नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने गुरुवार को उन पांच राज्यों की उधार लेने की सीमा बढ़ाने की घोषणा की, जिन्होंने एक देश-एक राशन कार्ड व्यवस्था को सफलतापूर्वक लागू किया है. इस कार्ड का मकसद दूसरे राज्यों में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों की तकलीफ को कम करना है. इस कार्ड से उन्हें किसी भी राज्य में जाने पर रियायती राशन लेने की सुविधा मिल जाएगी.
वित्त मंत्रालय के तहत इस मुद्दे को निपटाने वाले नोडल विभाग व्यय विभान ने गुरुवार को पांच राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, कर्नाटक और त्रिपुरा को खुले बाजार से उधार (ओएमबी) के माध्यम से नौ हजार 913 करोड़ रुपए के अतिरिक्त संसाधन जुटाने की अनुमति दी.
पांच राज्यों को कर्ज लेने की सीमा में बढ़ोतरी से लाभ होगा
कुल पांच राज्यों में से तीन राज्यों कर्नाटक, गोवा और त्रिपुरा में राजग की सरकारों का शासन है. बढ़ी हुई उधार सीमा का सबसे ज्यादा लाभ पाने वाला राज्य कर्नाटक होगा, जिसकी उधार सीमा 4 हजार 509 करोड़ रुपए बढ़ाई गई है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की उधार सीमा क्रमश: 2 हजार 525 करोड़ और 2 हजार 508 करोड़ रुपए बढ़ा दी गई है. व्यय विभाग ने गोवा की उधार लेने की सीमा 223 करोड़ रुपए और त्रिपुरा की 148 करोड़ रुपए बढ़ाई है.
अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों को पुरस्कृत करने का केंद्र का फैसला अन्य राज्यों को भी इन राज्यों की तरह काम करने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में बड़ा काम करेगा. राज्यों के राजस्व संग्रह को कोविड -19 लॉकडाउन उपायों के कारण बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. नकदी के भूखे राज्य कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए एफआरबीएम अधिनियम के तहत अपनी वैधानिक उधार सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
इस कठिन समय में उनकी मदद करने के लिए केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक ने कई राहत उपायों की घोषणा की है. जिसमें वैधानिक उधार सीमा में बढ़ोतरी और राज्यों की उन्नति के तरीके और साधन (डब्ल्यूएमए) शामिल हैं लेकिन आरबीआई की डब्ल्यूएमए राहत के विपरीत केंद्र ने उधार लेने की सीमा में बढ़ोतरी के लिए कुछ सुधारों पर अमल करने की शर्त भी जोड़ दिया.
प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को देखते हुए वन नेशन वन राशन कार्ड का प्रारंभिक कार्यान्वयन उन सुधारों में से एक था जिन्हें केंद्र राज्यों में जल्दी से लागू करना चाहता था. उधार सीमा में बढ़ोतरी भी सुधारों के कार्यान्वयन से जुड़ी हुई है.
इस साल मई में केंद्र ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए राज्यों के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के दो फीसद तक की अतिरिक्त उधार सीमा की अनुमति दी. इस कदम का मकसद राज्यों को उनके राजस्व संग्रह में भारी कमी से उनके खजाने में आई भारी गिरावट से उत्पन्न स्थिति पर काबू पाने के लिए उन्हें अधिक उधार लेने के लिए सक्षम बनाना था.
वित्त मंत्रालय के एक अनुमान के अनुसार राज्यों की वैधानिक उधार सीमा में बढ़ोतरी से उन्हें इस वित्तीय वर्ष में कुल 4.27 लाख करोड़ रुपए की राशि उधार लेने की अनुमति मिलेगी. हालांकि केंद्र ने राज्य की उधार सीमा में एक फीसद की बढ़ोतरी को राज्य स्तर पर चार विशिष्ट सुधारों से जोड़ा है. इनमें प्रत्येक सुधार को उस विशेष राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 0.25 फीसद का भार सौंपा गया है.
राज्यों को कौन से सुधारों को लागू करने की आवश्यकता है?
राजकोष संबंधी इस अतिरिक्त उधार सीमा का लाभ उठाने के लिए केंद्र ने राज्यों को (क ) एक राष्ट्र एक राशन कार्ड, (ख ) राज्य में व्यापार करने में आसानी के लिए सुधार, (ग ) शहरी स्थानीय निकाय और उपयोगिता सुधारों को पूरा करना और (डी ) बिजली क्षेत्र में सुधार कुल चार क्षेत्र दिए हैं.
एक फीसद की शेष अतिरिक्त उधार सीमा 0.5 फीसद के हिसाब से दो किस्तों में जारी की जानी थी. पहली किस्त तुरंत देने के लिए सभी राज्यों को किसी भी सुधार से मुक्त छोड़ दिया गया था और दूसरे के लिए चार में से कम से कम किसी भी तीन सुधारों को पूरा करने का दायित्व लेना था. केंद्र सरकार इस वर्ष जून में पहले ही राज्यों को पहला 0.5 फीसद खुले बाजार से उधार के रूप में जुटाने की अनुमति दे चुकी है जिससे राज्यों को 1 लाख 6 हजार 830 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध हो रही है.