नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में स्वैच्छिक अंग दाताओं की कमजोर दर पर चिंता व्यक्त की. इस दौरान मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में देशभर में एक करोड़ स्वैच्छिक अंग दाताओं को पंजीकृत करने की भी बात कही.
इस संबंध में स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण के राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने मीडिया से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि लोगों की भागीदारी और उनकी जागरूकता अंग दाताओं को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
उन्होंने दुख जताते हुए कहा, 'मानव अंगों के अधिनियम 1994 के प्रत्यारोपण के कई वर्षों बाद भी केवल 16 राज्यों ने ही इसे प्रत्यारोपित किया है.' उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के सभी राज्य इस अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए प्रतिबध हों.
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उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय 'अंगदान, महादान, महाकल्याण' पर जोर देते हुए एक डाक टिकट निकालेगा. चौबे ने कहा कि इसके लिए हमें बड़े पैमाने पर अभियान चलाने के अलावा स्कूलों से शस्त्रागार भी बनाना चाहिए.
आपको बता दें, सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में पिछले तीन वर्षों में केवल 27500 अंग दान किये गए हैं. वहीं चौबे ने भारत में बड़े पैमाने पर फैलते गैरकानूनी अंग प्रत्यारोपण को लेकर भी गंभीर चिंता व्यक्त की है.
उन्होंने कहा, 'अवैध अंग प्रत्यारोपण को रोकने के लिए पहले से ही कानून मौजूद है लेकिन अब हम इस मुद्दे को लेकर ओर भी सख्त हो जाएंगे.'
बता दें, राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) द्वारा ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एक्ट 1994 (THOA) की सिल्वर जुबली के लिए एक समारोह आयोजित किया गया है. इस मौके पर स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण के राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने मीडिया से बातचीत करते हुए अपने विचार साझा किये.