नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने सोमवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) भारत को बांटने के लिए इस सरकार की ओर से लाई गई शरारतपूर्ण और भयावह योजना है.
चिदंबरम ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'एनआरसी यदि देशभर में लागू होता है तो प्रत्येक व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि वह भारत का नागरिक है. यह लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों के खिलाफ है. इसका एक प्रमाण असम में देखने को मिला है, जहां एनआरसी लागू होने से 19,09,657 लोग एनआरसी की फाइनल लिस्ट से बाहर हो गए थें और ये सभी लोग अवैध प्रवासियों के रूप में पहचाने गए. एनआरसी लोगों पर बिना मतलब का बोझ है.'
चिदंबरम ने कहा कि एनआरसी की फाइनल लिस्ट से जो लोग बाहर हुए हैं, उनमें अधिकतर समाज के गरीब और कमजोर वर्ग के हैं, कोई नहीं जनता कि उनके भाग्य में क्या है.
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अधिनियम को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक करार देते हुए चिदंबरम ने सरकार से सवाल किया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के प्रावधान के तहत अन्य देशों में रह रहे हिन्दुओं को भारत में आने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन श्रीलंका के हिन्दुओं को, जिनमें ज्यादातर तमिल हैं, और भूटान के ईसाइयों को भारत आने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि सीएए के बेतुके और भेदभावपूर्ण प्रावधानों को इन दो उदाहरणों से चित्रित किया जा सकता है.
चिदंबरम ने यह भी कहा कि एनआरसी और सीएए दोनों के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप जो व्यक्ति सीधे प्रभावित होंगे, वे भारत के मुसलमान होंगे.