नई दिल्ली : भारत की सबसे पुरानी संपत्ति प्रबंधन कंपनी फ्रेंकलिन टेम्पल्टन पर कोरोना वायरस महामारी ने भी असर डाला है. इसपर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि ऐसी ही स्थिति अक्टूबर 2008 में पैदा हुई थी, जब कांग्रेस ने यूपीए सरकार को सत्ता में थी. इसलिए उन्होंने केंद्र से इस वर्तमान स्थिति को हल करने के लिए तुरंत कदम उठाने की मांग की.
कांग्रेस नेता ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि छह ऋण योजनाों को बंद करने का फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड का निर्णय निवेशकों, म्यूचुअल फंड उद्योग और वित्तीय बाजारों के लिए गंभीर चिंता का विषय है.
उन्होंने आगे कहा, 'मुझे याद है कि वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान, अक्टूबर 2008 के पहले सप्ताह में इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा था, जब म्यूचुअल फंड्स को तरलता तनाव का सामना करना पड़ा था. इस मुद्दे पर सरकार ने तुरंत RBI, SEBI, IBA, AMFI और अन्य से सलाह ली थी.
चिदंबरम ने कहा कि एफएसडीसी की एक तत्काल बैठक बुलाई गई और दिन के अंत तक एक समाधान मिल गया. आरबीआई और सेबी के अधिकारी अगली सुबह 8:00 बजे मिले, और आरबीआई ने 14 दिन की विशेष रेपो सुविधा की घोषणा की और NDTL के अतिरिक्त 0.5% की अनुमति दी. स्थिति हल हो गई थी.
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चिदंबरम का यह बयान फ्रैंकलिन टेम्पल्टन द्वारा छह फंडों को बंद करने की घोषणा के बाद आया है. इसमें फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनेमिक एक्यूरल फंड, फ्रैंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इनकम प्लान,, फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड और फ्रैंकलिन इंडिया इनकम अपारच्युनिटी फंड शामिल हैं.
चिदंबरम ने कहा, 'सौभाग्य से बाजार आज और कल बंद रहेंगे. मुझे उम्मीद है कि सरकार तुरंत कार्रवाई करेगी और स्थिति को जल्द हल करेगी.'