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राजस्थान : कोटा के बाद अब बीकानेर में 162 नवजातों की मौत, अस्पताल प्रशासन खामोश !

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Published : Jan 5, 2020, 11:22 AM IST

Updated : Jan 5, 2020, 12:13 PM IST

कोटा के जेके लोन अस्पताल में नवजातों के मौत के बाद ईटीवी भारत ने प्रदेश के दूसरे अस्पतालों में रियलिटी चेक किया तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. बीकानेर के शिशु अस्पताल में भी हालात बदतर हैं. देखें ईटीवी भारत की खास पेशकश...

Infant deaths in bikaner
डिजाइन फोटो

बीकानेर : कोटा के जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत के मामले के बाद पूरे प्रदेश में सरकारी शिशु अस्पताल अब निशाने पर आ गए हैं. ईटीवी भारत ने बीकानेर में शिशु अस्पताल की रियलिटी चेक किया. फौरी तौर पर बीकानेर के पीबीएम शिशु अस्पताल के हालात ठीक नजर आते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरत होगी कि बीकानेर में भी हालात खराब हैं.

कोटा के जेके लोन अस्पताल में नवजात की मौत के मामले को लेकर अब पूरे प्रदेश में हंगामा बरपा हुआ है. प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था को लेकर विपक्ष सरकार पर सवाल उठा रहा है. सरकार भी अलर्ट मोड में आ गई है और प्रदेश के हर अस्पताल से आंकड़ें मंगवा रही है. ये आंकड़े बताते हैं कि बीकानेर के शिशु अस्तपताल में भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं. यहां नवजात के जन्म लेने और इलाज के साथ ही मृत्यु दर के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.

बीते एक वर्ष की बात करें तो बीकानेर में कुल 658 नवजातों की मौत हुई है. अकेले दिसम्बर माह में 162 नवजातों की मौत हुई है. हालांकि, सीधे तौर पर कोटा की जानकारी आने के बाद अस्पताल प्रशासन अपना मुंह कैमरे के आगे खोलने से बच रहा है, लेकिन आंकड़े सारी कहानी बता रहे हैं.

देखें ईटीवी भारत की यह रिपोर्ट

वर्ष 2019 में जिले के अस्पतालों में 17 हजार 234 बच्चों का जन्म हुआ, जिसमें पांच हजार 19 बच्चों को आईसीयू में भर्ती करवाया गया, उसमे से 658 बच्चों की मौत हो गई. हालांकि, 2019 में इसके अलावा अस्पताल में भर्ती हुए बच्चों की संख्या 25 हजार 876 के अनुपात में मरने वाले बच्चों की संख्या एक हजार 681 रही.

यह भी पढ़ें. स्पेशल रिपोर्टः राजस्थान में हर 1000 में से 38 नवजात शिशुओं की हो जाती है मौत

वहीं वर्ष 2017 में जिले के अस्पतालों में भर्ती और जन्म लेने वाले कुल 29 हजार 100 बच्चों में से एक हजार 648 बच्चों की मौत हुई है. वर्ष 2018 में 32 हजार 772 भर्ती हुए बच्चों में एक हजार 678 बच्चों की मौत हो गई. बीकानेर में पिछले 3 वर्षों का औसत देखा जाए तो हर माह करीब 140 नवजातों की मौत का आंकड़ा सामने आ रहा है.

बीकानेर : कोटा के जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत के मामले के बाद पूरे प्रदेश में सरकारी शिशु अस्पताल अब निशाने पर आ गए हैं. ईटीवी भारत ने बीकानेर में शिशु अस्पताल की रियलिटी चेक किया. फौरी तौर पर बीकानेर के पीबीएम शिशु अस्पताल के हालात ठीक नजर आते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरत होगी कि बीकानेर में भी हालात खराब हैं.

कोटा के जेके लोन अस्पताल में नवजात की मौत के मामले को लेकर अब पूरे प्रदेश में हंगामा बरपा हुआ है. प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था को लेकर विपक्ष सरकार पर सवाल उठा रहा है. सरकार भी अलर्ट मोड में आ गई है और प्रदेश के हर अस्पताल से आंकड़ें मंगवा रही है. ये आंकड़े बताते हैं कि बीकानेर के शिशु अस्तपताल में भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं. यहां नवजात के जन्म लेने और इलाज के साथ ही मृत्यु दर के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.

