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साइबर सिक्योरिटी पर बनी नेशनल पॉलिसी में जरूरी है बदलाव

भारत में बढ़ती साइबर समस्याओं के मद्देनजर विशेषज्ञ ने नेशनल सिक्योरिटी पॉलिसी में बदलाव पर जोर दिया है. विशेषज्ञ का मानना है कि सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों के बाद भी सुधार की जरूरत है. जानें क्या हैं चुनौतियां

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति में बदलाव की जरूरत
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Published : May 6, 2019, 10:30 PM IST

Updated : May 6, 2019, 11:42 PM IST

नई दिल्लीः इंटरनेट और कंप्यूटर के क्षेत्र में सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के पास राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013 है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि आए दिन उभर रही साइबर चुनौतियों से निपटने के लिए इसमें बदलाव की जरूरत है.

रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्य महसूस करते हैं कि नेशनल साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर (एनसीसीसी) के प्रमुख के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल राजेश पंत की नियुक्ति को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में विकास के रूप में देखा जा सकता है.

ईटीवी से बात करते हुए सुबिमल भट्टाचार्य

भट्टाचार्य ने कहा, मेजर पंत आर्मी बैकग्राउंड से हैं जिससे एक अच्छा साइबर-सैन्य संयोजन होने में मदद मिलेगी. हालांकि, उभरते साइबर खतरों से निपटने के लिए नीतियों में बदलाव की जरूरत है.

पढ़ेंः सोशल मीडिया पर फोटो सुरक्षित नहीं, निजता के लिए हो सकता है खतरनाक- एक्सपर्ट

भट्टाचार्य ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, साइबर सुरक्षा एक बड़ा खतरा है, जो कि तेजी से उभर रहा है. हालांकि हमारी सरकार ने इसके लिए इतने कदम उठाए हैं, लेकिन इसमें सुधार की जरूरत है.

बता दें, डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक भारत 2016 से 2018 के बीच दूसरा ऐसा देश है, जो साइबर हमलों से सबसे अधिक प्रभावित रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर हमलों का जोखिम इतना बढ़ चुका है कि भारतीय कंपनियां साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी का विकल्प चुनने पर मजबूर हुईं हैं.

2018 तक भारत में लगभग 350 साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी बेची गई हैं. और इन पॉलिसी में 2017 की तुलना में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

cyberattacketvbharat
2018 तक भारतीय कंपनियों पर हुए साइबर हमलों के आंकड़े

बता दें, एनसीसीसी प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने से पहले पंत इसी संस्था में विशेष ड्यूटी अधिकारी के रूप में कार्यरत थे.

पंत को शीर्ष स्तर के रक्षा आइटी और टेलीकॉम ट्रेसिंग केंद्र में 10 से भी अधिक वर्षों का अनुभव है. साथ ही वे भारत के स्वदेशी इलेक्ट्रानिक वारफेयर (EW) कार्यक्रम के सदस्य भी हैं.

नई दिल्लीः इंटरनेट और कंप्यूटर के क्षेत्र में सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के पास राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013 है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि आए दिन उभर रही साइबर चुनौतियों से निपटने के लिए इसमें बदलाव की जरूरत है.

रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्य महसूस करते हैं कि नेशनल साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर (एनसीसीसी) के प्रमुख के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल राजेश पंत की नियुक्ति को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में विकास के रूप में देखा जा सकता है.

ईटीवी से बात करते हुए सुबिमल भट्टाचार्य

भट्टाचार्य ने कहा, मेजर पंत आर्मी बैकग्राउंड से हैं जिससे एक अच्छा साइबर-सैन्य संयोजन होने में मदद मिलेगी. हालांकि, उभरते साइबर खतरों से निपटने के लिए नीतियों में बदलाव की जरूरत है.

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भट्टाचार्य ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, साइबर सुरक्षा एक बड़ा खतरा है, जो कि तेजी से उभर रहा है. हालांकि हमारी सरकार ने इसके लिए इतने कदम उठाए हैं, लेकिन इसमें सुधार की जरूरत है.

बता दें, डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक भारत 2016 से 2018 के बीच दूसरा ऐसा देश है, जो साइबर हमलों से सबसे अधिक प्रभावित रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर हमलों का जोखिम इतना बढ़ चुका है कि भारतीय कंपनियां साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी का विकल्प चुनने पर मजबूर हुईं हैं.

2018 तक भारत में लगभग 350 साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी बेची गई हैं. और इन पॉलिसी में 2017 की तुलना में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

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2018 तक भारतीय कंपनियों पर हुए साइबर हमलों के आंकड़े

बता दें, एनसीसीसी प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने से पहले पंत इसी संस्था में विशेष ड्यूटी अधिकारी के रूप में कार्यरत थे.

पंत को शीर्ष स्तर के रक्षा आइटी और टेलीकॉम ट्रेसिंग केंद्र में 10 से भी अधिक वर्षों का अनुभव है. साथ ही वे भारत के स्वदेशी इलेक्ट्रानिक वारफेयर (EW) कार्यक्रम के सदस्य भी हैं.

Intro:New Delhi: Epxerts has emphasised for a drastic change in the National Cyber Security Policy, 2013 to cope up with the emerging cyber challenges India is facing at present.


Body:Strategic affairs expert Subimal Bhattacharjee, however, feels that the appointment of Lt Gen Rajesh Pant (retd) as the chief of National Cyber Coordination Centre (NCCC) could really see major developments in the cyber security domain.

Pant was serving as an officer on Special Duty at the NCCC before he takes over the charge as NCCC chief.

"Major Pant hails from Army background and it would be a good Cyber-military combination," said Bhattacharjee.

Pant has more than 10 years of experience in top level defence IT and Telecom traing centre. Pant is also a founding member of India's indigenous Electronic Warfare (EW) programme.

He said that although India has a national cyber security policy, 2013 and which "needs a real change to tackle the emerging cyber threats." The policy aims at protecting the public and private infrastructure from cyber attacks.

"Cyber security is a big threat and it is emerging. Although our Governmnet has taken so many steps, it needs to be revamped," said Bhattacharjee.

The NCCC coordinates cyber security intelligence, mitigating online threats and handles national security.


Conclusion:According to a statistics provided by Data Security Council of India (DSCI), India has been the second most cyber attacks affected country between 2016 to 2018.

"High risk of cyber attacks have led Indian companies to opt for cyber insurance policies," said the report.

Around 350 cyber insurance policies have been sold in India till 2018, which is a 40 percent increase from that of 2017.

end.
Last Updated : May 6, 2019, 11:42 PM IST
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