नई दिल्ली : तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े किसानों और केंद्र सरकार के बीच पांचवे दौर की वार्ता चल रही है. इसी बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. राजा ने कहा कि किसानों का स्पष्ट मानना है कि इन कृषि कानूनों को सरकार को निरस्त करना होगा. इससे पहले कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी संसद के विशेष सत्र की मांग की थी.
अलोकतांत्रिक तरीके से बनाए कानून
राजा ने कहा कि जिस तरह से ये कानून संसद में पारित किए गए थे, वह सबसे ज्यादा अलोकतांत्रिक था. सरकार को पहले किसानों के साथ चर्चा करनी चाहिए थी. संसद और सरकार भी संसदीय समिति में इस मुद्दे पर चर्चा कर सकते थे, मगर ऐसा नहीं किया गया. कानून बनाने के बाद सरकार अब किसानों से सुझाव और राय देने के लिए कह रही है. सरकार को समझना चाहिए कि किसान अपनी राजनीतिक संबद्धता के बावजूद इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
कृषि क्षेत्र को खतरे में डाल देंगे नए कानून
राजा ने कहा कि किसान समझते हैं कि ये कृषि कानून किसानों के हित में नहीं हैं और यह देश के हित में भी नहीं है. राजा ने कहा कि ये कृषि कानून देश के कृषि क्षेत्र को खतरे में डाल देंगे. राजा ने कहा कि इन कृषि कानूनों से किसान उद्योगपतियों के चंगुल में फंस जाएंगे. यह कानून कृषक समुदाय के फायदे के लिए नहीं बनाए गए हैं और यही कारण है कि एमएसपी काे लेकर सवाल उठ रहे हैं.