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देश को बांटने की भयावह योजना है एनआरसी : चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कहा कि वह जो राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लाई है, वह देश को बांटने की एक योजना है.

चिदंबरम
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Published : Jan 6, 2020, 6:40 PM IST

नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने सोमवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) भारत को बांटने के लिए इस सरकार की ओर से लाई गई शरारतपूर्ण और भयावह योजना है.

चिदंबरम ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'एनआरसी यदि देशभर में लागू होता है तो प्रत्येक व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि वह भारत का नागरिक है. यह लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों के खिलाफ है. इसका एक प्रमाण असम में देखने को मिला है, जहां एनआरसी लागू होने से 19,09,657 लोग एनआरसी की फाइनल लिस्ट से बाहर हो गए थें और ये सभी लोग अवैध प्रवासियों के रूप में पहचाने गए. एनआरसी लोगों पर बिना मतलब का बोझ है.'

चिदंबरम ने कहा कि एनआरसी की फाइनल लिस्ट से जो लोग बाहर हुए हैं, उनमें अधिकतर समाज के गरीब और कमजोर वर्ग के हैं, कोई नहीं जनता कि उनके भाग्य में क्या है.

ये भी पढ़ें- जेएनयू मामले में पुलिस आयुक्त को जवाबदेह ठहराया जाए : चिदंबरम

अधिनियम को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक करार देते हुए चिदंबरम ने सरकार से सवाल किया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के प्रावधान के तहत अन्य देशों में रह रहे हिन्दुओं को भारत में आने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन श्रीलंका के हिन्दुओं को, जिनमें ज्यादातर तमिल हैं, और भूटान के ईसाइयों को भारत आने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि सीएए के बेतुके और भेदभावपूर्ण प्रावधानों को इन दो उदाहरणों से चित्रित किया जा सकता है.

चिदंबरम ने यह भी कहा कि एनआरसी और सीएए दोनों के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप जो व्यक्ति सीधे प्रभावित होंगे, वे भारत के मुसलमान होंगे.

नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने सोमवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) भारत को बांटने के लिए इस सरकार की ओर से लाई गई शरारतपूर्ण और भयावह योजना है.

चिदंबरम ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'एनआरसी यदि देशभर में लागू होता है तो प्रत्येक व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि वह भारत का नागरिक है. यह लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों के खिलाफ है. इसका एक प्रमाण असम में देखने को मिला है, जहां एनआरसी लागू होने से 19,09,657 लोग एनआरसी की फाइनल लिस्ट से बाहर हो गए थें और ये सभी लोग अवैध प्रवासियों के रूप में पहचाने गए. एनआरसी लोगों पर बिना मतलब का बोझ है.'

चिदंबरम ने कहा कि एनआरसी की फाइनल लिस्ट से जो लोग बाहर हुए हैं, उनमें अधिकतर समाज के गरीब और कमजोर वर्ग के हैं, कोई नहीं जनता कि उनके भाग्य में क्या है.

ये भी पढ़ें- जेएनयू मामले में पुलिस आयुक्त को जवाबदेह ठहराया जाए : चिदंबरम

अधिनियम को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक करार देते हुए चिदंबरम ने सरकार से सवाल किया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के प्रावधान के तहत अन्य देशों में रह रहे हिन्दुओं को भारत में आने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन श्रीलंका के हिन्दुओं को, जिनमें ज्यादातर तमिल हैं, और भूटान के ईसाइयों को भारत आने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि सीएए के बेतुके और भेदभावपूर्ण प्रावधानों को इन दो उदाहरणों से चित्रित किया जा सकता है.

चिदंबरम ने यह भी कहा कि एनआरसी और सीएए दोनों के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप जो व्यक्ति सीधे प्रभावित होंगे, वे भारत के मुसलमान होंगे.

Intro:New Delhi: Former Home Minister and Congress leader, P Chidambaram called the Center Government's law of National Register of Citizens as a "sinister and mischievous plan to divide India."


Body:While addressing the Press Conference, Chidambaram said, " under nrc every person residing in India has to prove that he is a citizen of India. it is a perverse burden of proof that was applied in Assam another result of which 19,06,657 people were identified as illegal migrants or stateless persons. Most of them belong to the poorest and vulnerable sections of society. No one knows what their fate will be."

Calling the act 'discriminatory and unconstitutional', Chidambaram questioned the government by saying, "The absurd and discriminatory provisions of CAA can be illustrated by two examples, while Hindus will be allowed, Sri Lankan Hindus who are mostly Tamils, will not be allowed. While Christians will be allowed Christians from Bhutan will not be allowed. Why?"

"As result of the implementation of both NRC and CAA, the persons who will be directly affected will be Muslims of India. All other religious groups even if excluded under NRC, will be included under CAA. only the Muslims will be identified as illegal migrants under NRC and excluded under CAA naturally there is widespread fear and uncertainty among the Muslims of India," he further added.

He also clarified the take of Congress on CAA, saying, "At this stage we must rebut the bogey raised by the Prime Minister. We are not opposed to grant Refugee and eventually citizenship to any person included under the CAA, our concerns arise regarding the persons excluded under CAA. it is obvious that the exclusions are deliberate premeditated and intended to harass, humiliate and strip a section of people of the citizenship the answer to the problem of refugees is not the CAA but human and non discriminatory law on refugees."




Conclusion:While explaining about the difference between National Population register which came in 2010 and the latest one, he said, " NPR 2010 was conducted in a few States where there was no controversy about nrc and without the unhappy experience of Assam NRC. secondly there was no CAA looming large. thirdly and NPR 2010 gathered data in respect of only 15 fields."

" on the contrary NPR 2020 will be conducted all over the country and it will be done in the background of the disastrous experience of Assam nrc and discriminatory CA NPR 20-20 will ask for information on the last place of Residence, the place of birth of parents, voter identity, passport number, driving licence, PAN and Aadhar," he added.

While comparing both, he said NPR 2010 and NPR 2020 are like "cheese and chalk."
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