ETV Bharat / bharat

जम्मू-कश्मीर : श्रीनगर में सात माह बाद खोला गया नागरिक सचिवालय

कोरोना वायरस के कारण नागरिक सचिवालय जम्मू से श्रीनगर स्थानान्तरित नहीं हो सका था. सरकार के अनुसार दरबार मूव 15 जून से होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी और नए प्रशासनिक बदलाओं के बीच सात महीने बाद श्रीनगर में सोमवार को नागरिक सचिवालय खोला गया. पढ़ें पूरी खबर...

Civil Secretariat JK opens
दरबार मूव की प्रक्रिया
author img

By

Published : Jul 6, 2020, 2:14 PM IST

श्रीनगर : कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन और नए बदलावों के बीच जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में सात माह बाद सोमवार को नागरिक सचिवालय (दरबार मूव) फिर से खोल दिया गया.

नियमानुसार नागरिक सचिवालय को तीन माह पहले ही शिफ्ट हो जाना चाहिए था. लेकिन 148 सालों में ऐसा पहली बार है, जब 'दरबार मूव' जुलाई में हो रहा है. हालांकि, दरबार मूव के इतिहास में पहली बार सिविल सचिवालय जम्मू प्रांत में भी काम करेगा, जहां लगभग 18 विभाग कार्य करेंगे, जबकि 19 कार्यालय घाटी में कार्य करेंगे.

नए बदलावों में, कश्मीर प्रांत से संबंधित कर्मचारी श्रीनगर विंग में काम करेंगे, जबकि जम्मू प्रांत के कर्मचारी जम्मू विंग में काम करेंगे.

इस बीच, कई अधिकारियों को हर महीने जम्मू विंग और श्रीनगर विंग के बीच काम करने के आदेश जारी किए गए हैं, जो 10 या 20 दिनों के लिए श्रीनगर में मौजूद रहेंगे.

कर्मचारियों का मानना ​​है कि नई योजना कार्यालयों के कामकाज को प्रभावित करेगी क्योंकि जब कोई अधिकारी 10 दिनों के लिए जम्मू में रहता है, तो अगले 20 दिनों तक काम बंद रहेगा.

दरबार श्रीनगर स्थानांतरित होने में कोविड-19 लॉकडाउन के कारण तीन महीने की देरी हुई है और यह पहली बार है कि दरबार मूव को समय पर श्रीनगर स्थानांतरित नहीं किया गया है.

गौरतलब है कि दरबार मूव के तहत कार्यालयों (सिविल सचिवालय) का स्थानांतरण ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर से शीतकालीन राजधानी जम्मू के लिए हर साल अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में होता है.

छह महीने बाद, सचिवालय को अपने कर्मचारियों और फाइलों के साथ मई के पहले सप्ताह में श्रीनगर में स्थानांतरित किया जाना था. हालांकि, इस वर्ष दरबार मूव कोरोना महामारी का शिकार हो गया.

पढ़ें - जम्मू-कश्मीर : कोरोना की वजह से 'दरबार मूव' की प्रक्रिया टली

हालांकि सरकार ने मई में श्रीनगर में अस्थायी रूप से सिविल सचिवालय खोला था, लेकिन जम्मू विंग में फाइलों और विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी के कारण यहां कामकाज लगभग ठप था.

सामान्य चिंता यह है कि बीते वर्ष पांच अगस्त से जम्मू और कश्मीर में हुए ऐतिहासिक बदलावों के साथ, नए राजनीतिक और प्रशासनिक मामलों में नागरिक सचिवालय अब दो प्रांतों में विभाजित किया जा रहा है.

दरबार मूव की यह पारंपरिक प्रथा 1872 से प्रचलन में है, जब डोगरा के पूर्व शासक महाराजा रणबीर सिंह ने इसे शुरू किया था. इसमें 200 करोड़ से अधिक का व्यय होता है.

पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने 1987 में इस प्रथा को रोकने की कोशिश की थी, जब उन्होंने श्रीनगर में सचिवालय को पूरे साल खुला रखने के आदेश जारी किए थे. हालांकि, इस फैसले ने जम्मू क्षेत्र में एक नाराज प्रतिक्रिया पैदा की, जहां वकीलों और राजनीतिक दलों ने इसके खिलाफ आंदोलन किया और अब्दुल्ला को अपना निर्णय रद करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

श्रीनगर : कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन और नए बदलावों के बीच जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में सात माह बाद सोमवार को नागरिक सचिवालय (दरबार मूव) फिर से खोल दिया गया.

नियमानुसार नागरिक सचिवालय को तीन माह पहले ही शिफ्ट हो जाना चाहिए था. लेकिन 148 सालों में ऐसा पहली बार है, जब 'दरबार मूव' जुलाई में हो रहा है. हालांकि, दरबार मूव के इतिहास में पहली बार सिविल सचिवालय जम्मू प्रांत में भी काम करेगा, जहां लगभग 18 विभाग कार्य करेंगे, जबकि 19 कार्यालय घाटी में कार्य करेंगे.

नए बदलावों में, कश्मीर प्रांत से संबंधित कर्मचारी श्रीनगर विंग में काम करेंगे, जबकि जम्मू प्रांत के कर्मचारी जम्मू विंग में काम करेंगे.

इस बीच, कई अधिकारियों को हर महीने जम्मू विंग और श्रीनगर विंग के बीच काम करने के आदेश जारी किए गए हैं, जो 10 या 20 दिनों के लिए श्रीनगर में मौजूद रहेंगे.

कर्मचारियों का मानना ​​है कि नई योजना कार्यालयों के कामकाज को प्रभावित करेगी क्योंकि जब कोई अधिकारी 10 दिनों के लिए जम्मू में रहता है, तो अगले 20 दिनों तक काम बंद रहेगा.

दरबार श्रीनगर स्थानांतरित होने में कोविड-19 लॉकडाउन के कारण तीन महीने की देरी हुई है और यह पहली बार है कि दरबार मूव को समय पर श्रीनगर स्थानांतरित नहीं किया गया है.

गौरतलब है कि दरबार मूव के तहत कार्यालयों (सिविल सचिवालय) का स्थानांतरण ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर से शीतकालीन राजधानी जम्मू के लिए हर साल अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में होता है.

छह महीने बाद, सचिवालय को अपने कर्मचारियों और फाइलों के साथ मई के पहले सप्ताह में श्रीनगर में स्थानांतरित किया जाना था. हालांकि, इस वर्ष दरबार मूव कोरोना महामारी का शिकार हो गया.

पढ़ें - जम्मू-कश्मीर : कोरोना की वजह से 'दरबार मूव' की प्रक्रिया टली

हालांकि सरकार ने मई में श्रीनगर में अस्थायी रूप से सिविल सचिवालय खोला था, लेकिन जम्मू विंग में फाइलों और विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी के कारण यहां कामकाज लगभग ठप था.

सामान्य चिंता यह है कि बीते वर्ष पांच अगस्त से जम्मू और कश्मीर में हुए ऐतिहासिक बदलावों के साथ, नए राजनीतिक और प्रशासनिक मामलों में नागरिक सचिवालय अब दो प्रांतों में विभाजित किया जा रहा है.

दरबार मूव की यह पारंपरिक प्रथा 1872 से प्रचलन में है, जब डोगरा के पूर्व शासक महाराजा रणबीर सिंह ने इसे शुरू किया था. इसमें 200 करोड़ से अधिक का व्यय होता है.

पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने 1987 में इस प्रथा को रोकने की कोशिश की थी, जब उन्होंने श्रीनगर में सचिवालय को पूरे साल खुला रखने के आदेश जारी किए थे. हालांकि, इस फैसले ने जम्मू क्षेत्र में एक नाराज प्रतिक्रिया पैदा की, जहां वकीलों और राजनीतिक दलों ने इसके खिलाफ आंदोलन किया और अब्दुल्ला को अपना निर्णय रद करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.