बीते एक वर्ष की बात करें तो बीकानेर में कुल 658 नवजातों की मौत हुई है. अकेले दिसम्बर माह में 162 नवजातों की मौत हुई है. हालांकि, सीधे तौर पर कोटा की जानकारी आने के बाद अस्पताल प्रशासन अपना मुंह कैमरे के आगे खोलने से बच रहा है, लेकिन आंकड़े सारी कहानी बता रहे हैं.

देखें ईटीवी भारत की यह रिपोर्ट

वर्ष 2019 में जिले के अस्पतालों में 17 हजार 234 बच्चों का जन्म हुआ, जिसमें पांच हजार 19 बच्चों को आईसीयू में भर्ती करवाया गया, उसमे से 658 बच्चों की मौत हो गई. हालांकि, 2019 में इसके अलावा अस्पताल में भर्ती हुए बच्चों की संख्या 25 हजार 876 के अनुपात में मरने वाले बच्चों की संख्या एक हजार 681 रही.

यह भी पढ़ें. स्पेशल रिपोर्टः राजस्थान में हर 1000 में से 38 नवजात शिशुओं की हो जाती है मौत

वहीं वर्ष 2017 में जिले के अस्पतालों में भर्ती और जन्म लेने वाले कुल 29 हजार 100 बच्चों में से एक हजार 648 बच्चों की मौत हुई है. वर्ष 2018 में 32 हजार 772 भर्ती हुए बच्चों में एक हजार 678 बच्चों की मौत हो गई. बीकानेर में पिछले 3 वर्षों का औसत देखा जाए तो हर माह करीब 140 नवजातों की मौत का आंकड़ा सामने आ रहा है.

Intro:कोटा की जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशु की हुई मौत के मामले को लेकर अब पूरे प्रदेश में हंगामा बरपा हुआ है। एक और जहां विपक्ष सरकार पर चिकित्सा व्यवस्था पंगु होने को लेकर सवाल खड़े कर रहा है तो वहीं सरकार भी अलर्ट मोड में आकर प्रदेश के हर अस्पताल से आंकड़ा मंगवा रही है।


Body:बीकानेर। कोटा के जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत के मामले के बाद पूरे प्रदेश में सरकारी शिशु अस्पताल अब निशाने पर आ गए हैं। एक और जहां सरकार कोटा के मामले में बैकफुट पर है वहीं अब ईटीवी भारत की पड़ताल के तहत बीकानेर में शिशु अस्पताल की व्यवस्थाओं को देखने के साथ यहां नवजात के जन्म लेने और इलाज के साथ ही मृत्यु दर के चौंकानें वाले आंकड़े सामने आए हैं। हालांकि फौरी तौर पर बीकानेर के पीबीएम शिशु अस्पताल के हालात ठीक दिखते है लेकिन इस सफाई की परत के नीचे जो आंकड़ा आया है वो यह बताने के लिए काफी है कि कोटा चर्चा में है लेकिन भयावह हालात तो बीकानेर में भी है।



Conclusion:बात करें बीते एक साल की तो बीकानेर में कुल 658 नवजात को मौत हुई है और अकेले दिसम्बर माह में 162 नवजात की मौत हुई है। हालांकि सीधे तौर पर कोटा की जानकारी आने के बाद अस्पताल प्रशासन का कोई भी जिम्मेदार अपना मुंह कैमरे के आगे खोलने से बचता है लेकिन आंकड़े सब कहानी बता रहे हैं।
साल 2019 में अस्पताल में 17234 बच्चों का जन्म हुआ जिसमें 5019 बच्चों को आईसीयू में भर्ती करवाया गया। जिसमें 658 बच्चों की मौत हुई है। हालांकि 2019 में इसके अलावा अस्पताल में भर्ती हुए बच्चों की संख्या 25876 के अनुपात में मरने वाले बच्चों की संख्या 1681 रही। वहीं साल 2017 में अस्पताल में भर्ती और जन्म लेने वाले कुल 29100 बच्चों में से 1648 बच्चों की मौत हुई है। वहीं 2018 में 32772 भर्ती हुए बच्चों में 1678 बच्चों की मौत हो गई।

कुल मिलाकर देखा जाए तो बीकानेर में पिछले 3 सालों का हर माह का औसत देखा जाए तो हर माह 140 के करीब नवजात बच्चों की मौत का आंकड़ा सामने आ रहा है।

Last Updated : Jan 5, 2020, 12:13 PM IST
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