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'सिनेमा वाले बाबू' का खास है मोहल्ला क्लास

छत्तीसगढ़ के कोरिया के फाटपानी गांव के शासकीय प्राथमिक शाला में पढ़ाने वाले शिक्षक अशोक लोधी, इन दिनों बच्चों के लिए 'सिनेमा वाले बाबू' बने हुए हैं. वे एलईडी टीवी के माध्यम से गांव-गांव जाकर मोहल्ला क्लास में बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

सिनेमा वाले बाबू
सिनेमा वाले बाबू
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Published : Sep 20, 2020, 6:30 PM IST

रायपुर : डीजे वाले बाबू के बारे में तो आपने सुना ही होगा, लेकिन क्या आप 'सिनेमा वाले बाबू' को जानते हैं? कोरिया के फाटपानी गांव के शासकीय प्राथमिक शाला में पढ़ाने वाले शिक्षक इन दिनों 'सिनेमा वाले बाबू' बने हुए हैं. यहां सिनेमा कोई फिल्म नहीं बल्कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई है.

शिक्षक आशोक लोधी ने बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाने का नया तरीका खोज निकाला है. रोजाना सुबह वह अपनी बाइक पर एलईडी टीवी बांध कर गांव में मोहल्ला क्लास लेने के लिए निकल पड़ते हैं. बच्चों को टीवी और मोबाइल के माध्यम से पढ़ाई कराते हैं.

शिक्षक अशोक लोधी बताते हैं कि 'सिनेमा वाले बाबू' का आइडिया उनके पास ये सोचकर आया कि बच्चे टीवी और मोबाइल के माध्यम से चीजों को जल्दी सीखते हैं. उन्होंने स्कूल में रखे एलईडी टीवी की मदद से इसकी शुरुआत की.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

वे टाइम-टेबल के हिसाब से रोजाना अलग-अलग मोहल्लों में जाकर टीवी के जरिए बच्चों को पढ़ाई करा रहे हैं. बच्चों के बीच अब उनकी 'सिनेमा वाले बाबू' के नाम से पहचान बन गई है.

बच्चे घरों से निकलकर समय से आ जाते हैं और पढ़ाई करते हैं. इस बीच बच्चों के मनोरंजन के लिए उन्हें कार्टून दिखाया जाता है. बच्चे संगीत भी सुनते हैं. शिक्षक अशोक कक्षा पहली से लेकर 5वीं तक के बच्चों को पढ़ाते हैं.

पढ़ई तुंहर दुआर योजना के तहत मोहल्ला क्लास

कोरोना संकट को देखते हुए राज्य सराकार ने बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए नई योजना पढ़ई तुंहर दुआर की शुरुआत की. इस योजना के तहत बच्चों को ऑनलाइन मोबाइल के जरिए इंटरनेट के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है. एक एप्लीकेशन तैयार कर स्कूली बच्चों और शिक्षकों उसमें पंजीयन करने की सुविधा दी गई.

गांव के मोहल्लों में जाकर शिक्षक ले रहे बच्चों की क्लास

छत्तीसगढ़ के दूरस्थ और ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क कनेक्टिविटी सही नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी. इस परेशानी को देखते हुए गांव-गांव में ऑफलाइन मोहल्ला क्लासेस की शुरुआत की गई. जिसमें शिक्षक गांव के मोहल्लों में जाकर बच्चों को पढ़ाई करा रहे हैं.

शिक्षक अशोक लोधी बताते हैं कि वे कोरोना संक्रमण से बचने शासन-प्रशासन के गाइडलाइन का पालन करते हुए बच्चों को पढ़ाते हैं. मोहल्ला क्लास में बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठाया जाता है, वे मास्क पहनते हैं और हाथों को लगातार सैनिटाइज भी करते हैं.

कोरिया जिला मुख्यालय से लगे सलका संकुल क्षेत्र के ग्राम पंचायत सारा, गदबदी, रटन्गा, ढोड़ी बहरा और जलियांढांड जैसे गांवों में भी 'सिनेमा वाले बाबू' बच्चों को अपनी सेवा देते हैं. वे कहते हैं कि बच्चे इस पहल से खुश हैं.

हाल ही में छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला कोरिया के दौरे पर थे. उन्होंने भी 'सिनेमा वाले बाबू' अशोक लोधी के इस अनोखे पहल की सराहना की है. इस दौरान उन्होंने कहा था कि कोरोना काल में भी ऐसी शिक्षा पद्धतियों को इजाद कर यहां के शिक्षक बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. इस तरह की इनोवेटिव पढ़ाई बड़े जगहों पर भी नहीं होती.

