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चांचल राजबाड़ी दुर्गा पूजा के विसर्जन में मुस्लिम ग्रामीण दिखाते हैं रोशनी - राजा रामचंद्र रे चौधरी

चांचल राजबाड़ी दुर्गा पूजा की मान्यता है कि सप्तमी पर दुर्गा मां यहां पहुंचती हैं और दशमी तक यहां रहती हैं. यहां पूजा लगभग 350 वर्ष से हो रही है.

Durga mata
दुर्गा माता
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Published : Oct 21, 2020, 8:45 PM IST

कोलकाता : चांचल राजबाड़ी दुर्गा पूजा इतिहास समेटे हुए है. यहां पूजा लगभग 350 वर्ष से हो रही है. आमतौर पर बंगाली लोग दुर्गा पूजा पांच दिन मनाते हैं, लेकिन यहां के लोग 17 दिन मनाते हैं. इसकी एक और खासियत यह है कि विसर्जन के दौरान मुस्लिम ग्रामीण रास्ते में रोशनी दिखाते हैं.

राजा रामचंद्र रे चौधरी को दृष्टि मिली और उन्होंने दुर्गा पूजा शुरू की. इस बात को लगभग 350 साल हो गए हैं. महालया से पहले पूजा शुरू होती है. विसर्जन के समय में आप हिंदू और मुस्लिम ग्रामीणों की एकजुटता महसूस कर सकते हैं.

ग्रामीणों का मानना ​​है कि एक महिला क्रूर सती प्रथा का शिकार हो गईं थीं. तब से घाट को सती घाट के नाम से पुकारा जाता है. राजा को नदी से धातु की मूर्ति मिली थी. बोर्ड सदस्य पिनाकी जॉय भट्टाचार्य ने बताया कि इस वर्ष पूजा एक महीने पहले से शुरू हो गई है.

चांचल राजबाड़ी दुर्गा पूजा

पुजारी अचिनता कुमार मिश्रा ने बताया कि पहले एक कुटी थी. तब मंदिर (ठाकुर दलन) का निर्माण किया गया. सप्तमी पर दुर्गा मां यहां पहुंचती हैं. दशमी तक मां दुर्गा यहां रहती हैं. आम तौर पर हर साल पूजा पर यहां भक्तों की भीड़ होती है, लेकिन महामारी के कारण इस वर्ष यहां आने के कुछ नियम होंगे.

कोलकाता : चांचल राजबाड़ी दुर्गा पूजा इतिहास समेटे हुए है. यहां पूजा लगभग 350 वर्ष से हो रही है. आमतौर पर बंगाली लोग दुर्गा पूजा पांच दिन मनाते हैं, लेकिन यहां के लोग 17 दिन मनाते हैं. इसकी एक और खासियत यह है कि विसर्जन के दौरान मुस्लिम ग्रामीण रास्ते में रोशनी दिखाते हैं.

राजा रामचंद्र रे चौधरी को दृष्टि मिली और उन्होंने दुर्गा पूजा शुरू की. इस बात को लगभग 350 साल हो गए हैं. महालया से पहले पूजा शुरू होती है. विसर्जन के समय में आप हिंदू और मुस्लिम ग्रामीणों की एकजुटता महसूस कर सकते हैं.

ग्रामीणों का मानना ​​है कि एक महिला क्रूर सती प्रथा का शिकार हो गईं थीं. तब से घाट को सती घाट के नाम से पुकारा जाता है. राजा को नदी से धातु की मूर्ति मिली थी. बोर्ड सदस्य पिनाकी जॉय भट्टाचार्य ने बताया कि इस वर्ष पूजा एक महीने पहले से शुरू हो गई है.

चांचल राजबाड़ी दुर्गा पूजा

पुजारी अचिनता कुमार मिश्रा ने बताया कि पहले एक कुटी थी. तब मंदिर (ठाकुर दलन) का निर्माण किया गया. सप्तमी पर दुर्गा मां यहां पहुंचती हैं. दशमी तक मां दुर्गा यहां रहती हैं. आम तौर पर हर साल पूजा पर यहां भक्तों की भीड़ होती है, लेकिन महामारी के कारण इस वर्ष यहां आने के कुछ नियम होंगे.

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