होना वाकई में परेशानी वाली बात है. इनमें से कई रोगियों को तो डायलिसिस की जरूरत पड़ती है. यह नैदानिक परीक्षण COVID-19 की गंभीरता में कॉम्प्लिमेंट सिस्टम (complement system) की संभावित भूमिका की हमारी समझ का प्रत्यक्ष परिणाम है.

क्या है कॉम्प्लिमेंट सिस्टम ?
कॉम्प्लिमेंट सिस्टम को कॉम्प्लिमेंट कास्केड (cascade) भी कहा जाता है. यह एंटीबॉडी की योग्यता को बढ़ाने में सहायक है. इसके साथ ही यह क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को साफ करता है. यह एंटीबॉडी और फागोसाइटिक कोशिकाओं की क्षमता को बढ़ाता है.

जावा कहते हैं कि असल में हम जानना चाहते हैं कि कॉम्प्लिमेंट इन्हिबिटर (complement inhibitor) का इस्तेमाल करके इस प्रणाली को संशोधित करना संभावित रूप से इन रोगियों की मदद कर सकता है.

जर्नल जेसीआई इनसाइट में ऑनलाइन प्रकाशित एक समीक्षा लेख में, शोधकर्ताओं ने एलिकेट बैलेंसिंग एक्ट (elicate balancing act) को रेखांकित किया है कि कॉम्प्लिमेंट सिस्टम (complement system) शरीर में बनी रहती है और कैसे यह संभावित रूप से कुछ लोगों में एक गंभीर कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ सकता है.

जांचकर्ताओं ने सबूतों की समीक्षा की कि SARS-CoV-2, COVID-19 के कारण बनने वाला वायरस, कॉम्प्लिमेंट सिस्टम को कई तरीकों से ट्रिगर करता है.

सीओवीआईडी-19 वाले ऐसे रोगियों में समस्याएं हैं जो कि कॉम्प्लिमेंट सिस्टम के दुर्लभ आनुवांशिक विकारों वाले रोगियों के साथ मिलती जुलती हैं. यह समस्याएं पूरे शरीर में खतरनाक रक्त के थक्कों का कारण बन सकते हैं, जिसमें फेफड़े, गुर्दे, हृदय और मस्तिष्क का आघात शामिल हैं. अन्य समूहों द्वारा हाल के शोध में यह भी दिखाया गया है कि कोविड-19 वाले कुछ रोगियों में आनुवांशिक विविधताएं होती हैं जो उन्हें ओवरड्राइव में जाने वाले कॉम्प्लिमेंट सिस्टम के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती हैं, भले ही उन्हें यह बीमारी विरासत में न मिली हो.

चिकित्सा के सहायक प्रोफेसर अल्फ्रेड किम ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कॉम्प्लिमेंट एक दोस्त या दुश्मन हो सकता है. हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि COVID-19 बनाम एक सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया के बीच अंतर क्या है जो इस स्थिति को मजबूत बनाता है. यह सिर्फ ट्रिगर नहीं हो सकता है, लेकिन हम एक तर्क देते हैं कि अनियंत्रित कॉम्प्लिमेंट एक्टिवेशन गंभीर बीमारी वाले रोगियों में क्या गलत कर सकता है, इसके बड़े हिस्से को जरूर समझा जा सकता है.

मेडिसन की असिस्टेंट प्रोफेसर कैथरीन लिस्ज़वेस्की ने कहा कि यह कॉम्प्लिमेंट सिस्टम कोरोना वायरस पर काबू पा सकता है, जो फिलहाल हमारी समझ से तो बाहर है. यहां तक कि यह अपने ही उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कॉम्प्लिमेंट के तत्वों (एलीमेंट) को भी हाईजैक कर सकता है. हम चाहते हैं कि कॉम्प्लिमेंट प्रारंभिक तौर पर वायरस से लड़े.

ग्रांट प्रोफेसर ऑफ क्लिनिकल मेडिसिन जॉन एटकिंसन कहते हैं, हमारा मानना है कि मरीजों के लिए नैदानिक परीक्षण में भाग लेने का विकल्प पेश किया जाना जरूरी है. हमें उम्मीद है कि दवा गंभीर रूप से बीमार कोरोना मरीजों के इलाज में कुछ प्रभाव जरूर दिखाएगी.

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