एक ओर जहां प्रदेश के कई ग्रामीण अचंल में नेटवर्क कनेक्टिविटी की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. वहीं मोहल्ला क्लास लगाकर सिनेमा वाले बाबू का इस तरह बच्चों को पढ़ाना बेहतर साबित हो रहा है.

रायपुर : डीजे वाले बाबू के बारे में तो आपने सुना ही होगा, लेकिन क्या आप 'सिनेमा वाले बाबू' को जानते हैं? कोरिया के फाटपानी गांव के शासकीय प्राथमिक शाला में पढ़ाने वाले शिक्षक इन दिनों 'सिनेमा वाले बाबू' बने हुए हैं. यहां सिनेमा कोई फिल्म नहीं बल्कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई है.

शिक्षक आशोक लोधी ने बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाने का नया तरीका खोज निकाला है. रोजाना सुबह वह अपनी बाइक पर एलईडी टीवी बांध कर गांव में मोहल्ला क्लास लेने के लिए निकल पड़ते हैं. बच्चों को टीवी और मोबाइल के माध्यम से पढ़ाई कराते हैं.

शिक्षक अशोक लोधी बताते हैं कि 'सिनेमा वाले बाबू' का आइडिया उनके पास ये सोचकर आया कि बच्चे टीवी और मोबाइल के माध्यम से चीजों को जल्दी सीखते हैं. उन्होंने स्कूल में रखे एलईडी टीवी की मदद से इसकी शुरुआत की.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

वे टाइम-टेबल के हिसाब से रोजाना अलग-अलग मोहल्लों में जाकर टीवी के जरिए बच्चों को पढ़ाई करा रहे हैं. बच्चों के बीच अब उनकी 'सिनेमा वाले बाबू' के नाम से पहचान बन गई है.

बच्चे घरों से निकलकर समय से आ जाते हैं और पढ़ाई करते हैं. इस बीच बच्चों के मनोरंजन के लिए उन्हें कार्टून दिखाया जाता है. बच्चे संगीत भी सुनते हैं. शिक्षक अशोक कक्षा पहली से लेकर 5वीं तक के बच्चों को पढ़ाते हैं.

पढ़ई तुंहर दुआर योजना के तहत मोहल्ला क्लास

कोरोना संकट को देखते हुए राज्य सराकार ने बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए नई योजना पढ़ई तुंहर दुआर की शुरुआत की. इस योजना के तहत बच्चों को ऑनलाइन मोबाइल के जरिए इंटरनेट के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है. एक एप्लीकेशन तैयार कर स्कूली बच्चों और शिक्षकों उसमें पंजीयन करने की सुविधा दी गई.

गांव के मोहल्लों में जाकर शिक्षक ले रहे बच्चों की क्लास

छत्तीसगढ़ के दूरस्थ और ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क कनेक्टिविटी सही नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी. इस परेशानी को देखते हुए गांव-गांव में ऑफलाइन मोहल्ला क्लासेस की शुरुआत की गई. जिसमें शिक्षक गांव के मोहल्लों में जाकर बच्चों को पढ़ाई करा रहे हैं.

शिक्षक अशोक लोधी बताते हैं कि वे कोरोना संक्रमण से बचने शासन-प्रशासन के गाइडलाइन का पालन करते हुए बच्चों को पढ़ाते हैं. मोहल्ला क्लास में बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठाया जाता है, वे मास्क पहनते हैं और हाथों को लगातार सैनिटाइज भी करते हैं.

कोरिया जिला मुख्यालय से लगे सलका संकुल क्षेत्र के ग्राम पंचायत सारा, गदबदी, रटन्गा, ढोड़ी बहरा और जलियांढांड जैसे गांवों में भी 'सिनेमा वाले बाबू' बच्चों को अपनी सेवा देते हैं. वे कहते हैं कि बच्चे इस पहल से खुश हैं.

हाल ही में छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला कोरिया के दौरे पर थे. उन्होंने भी 'सिनेमा वाले बाबू' अशोक लोधी के इस अनोखे पहल की सराहना की है. इस दौरान उन्होंने कहा था कि कोरोना काल में भी ऐसी शिक्षा पद्धतियों को इजाद कर यहां के शिक्षक बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. इस तरह की इनोवेटिव पढ़ाई बड़े जगहों पर भी नहीं होती.

एक ओर जहां प्रदेश के कई ग्रामीण अचंल में नेटवर्क कनेक्टिविटी की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. वहीं मोहल्ला क्लास लगाकर सिनेमा वाले बाबू का इस तरह बच्चों को पढ़ाना बेहतर साबित हो रहा है.

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